History of holi भारत में सबसे पहले होली कहाँ खेली गई? जानिए कहाँ पहली बार हुआ था होलिका दहन

Holi history

सबसे पहले होली कब मनाई गई थी?

Vishesh Desk - भारतीय संस्कृति में होली को सबसे प्राचीन और प्रमुख त्योहार माना गया है. होली रंगों का उत्सव है. हिन्दू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को यह त्योहार मनाया जाता है. होली सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं है बल्कि यह त्योहार दुनिया के अन्य देशों में भी धूमधाम से मनाया जाता है. विदेशी सरजमीं पर भारतीय संस्कृति की झलक अगर किसी त्योहार में सबसे ज्यादा दिखाई देती है तो वह होली है.

भारत में बरसाने की होली सबसे प्रसिद्ध मानी जाती है. भगवान श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा के बरसाने में होली का त्योहार निश्चित तारीख से एक हफ्ते पहले ही जोर-शोर मनाया जाता है. बरसाने की होली खेलने भारतीयों के अलावा दुनिया के कोने-कोने से विभिन्न देशों के भी लोग भारत आते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि सबसे पहले

होली कहाँ खेली गई थी? 

इस शहर में पहली बार खेली गई होली

होली का इतिहास भारत की सरजमीं से जुड़ा हुआ है. होली के त्योहार की शुरुआत रानी लक्ष्मीबाई के शहर झांसी से ही हुई थी. झांसी में आज भी वह स्थान मौजूद है जहां पहली बार होलिका दहन हुआ था. वैसे तो होली की शुरआत को लेकर कई किद्वन्तियाँ हैं. लेकिन विश्व की पहली राजधानी के रूप में विख्यात एरच नगर से जुड़ी एक कथा पुरे विश्व में प्रसिद्ध है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एरच नगर असुर राजा हिरण्यकश्यप की राजधानी थी. इसी एरच में भक्त प्रहलाद का जन्म हुआ. प्रहलाद अपने पिता की इच्छा के विरुद्ध जाकर भगवान विष्णु की भक्ति में लीन थे. यह भक्ति देख हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को मारने के कई प्रयास किए. कभी उन्हें सांप से कटवाया तो कभी पहाड़ से नीचे फेंक दिया था. 

ऐसे हुई होलिका दहन की शुरुआत   

इसके अलावा हिरण्यकश्यप ने प्रहलाद को आग में जलाने की कोशिश की थी. पौराणिक मानयताओं के अनुसार, होलिका को एक वरदान प्राप्त था, जिससे वह आग में नहीं जल सकती थीं. होलिका के पास एक चमत्कारिक चुनरी थी, जिसे ओढ़ने के बाद आग उसका कुछ नही बिगाड़ सकती थी. हिरण्यकश्यप के कहने पर होलिका प्रहलाद को अपनी गोद में लेकर आग में बैठ गईं. हालांकि, कुछ देर बाद लोगों को लगा की प्रहलाद इस आग में जल कर भस्म हो गए लेकिन इसके विपरीत होलिका जल गई और भक्त प्रहलाद जीवित बच गए. इस घटना के बाद ही शुरू हुई होलिका दहन की प्रथा शुरू हुई. आज भी होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है. 

ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड की होली है बड़ी खास

Wikipedia के अनुसार भारत से शुरू हुई होली अब विश्व भर में मनाई जाती है ।

यह जानकर आपको हैरानी नहीं होगी कि नेपाल में भी पूर्णिमा के दिन गुब्बारे की होली खेलने का रिवाज़ है. इसके अलावा दुनियाभर के कई ऐसे देश हैं जहां होली बड़े ही धूम धाम से मनाई जाती है. जैसे की थाईलैंड में होली को “सोंगक्रान” कहा जाता है. थाईलैंड के लोग खास तौर पर ठंडे पानी से होली खेलते हैं. इसके अलावा  न्यूजीलैंड में भारतीय परंपरा में होली खेली जाती है. यहाँ तकरीबन 6 दिनों तक होली मनाई जाती है.

ऑस्ट्रेलिया की वाटरमेलन वाली होली काफी पॉपुलर है, जहाँ लोग एक दूसरे पर तरबूज फेंकते हैं. गौरतलब है कि ऑस्ट्रेलिया में होली का त्योहार एक साल में दो बार मनाया जाता है.

होली का त्योहार रंगों की भरमार के अलावा बुराई पर अच्छाई की जीत को भी दर्शाता है. होली के प्रारंभिक इतिहास में विभिन्न लोक कथाओं और पुराणों के अनुसार है, यह प्रेम और सद्भाव का त्योहार है. इस त्योहार की जड़ें प्रमुखतः राधा-कृष्ण की प्रेम कहानियों से जुड़ी हुईं हैं. इस उत्सव के दौरान, लोग एक-दूसरे पर रंग फेंककर ख़ुशी मनाते हैं और साथ में मिलकर मिठाई खाते हैं.

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