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फूलन देवी की हकीकत क्या है | Fulan Devi Ki Kahani?
फूलन देवी की कहानी कैसे डाकू बनी | Fulan Devi Ko Kisne Mara ?

Fulan Devi Daku Kaise Bani
फूलन देवी डाकू की कहानी
Who Is Fulan Devi In Hindi
फूलन देवी... ये नाम एक बार फिर चर्चा में बना हुआ है... और उसकी वजह है बेहमई कांड पर फैसला आना... क्या है ये बेहमई कांड पहले तो यह जान लीजिए... दरअसल बात 43 साल पुरानी है... 14 फरवरी, साल 1981 की तारीख कानपुर के बेहमई गांव के लोगों के लिए एक डरावनी तारीख साबित हुई... क्योंकि इस दिन 20 लोगों को एक साथ लाइन में खड़ा करके गोलियों से छन्नी कर दिया गया था... इस बर्बर और जघन्य हत्याकांड का आरोप लगा फूलन देवी और उनके साथियों पर... वो ही फूलन देवी जिन पर बैंडित क्वीन नाम की एक फिल्म भी बन चुकी है... वो ही फूलन देवी जिनकी एक वक्त पर अपराध जगत में तूती बोलती थी... वो ही फूलन देवी जो एक समय पर ख़ौफ का दूसरा नाम थीं...
Bandit Queen फूलन देवी की जिंदगी पर विशेष
मन में एक सवाल ये आता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि गांव की रहने वाली एक सीधी साधी महिला को एक रूह कंपा देने वाले हत्याकांड को अंजाम देना पड़ा... इसके पीछे प्रतिशोध की एक लंबी कहानी है जिसके बारे में आज हम आपसे चर्चा करने जा रहे हैं... एक डकैत, एक रेप सर्वाइवर, एक नेता और एक विक्टिम... यह पहचान रही है फूलन देवी की... जिसकी जिंदगी और मौत की कहानी यकीनन आपके मन में भी कई सवाल पैदा कर देगी... कुछ का मानना है कि फूलन देवी एक निर्मम हत्यारी थी तो वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो फूलन देवी को एक रोल मॉडल के रूप में देखते हैं... इसकी वजह क्या है चलिए इसे जानने के लिए फूलन देवी की जिंदगी के कुछ अहम पहलुओं पर नजर डालते हैं... फूलन देवी 10 अगस्त 1963 में एक बेहद गरीब मल्लाह परिवार में जन्मीं थीं... संपत्ति के नाम पर उनके पास एक छोटा सा जमीन का टुकड़ा ही था... जब फूलन के दादा का देहांत हुआ तो उन्हें लगने लगा कि उनके चाचा उनके पिता पर जबरन हक जता रहे हैं... और यह सच भी था क्योंकि उनके चाचा उस छोटी सी जमीन पर भी कब्जा जमा बैठे... फूलन उस वक्त सिर्फ 11 साल की ही थीं... इस छोटी सी उम्र में उन्होंने धरना दिया और ऐसा करने के जुर्म में उन्हें बुरी तरह से पीटा गया... खैर, 11 साल की उम्र में ही उनकी शादी पुत्तीलाल मल्लाह नाम के एक शख्स से कर दी गई थी... जिससे उनकी शादी हुई वह उनसे उम्र में तीन गुना बड़ा था... फूलन की शादी जिस इंसान से हुई थी वो जल्लाद किस्म का था और उनके साथ रेप करने के साथ-साथ उन्हें बहुत मारा-पीटा करता था... एक लंबे समय तक फूलन ने ये सब सहा और फिर वह किसी तरह वहां से भाग निकलीं...
