Nageshwar Nath Temple Ayodhya History In Hindi | जाने अयोध्या में स्थित त्रेतायुग के नागेश्वरनाथ ज्योतिर्लिंग के बारे में, जहां स्वयं प्रकट हुए थे भगवान शिव।
Shri Nageshwar Nath Mandir Ayodhya: कैसे हुई थी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की उत्पत्ति।
What Is Nageshwar Temple Famous For? अयोध्या के नागेश्वर नाथ ज्योतिर्लिंग की कहानी।
Nageshwarnath Temple Ayodhya Timings: अयोध्या में कौन सा ज्योतिर्लिंग है?
Ayodhya Ke Nageshwar Nath Jyotirling Mandir Kaise Pahuchen
आज हम आपको भगवान राम की नगरी अयोध्या में स्थित भगवान शिव के एक अद्भुत मंदिर के बारे में बताएंगे। वैसे तो अयोध्या को विश्व भर में अपने अध्यात्म और भगवान राम की जन्मभूमि के रूप में पहचान मिली हुई है। अयोध्या नगरी भगवान श्री राम के भक्तों के लिए परमधाम है। लेकिन यहां बाबा भोलेनाथ का एक ऐसा मंदिर मौजूद है जिसके बारे में कहा जाता है कि भगवान शिव यहां स्वयं प्रकट हुए थे। यहां भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में विद्यमान हैं। इसे श्री नागेश्वरनाथ मंदिर कहा जाता है, जोकि हर की पौड़ी पर स्थित है। दूर-दूर से लोग भगवन शिव के इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने के लिए आते हैं। सोमवार के दिन यहाँ शिव भक्तों का ताता लगा रहता है।
Nageshwarnath temple Ayodhya story in hindi
राम की पैरी पर स्थित नागेश्वरनाथ मंदिर अयोध्या का एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, जिसका गर्भगृह भारत के 12 ज्योतिर्लिंग (भगवान शिव के स्वरुप) में से एक है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान राम के छोटे बेटे कुश के द्वारा किया गया था। ऐसा कहा जाता है कि नहाते समय कुश ने अपना कवच सरयू नदी में कहीं खो दिया था, जोकि एक नागकन्या को जा मिला। बाद में इसी नागकन्या से कुछ को प्रेम हो गया। यह नागकन्या भगवान शिव की बहुत बड़ी भक्त थी। कहा जाता कुश ने भगवान शिव की भक्त नाग-कन्या के लिए एक शिव मंदिर की स्थापना की, जोकि श्री नागेश्वरनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर कहलाया।
नागलोक के देवता भगवान शिव की कथा
कुश को जब यह पता चला कि उनका कवच नागलोक में है तो उन्हें बहुत क्रोध आया। जब यह बात नागलोक पहुंची तो नागलोक के अधिपति कुमुद और उनकी पुत्री ने कुश के क्रोध से बचने के लिए भगवान शिव की आराधना की। भगवान शिव ने उनकी प्रार्थना सुनी और अयोध्या नगरी में कुश को दर्शन देकर नागलोक को क्षमा करने का आग्रह किया। भोलेनाथ को देकर कुश का क्रोध पूरी तरह से शांत हो गया। उन्होंने महादेव से अयोध्या नगरी में रहने का आग्रह किया। भगवान शिव ने कुश की बात का मान रखते हुए वहां ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए। नागलोक के देवता होने के नाते भोलेनाथ के इस ज्योतिर्लिंग को नागेश्वरनाथ के नाम से संबोधित किया गया। कहा जाता कुश ने भगवान शिव की भक्त नाग-कन्या के लिए शिव मंदिर की स्थापना की, जोकि श्री नागेश्वरनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर कहलाया।
नागेश्वरनाथ मंदिर अयोध्या
जिस जगह भगवान शिव ने प्रकट होकर दर्शन दिए थे कहा जाता है यह ज्योतिर्लिंग वहीं विद्यमान है। यह अयोध्या मंदिर अयोध्या में हर की पौरी पर स्थित है। इस मंदिर का जीर्णोद्धार 750 में नवाब सफदर जंग के एक मंत्री नवल राय के द्वारा किया गया था। मंदिर में जाने का सर्वोत्तम समय शिवरात्रि, नागपंचमी और सावन के समय माना जाता है। शिवरात्रि का उत्सव यहां पर बड़े ही धार्मिक उत्साह एवं धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर सड़कों पर भगवान शिव की बारात भी निकाली जाती है। सोमवार को भी यहां भक्त बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए आते हैं। यह मंदिर राम जन्मभूमि से 2-3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।