विकास के महाभारत में हुआ चीरहरण
विकास के महाभारत में हुआ चीरहरण
- तोड़ -फोड़ ,जोड़ तोड़ रहा हावी
- तो क्या महज हो हंगामा करके विधान सभा चुनाव में रोटी सेंकने के लिए चूल्हा जला रही थी विपक्ष
(पंकज मिश्रा)
छी........छि ..सच बताएं ये राजनीति का स्तर देख कर घिन्न आती है। ये यूपी में ब्लाक प्रमुख का चुनाव नही कौरव व पांडव के बीच का महाभारत सा रहा है। कोई चीरहरण कर दुशासन बनने पर उतारू था,तो कोई खून का प्यासा बन दुर्योधन जैसे सब स्वयं ही हड़प लेना चाह रहा था। भले ही ये बात जनता को न समझ में आया हो कि कौरव कौन पांडव कौन। लेकिन जनता की दशा कुंती सरीखे रही। लखीमपुर में द्रोपदी सा भरी सभा में महिला नेत्री का चीरहरण होता रहा। लेकिन जनता मुँह लटकाए टुकुर-टुकुर चुप सब देखती रही। सीतापुर में चुनावी तांडव होता रहा।
अग्निये अस्त्र आग उगलते रहे। बस विकास की जद्दोजहद दिखी। किसी को माल की,किसी को आगामी विधान सभा चुनावी समर में बिछने वाले बिसात की। इन प्रतिनिधिओं में लोगों के विकास के लिये इतनी व्याकुलता देख सब धर्म युद्ध के पांडव ही लग रहे थे, की सच में ये गरीब-गुरबों की खातिर जंग के लिये तैयार हैं साधारण नही हैं। लेकिन पशुता-क्रूरता देख भ्रम का अन्दाजा हो गया। महात्मा व अटल जी की आत्मा ऊपर से देख रही होगी तो वह भी रोवे बिना न रह पाए होंगे। लोकतंत्र का स्तर ये तो नही था। काश जनता को सद्बुद्धि आए, समय आने पर अचूक निशाना लगाए।