फूलन देवी डाकू की कहानी
फूलन जब अपने पैतृक गांव 'गोरहा का पुरवा' वापस आईं तब तो उनकी जिंदगी और अज़ाब बन गई... क्योंकि पति को छोड़कर आने की वजह से उन्हें तंग किया जाने लगा... सीधे तौर पर कहें तो फूलन की जिंदगी में कुछ भी अच्छा नहीं चल रहा था... हद तो तब हो गई जब उनके घर वाले भी उन्हें जली कटी सुनाने लगे... पति तो मारता ही था लेकिन अब उनके घर वाले भी हाथापाई करने लगे... इन सब चीजों ने फूलन देवी को अंदर से तोड़ कर रख दिया... अब फूलन देवी अकेले बीहड़ों में घूमने लगीं... और एक दिन डकैतों के एक झुंड से उनकी मुलाकात हुई और वह डकैतों के उसी झुंड में शामिल हो गईं... बाबू गुज्जर नाम के डकैत ने फूलन को अपने साथ रख लिया... फूलन उसके साथ जाना नहीं चाहती थी, लेकिन बाबू गुज्जर ने जबरदस्ती उन्हें उठा लिया... बाबू गुज्जर की भी नियत गंदी थी... उसने कई दिनों तक फूलन का रेप किया और बंदी बनाकर रखा... इन सबके बीच झुंड के ही एक दूसरे डकैत जिसका नाम विक्रम मल्लाह था उसने बाबू गुज्जर को मार दिया और फूलन के साथ रहने लगा... फूलन की जिंदगी पटरी पर आई ही थी लेकिन शायद उनकी बुरी किस्मत उनका पीछा नहीं छोड़ रही थी... जेल से दो भाई श्रीराम और लाला राम छूटकर बाहर आए... ये दोनों ऊंची जाति के राजपूत थे और बाबू गुज्जर की मौत से गुस्सा थे... दोनों ने मल्लाहों के गांव पर हमला बोल दिया और इस लड़ाई में विक्रम मल्लाह को गोली लग गई... उन्होंने फूलन देवी को फिर से बंदी बना लिया... तीन हफ्तों तक फूलन के साथ रेप होता रहा, उन्हें बुरी तरह से मारा-पीटा गया और उनकी बेइज्जती की गई... उन्हें बेहमई गांव ले जाया गया था और आखिर में बर्बरता की सारी हदों को पार करते हुए उन्हें पूरे गांव के सामने बिना कपड़ों के चलवाया गया... यह वह घटना थी जिसे फूलन के ज़हन में प्रतिशोध की आग जला दी... किसी तरह फूलन देवी वहां से भागने में कामयाब रहीं और वापस डकैतों से जा मिलीं...
फूलन देवी ने कितने ठाकुर को मारा था?
अब बारी थी फूलन देवी की... फूलन ने दोबारा मल्लाहों की गैंग बनाई और ऊंची जाति के लोगों से बदला लेने की ठान ली... अब आती है 14 फरवरी 1981 की वो तारीख जिस दिन बेहमई हत्याकांड अंजाम दिया गया... फूलन देवी ने अपने डकैत साथियों के साथ मिलकर ऊंची जाति के लोगों के साथ बेहमई नाम के एक गांव पर धावा बोला और उसी जगह पर 20 लोगों को एक साथ लाइन में खड़ा कर मार डाला जहां उन्हें बिना कपड़ों के चलवाया गया था... इस हत्याकांड के बाद शासन की तरफ से फरमान निकाला गया कि कहीं से भी ढूंढ कर फूलन देवी और उनके साथियों को निकाला जाए... बाकी लोग तो ढूंढ निकाले गए लेकिन फूलन देवी उनके हाथ नहीं लगीं... हालांकि, दो साल बाद फूलन देवी ने सरेंडर कर दिया और उन पर डकैती, मौत, किडनैपिंग सहित कई जुर्मों को लेकर केस चले... 11 सालों तक वो अंडरट्रायल रहीं... लेकिन मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद फूलन देवी पर से सारे मुकदमे वापस ले लिए गए और उन्हें उनकी पार्टी से सांसदी का टिकट दिया गया और वह भारी मतों से जीत कर एमपी बन गईं... एक सांसद के तौर पर फूलन देवी ने विकास के कई काम किये... हालांकि, 25 जुलाई 2001 को उनके घर के सामने ही उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया...
अब जब बेहमई कांड पर फैसला आया है तो हर तरफ फूलन देवी की बात की जा रही है... वैसे फूलन देवी की कहानी सुनने के बाद, आप उन्हें एक क्रूर अपराधी या एक रोल मॉडल, दोनों में से किस श्रेणी में रखते हैं इसका फैसला हम आप पर ही छोड़ते हैं...