सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया
 

World Environment Day celebrated at CSIR-National Botanical Research Institute
World Environment Day celebrated at CSIR-National Botanical Research Institute

उत्तर प्रदेश डेस्क लखनऊ (आर एल पांडेय)। जलवायु परिवर्तन के प्रति व्यापक अनुकूलन वाली फसल किस्में विकसित करें: प्रो. सोन्तीडॉ. एन कलैसेलवी, माननीय महानिदेशक, सीएसआईआर, नई दिल्ली ने किया बंथरा अनुसंधान केंद्र में ‘नीलकमल’ नर्सरी एवं पुष्पकृषि केंद्र का उदघाटनवै.औ.अ.प.-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ एवं इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ एनवायर्नमेंटल बॉटनिस्ट्स (आईएसईबी), लखनऊ द्वारा आज दिनांक 5 जून 2024 को विश्व पर्यावरण दिवस समारोह आयोजित किया गया इस अवसर पर इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी, नयी दिल्ली के निदेशक प्रो. रमेश वी. सोन्ती समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे ।  जबकि वै.औ.अ.प.-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ  के पूर्व निदेशक डॉ. पी. वी. साने समारोह के विशिष्ट अतिथि थे । 


इस अवसर पर इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ एनवायर्नमेंटल बॉटनिस्ट्स ने अपना 29वां स्थापना दिवस भी मनाया। यह सोसाइटी इंटरनेशनल यूनियन ऑफ़ बायोलॉजिकल साइंसेज (आईयूबीएस), पेरिस की का एक वैज्ञानिक सदस्य है एवं सीएसआईआर-एनबीआरआई, लखनऊ में 1994 से कार्यरत है |


समारोह की शुरुआत में, संस्थान के निदेशक  डॉ.  ए के शासनी ने सभी गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते पर्यावरण दिवस के महत्व पर चर्चा की और इस वर्ष की थीम 'भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और अनावृष्टि तन्यकता' पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमें प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग के बारे में सभी को जागरूक करना होगा। हमें अपने पर्यावरण को बचाने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव करना होगा। हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग के लिए आत्म-मूल्यांकन करना चाहिए और उन्हें अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए उन्हें संरक्षित करना चाहिए।


कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. सोन्ती ने जलवायु परिवर्तन संकट से निपटने के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि हमारे पास ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करने का अवसर तेजी से कम हो रहा है। पेरिस समझौते के अनुसार, वैश्विक तापमान को पूर्व औद्योगिक स्तरों से 1.50 डिग्री सेल्सियस ऊपर सीमित करने की प्रतिबद्धता वैश्विक स्तर पर की गई थी। प्रो. सोन्ती ने कहा कि नवीनतम आईपीसीसी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2011-2020 के दौरान, वैश्विक सतह का तापमान पूर्व औद्योगिक स्तरों से 1.10 डिग्री सेल्सियस ऊपर पहुंच गया है, 2.0 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ा वैश्विक सतह तापमान विनाशकारी साबित हो सकता है। प्रो. सोन्ती ने बताया कि गर्म तापमान से चावल, मक्का, गेहूं और सोयाबीन जैसी प्रमुख फसलों की पैदावार कम होने की संभावना है। चूंकि जलवायु अनिश्चित होगी, इसलिए एक ही वर्ष में फसल को बाढ़, सूखे और गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। हमें कीटनाशकों का प्रयोग कम करना होगा तथा फसल की पैदावार बढ़ाने के लिए सूक्ष्मजीवी उर्वरकों जैसे विकल्प अपनाने होंगे।


इस अवसर पर प्रो. सोन्ती ने वर्ष 2021 और 22 के लिए आईएसईबी फेलोशिप पुरस्कार और युवा वैज्ञानिक पुरस्कार की भी घोषणा की। ये पुरस्कार समाज द्वारा पर्यावरण विज्ञान में व्यक्ति द्वारा किए गए उत्कृष्ट योगदान के लिए दिए गए। वर्ष 2021 और 22 के लिए बीस फेलोशिप पुरस्कार और 6 युवा वैज्ञानिक पुरस्कार घोषित किए गए।
समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ. पी. वी साने ने कहा कि हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों को बचाने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग और जलवायु परिवर्तन के आने वाले विनाशकारी प्रभावों के बारे में आम जनता को जागरूक किया जाना चाहिए।


