GuruPurnima2019 महर्षि वेदव्यास के याद में मनाया जाता है गुरु पूर्णिमा
GuruPurnima2019 ज्ञान का व्यापार करने वाले को गुरु नही कह सकते
डेस्क - हिंदी शास्त्रों के अनुसार गुरु पूर्णिमा का उत्सव महर्षि वेदव्यास के याद में मनाया जाता है इसी दिन महाभारत और चारों वेद के रचयिता इस महान संत का जन्म हुआ था इसी कारण इसे व्यास पूर्णिमा और आदि गुरु पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है भक्ति काल में कबीर दास के शिष्य घीसालाल का जन्म भी इसी दिन हुआ था यह दिन आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को आता है इसी दिन गुरु पूजा की जाती है और गुरु को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा प्रदान किया जाता है .
GuruPurnima2019 गुरु पूर्णिमा के उत्सव सावन महीने के शुरू होने से 1 दिन पहले मनाया जाता है विश्व भर में गुरु पूर्णिमा एवं बड़ी श्रद्धा एवं धूमधाम से मनाया जाता है विभिन्न धर्मों हिंदू जैन और बौद्ध धर्म में गुरु का अपना महत्व है.
अपने सनातन धर्म में गुरु और शिष्य के अतुलनीय रिश्ते को महिमा पूरे जगत में पाई है गुरु को भेंट में अपने हाथ का अंगूठा काटकर रचना देने वाले को कौन भूल सकता है बर्बरीक का शीश दान गुरु श्री कृष्ण को प्रदान करना भी कोई भूल नहीं सकता.
गुरु की महिमा गुरु वही है जिससे हम कुछ सीख सकते हैं हमारी आध्यात्मिक उन्नति हो सके गुरु ज्ञान का प्रकाश देने वाले और अंधकार को दूर करने वाले होते हैं उनके सानिध्य में व्यक्ति शब्द मार्ग पर चलकर मोक्ष की प्राप्ति करता है ध्यान रहे गुरु शिक्षा में व्यापार नहीं होना चाहिए दी कोई गुरु अर्थ के बदले ज्ञान देने की बात करता तो वह व्यक्ति गुरु कहलाने लायक नहीं है .
बाबा गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज ने अपने रामचरितमानस की शुरुआत में ही गुरु की वंदना करते हुए लिखते हैं .
बंदउँ गुरु पद पदुम परागा सुरुचि सुबास सरस अनुरागा ।अमिय मूर मई चूरन चारू समन सकल भव रुज परिवारु।
इंद्र नारायण तिवारी
साभार हनुमत कृपा पत्रिका
संपादक नरेश दीक्षित