आखिर क्यों रोटी गोल और पराठे तिकोने ही बनाये जाते हैं | Chapati Gol Hi Kyon Banai Jaati Hai In Hindi | Cooking Information
What is round rotis in Indian culture | रोटी गोल ही क्यों होती है?
Why is roti always round?
भारत में चपाती का आविष्कार किसने किया था?
रोटी का दूसरा नाम क्या है?
भारत में रोटी की उत्पत्ति कहां से हुई?
रोटी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द 'रोटिका' से हुई है। रोटी को देश में अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है। कहीं इसे फुल्का, कहीं चपाती, कहीं रूटी तो कहीं रोटी कहा जाता है। इसे जिस भी नाम से पुकारा जाए लेकिन रोटी देश के लगभग हर घर में खाने का सबसे अहम हिस्सा रोटी है। यह गेहूं, बाजरा, मक्का, जौं आदि के आते की बनायी जाती है। रोटी और पराठे को दाल, चावल, अचार, चटनी आदि के साथ बड़े ही चाव के साथ खाया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर रोटी गोल ही क्यों बनायी जाती है और आखिर रोटी का अविष्कार कब कहां और कैसे हुआ। इसी प्रकार पराठे तिकोने ही क्यों बनते हैं। हालांकि बहुत से लोग चौकोर पराठे भी बनाते हैं लेकिन बड़ी संख्या में लोग तिकोने पराठे बनाना ही पसंद करते हैं। आज हम आपको रोटी से जुडी कुछ ऐसी ही जानकारी बताएंगे।
रोटी गोल क्यों बनाया जाता है?
रोटी बनाना किसी कला से कम नहीं होता है। गोल और मुलायम और सही तरीके से सिकी रोटी बेहतर और स्वादिष्ट मानी जाती है। लेकिन क्या कभी आपने सोचा कि रोटी को बेलते हुए गोल आकार ही क्यों दिया जाता है? रोटी को गोल बनाने के पीछे सीधा सा गणित है। रोटी बनाने से पहले हम इसकी लोई बनाते हैं जोकि गोल आकार की होती हैं। ऐसे में जब हम इसे हल्के हाथ से बनाना जाता है तो यह धीरे-धीरे लोग आकार ले लेता है। गोल होने से यह हर तरफ से बराबर रहती है और क्योंकि तवे का आकार भी गोल होता है तो यह अच्छी तरह से सिक जाती है। यदि पहले की बात की जाए तो यह दोनों हाथों से ही पानी की मदद से बनायी जाती थी। माना जाता है चपाती शब्द को 'चपत' से लिया गया है जिसका अर्थ होता है मारना। ऐसे ही दोनों हाथों में पानी लगाकर रोटी को चपत मारकर धीरे-धीरे गोल बनाया जाता है।ऐसे इसे गोल सेप देना आसान होता था। ऐसा भी माना जाता है कि जब सैनिक युद्ध पर जाते थे तो गोल होने के कारण इसे एक कटोरे के रूप में इस्तेमाल कर इसके ऊपर ही सब्जी आदि डालकर खाने में आसानी होती थी। जिस कारण भी रोटी को गोल बनाया जाने लगा। वहीं पराठे की अगर बात की जाए तो ऐसा माना जाता है कि तिकोने पराठों में परत लगाना आसान होता है और ऐसे ये हर तरफ से अच्छे से सिक जाते हैं।
चपाती के गोल होने के पीछे की धार्मिक मान्यता
ऐसा माना जाता है कि रोटी का गोल आकर मनुष्य जीवन के जन्म एवं मृत्यु के चक्र का प्रतिनिधित्व करता है। भारत की कुछ जगहों पर चपाती को भोग के रूप में भगवान पर चढ़ाते हैं और इस प्रसाद को बलिदान का प्रतीक माना जाता है। हिन्दू धर्म में चपाती को गुड़ के साथ गाय को खिलाने की प्रथा है। ऐसा माना जाता है कि यह आपके शुक्र को मजबूत करता है।
रोटी फूलने का क्या कारण है?
भारत एक कृषि प्रधान देश है। जहां के अधिकतर क्षेत्रों में गेहूं की अच्छी उपज होती है। शायद यही कारण है कि भारतीयों के खाने में रोटी एक आवश्यक अंग है। गोल आकार की फूली हुई रोटी देश के लगभग हर घर में प्यार से परोसी जाती है। लेकिन क्या आपने सोचा है कि रोटी आखिर फूल क्यों जाती है। दरअसल, जब रोटी को आग पर सेका जाता है तो आते के लासा यानी ग्लूटन के अंदर मौजूद कार्बन डाईऑक्साइड गैस गर्मी के कारण फैलने की कोशिश करती है। जिससे रोटी के ऊपर की परत पर दबाव बनने लगता है और परिणामस्वरूप रोटी फूल जाती है।
भारत में रोटी का आविष्कार किसने किया था?
रोटी या चपाती की खोज से जुडी को स्पष्ट जानकारी तो नहीं है लेकिन 16 शताब्दी के दस्तावेज ऐन-ए-अकबरी में इसका जिक्र मिलता है। इसके अलावा मोहनजोदड़ो की खुदाई में खोजे गए कार्बोनेटेड गेहूं के दाने भारत में पाये जाने वाले गेंहूं की एक किस्म है। कुछ लोगों का मानना है कि आटे से बनने वाली रोटी जैसी चीजें बाहर से आयी हैं। रोटी की खोज को लेकर काफी अलग-अलग मत हैं। कुछ का मानना है कि इसकी उत्पत्ति 5000 साल पहले मिस्र की सिंधु घाटी सभ्यता से हुई थी। जबकि अन्य स्रोतों से पता चलता है कि इसका निर्माण पूर्वी अफ्रीका में हुआ था और बाद में इसे भारत में लाया गया। हालाँकि, अधिकांश साक्ष्य इस आनंददायक साधारण रोटी की स्थापना दक्षिणी भारत में होने की ओर इशारा करते हैं, कहा जाता है जो पुर्तगालियों के द्वारा भारत लाया गया। हालांकि रोटी का उल्लेख 6000 साल पहले के प्राचीन संस्कृत पाठों में भी मौजूद है।