इस अवसर पर, डॉ. एन कलैसेलवी, माननीय महानिदेशक, सीएसआईआर, नई दिल्ली और सचिव, डीएसआईआर, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार ने बंथरा में स्थित संस्थान के दूरस्थ अनुसंधान केंद्र का दौरा किया। डॉ. कलैसेलवी ने केंद्र में नव स्थापित ‘नर्सरी और फ्लोरीकल्चर सेंटर’ का भी उद्घाटन किया। यह सुविधा सीएसआईआर- फ्लोरीकल्चर मिशन के तहत शुरू की जा रही है और यह लाभार्थियों के लिए सीएसआईआर फ्लोरीकल्चर मिशन पहलों के बारे में जानने के लिए एक विशेष केंद्र के रूप में काम करेगी। इस केंद्र पर पौधे भी बिक्री हेतु उपलब्ध रहेंगे एवं यह केंद्र  संस्थान द्वारा विकसित उत्पादों एवं प्रौद्योगिकियों की जानकारी हेतु सूचना स्थल के रूप में कार्य करेगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. पी वी साने ने कहा कि हमे प्रदूषण को कम करने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। आमजनता को प्लास्टिक प्रदूषण कम करने के साथ साथ वैकल्पिक उपायों के बारे में भी जागरूक करना होगा ।
इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ एनवायर्नमेंटल बॉटनिस्ट्स (आईएसईबी) के सचिव डॉ. आर डी त्रिपाठी ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए कहा कि एनबीआरआई एवं आईएसईबी विगत तीन दशकों से पर्यावरण सुरक्षा एवं जलवायु परिवर्तन पर के लिए विभिन्न कार्यक्रमो के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहा है ।


इस अवसर पर गणमान्य अतिथियों ने आईएसईबी द्वारा आयोजित क्विज प्रतियोगिता के विजयी प्रतिभागियों को सम्मानित भी किया ।कार्यक्रम के अंत में संस्थान के मुख्य वैज्ञानिक एवं सहसचिव, इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ़ एनवायर्नमेंटल बॉटनिस्ट्स डॉ. विवेक पाण्डेय द्वारा उपस्थित अतिथियों, गणमान्य अतिथियों, एवं अन्य जन समुदाय को धन्यवाद दिया गया। इससे पूर्व अन्य कार्यक्रमों में, राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ स्थित पर्यावरण सूचना, जागरूकता, क्षमता निर्माण और आजीविका कार्यक्रम केंद्र (ईआईएसीपी) ने सीएसआईआर-जिज्ञासा, एनसीसी नवयुग कन्या महाविद्यालय, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी और पृथ्वी इनोवेशन के संयुक्त तत्वाधान में 5 जून 2024 को एनबीआरआई, लखनऊ में एक जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम का विषय पर्यावरण दिवस के वैश्विक विषय "भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण और अनावृष्टि तन्यकता" पर केंद्रित था, जिसका उद्देश्य भूमि संसाधनों की रक्षा और पुनर्स्थापना के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना था। प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग हेतु व्यक्तिगत पहलों को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिभागियों के लिए मिशन लाइफ पर विभिन्न इंटरैक्टिव गतिविधियों का आयोजन किया गया। इस अवसर पर जलवायु परिवर्तन और भूमि क्षरण को कम करने के लिए नीतिगत कार्यों के साथ साथ अनुसंधान एवं विकास कार्य पर एक पैनल चर्चा भी आयोजित की गई। जिसमे सीएसआईआर-एनबीआरआई के निदेशक डॉ. ए. के. शासनी, सीपीसीबी के क्षेत्रीय निदेशक श्री डी. के. सोनी, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के डीन डॉ. एम. ए. खालिद, पृथ्वी इनोवेशन की सुश्री अनुराधा गुप्ता सहित प्रख्यात विशेषज्ञों ने विचार-विमर्श किया और बंजर भूमि के पुनर्स्थापन तथा मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए कार्य योजनाओं पर चर्चा की गयी। प्रतिभागियों द्वारा मिशन लाइफ की शपथ भी दिलाई गई तथा "वृक्ष परिग्रह" पहल के तहत प्रतिभागियों को पौधे भी वितरित किये गये। कार्यक्रम में 12 विभिन्न संस्थानों, डिग्री कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, गैर सरकारी संगठनों और जीएसके फार्मास्यूटिकल्स के लगभग 100 प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।

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