क्या सियासत के दंगल में चलेगा विनेश का जादू?

Will Vinesh's magic work in the political arena?
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Vinesh Phogat Political Party :  अभिनेता से नेता बनते हुए आपने बहुत लोगों को देखा होगा.लेकिन एक खिलाड़ी को खेल का मैदान छोड़कर सियासत के मैदान में कदम रखते हुए आपने बहुत कम ही बार देखा होगा अब इसका सबसे बड़ा उदाहरण अगर हम आपको बताएं तो वो कुश्ती की जानदार खिलाड़ी विनोद फोगाट से बड़ा नाम भला और क्या होगा.

विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया दोनों को कांग्रेस में शामिल

खड़गे साहब ने विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया दोनों को कांग्रेस में शामिल करा दिया है.दोनों 2:30 बजे कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे. इससे पहले दोनों ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी.अब ऐसी खबरें मिल रही हैं कि दोनों के हरियाणा विधानसभा चुनाव में लड़ने की संभावना है.

आपको याद होगा कि ठीक एक महीने पहले वो कुश्ती के मैदान में दांव लगा रही थीं, और आज को उनका राजनीति में डेब्यू हो गया है. पिछले एक-महीने में उनका जीवन उतार-चढ़ाव से भरा हुआ है. पहले वो ओलंपिक के फाइनल में पहुंची, लेकिन उन्हें कैटेगरी से ज़्यादा बढ़े वजन के चलते disqualified कर दिया गया. इसके बाद उन्होंने रिटायरमेंट की अनाउंसमेंट कर दी और अब वो राजनीति में दांव लगाएंगी.और राजनीति करने के लिए उन्होंने जिस पार्टी का चुनाव किया, वो किस लिए किया, चलिए इस ज़रा अच्छे से और डिटेल में समझते हैं.

भारत के कुछ दिग्गज पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे तो पूरा देश हिल गया था

 पिछले साल यानी 2023 में 18 जनवरी को जब विनेश समेत भारत के कुछ दिग्गज पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे तो पूरा देश हिल गया था.महिला खिलाड़ियों ने तब कुश्ती संघ के अध्यक्ष रहे बृजभूषण सिंह पर sexual harassment का आरोप लगाया था. मामला बढ़ा तो बृजभूषण को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी..

 भारतीय कुश्ती संघ में चुनाव का एलान हुआ और बृजभूषण के करीबी संजय सिंह 21 दिसंबर को अध्यक्ष चुने गए. संजय सिंह के अध्यक्ष बनते ही विनेश की साथी पहलवान साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ने का एलान कर दिया.उनके बाद बजरंग पूनिया ने पद्मश्री लौटा दिया और पैरा पहलवान वीरेंद्र सिंह ने भी पद्मश्री लौटाने की बात की... इसके बाद खेल मंत्रालय ने भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित कर दिया. फिर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक संघ ने भी भारतीय कुश्ती संघ को निलंबित कर दिया.

बृजभूषण पर आरोप तय होने के बाद सजा नहीं मिली

संजय सिंह को पहलवान अध्यक्ष मानने को तैयार हुए और आईओसी ने suspension हटा लिया. हालांकि, बृजभूषण पर आरोप तय होने के बाद सजा नहीं मिली तो विनेश ने भी खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार लौटाने का एलान कर दिया.दिल्ली में कई बार विरोध प्रदर्शनों के दौरान और ओलंपिक में फाइनल नहीं खेलने दिए जाने के बाद से विनेश फोगाट को लेकर हरियाणा समेत देशभर में सहानुभूति की जबरदस्त लहर दिखाई दी थी. पेरिस से खाली हाथ मायूस होकर दिल्ली लौटीं विनेश को देखकर कई खेलप्रेमियों के आंसू छलक पड़े थे.इसके बाद टीवी, रेडियो, अखबारों और सोशल मीडिया में विनेश फोगाट की तस्वीरों की लहर चल पडी.

आपको ये भी बता दें कि फोगाट ने सरकार विरोधी किसान आंदोलन को भी जमकर समर्थन दिया था... बीते दिनों शंभू बॉर्डर पर जारी किसानों के धरने में भी वो पहुंची थीं. वहीं, जींद में एक सामाजिक कार्यक्रम में भी उनका भव्य स्वागत किया गया था. खाप पंचायतों ने तो विनेश फोगाट को अलग से गोल्ड मेडल दे दिया और उनके लिए भारत रत्न तक की मांग कर डाली थी.,लगभग सभी जगह कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं को साथ देखकर विनेश फोगाट के चुनाव लड़ने की भविष्यवाणियां की जाने लगी थी.

विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया दोनों हरियाणा की राजनीति में असरदार जाट बिरादरी से संबंध रखते हैं

गौरतलब है कि राजधानी दिल्ली से सटे हरियाणा राज्य की पूरी राजनीति जाट बनाम गैर जाट के सियासी और जातीय गोलबंदी के समीकरण पर चलती है.हरियाणा में पिछले एक दशक से जारी भाजपा की सरकार में गैर जाट नेताओं की ताकत बढ़ी है...भाजपा ने पहले मनोहर लाल खट्टर और फिर नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया. इससे पहले साल 2005 से 2014 तक हरियाणा में कांग्रेस ने जाट बिरादरी से आने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाया हुआ था. इसको लेकर Political rivalry सतह पर आ चुकी है.

आपको मालूम ही होगा कि विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया दोनों हरियाणा की राजनीति में असरदार जाट बिरादरी से संबंध रखते हैं. हरियाणा में रोहतक, सोनीपत, हिसार, भिवानी, जींद, कैथल, चरखी दादरी और सिरसा तक जाट समुदाय ही कई विधानसभा सीटों पर जीत-हार का फैसला करता है. हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से इन इलाकों की 36 विधानसभा सीटों पर जाट वोटर्स निर्णायक साबित होते हैं. इसलिए कांग्रेस ने हुड्डा परिवार की पैरवी, सहानुभूति लहर और जाट समुदाय के वोटों की उम्मीद में विनेश फोगाट के पक्ष में दांव लगाया है. कुल मिलाकर निष्कर्ष यही निकलता है कि विनेश फोगाट और बजरंग पूनिया को कांग्रेस से शहर है और कांग्रेस को इन दोनों से. अब इसके काट के लिए बीजेपी क्या दांव लेकर फ्रंट पर आती है, ये देखना बेहद दिलचस्प रहेगा

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