सावन में शिव पूजने,लोटा जल ले हाथ। कर श्रंगार, चुनरी पहन, साजन जी के साथ।।
वाणी वन्दना श्वेता शुक्ला, मं संचालन अष्ठाना महेश "प्रकाश"।
वाणी वंदना के पश्चात श्री शशी नारायण त्रिपाठी जी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में सम्मानित किया गया और प्रथम बार पधारे मनीष कुमार शुक्ल "मन" व सुमन मिश्रा, धनबाद को भी सम्मानित किया गया।
श्रोताओं के रूप में विपिन कुमार, कृष्ण कुमार शुक्ल व कु अंकिता, बी बी ए यु शामिल हुए।
जुलाई माह की गोष्ठी के संयोजक अमर जी विश्वकर्मा जी।
आज की गोष्ठी में सहभागी कवि सर्वश्री
शशी नारायण त्रिपाठी ,
किया समर्पण को यह मन इस व्यापक संसार में।
बेरहमी से छोड़ गए वो इस व्यापक संसार में।।
अमर जी विश्वकर्मा जी,
मेरे लहजे में खुद्दारी बहुत है
अना से इस्लामी बहुत है।।
शीला वर्मा मीरा जी,
तेरी यादों की माला बनाती रही
ज़िन्दगी इस तरह मैं बिताती रही
श्वेता शुक्ला जी,
पता जो मिला उसपे जाना नहीं है
कि अश्कों से रिश्ता निभाना नहीं है।।
मनीष कुमार शुक्ल "मन" जी,
अंजुमन में अकेला मैं दरपेश हूँ और दरवेश हूँ।।
सुमन मिश्रा जी,
है अगर ख्वाब अगर ख्वाब का साया दे दे
कुछ नहीं और सही एक छलावा दे दे।।
तनु पाण्डेय जी,
डा विभा प्रकाश जी,
सावन में शिव पूजने,लोटा जल ले हाथ
कर श्रंगार, चुनरी पहन, साजन जी के साथ।।
,
गिरधर कुमार खरे जी,
नियम कितने किए पालन, बचा ईमान कितना है
नहीं देखो कि तुमने पा लिया सम्मान कितना है।