जब्त की हुई संपत्ति का सरकार क्या करती है | Property Attachment In CPC

संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया क्या है | Sarkar Kisi Ki Sampatti Kyu Jabt Karti Hai?

property attachment in cpc

Jabt Sampatti Ka Matlab?

सरकारी संपत्ति को नष्ट करना क्या है?

Kurki Kya Hota Hai?

आपने अक्सर समाचार पत्रों और टीवी न्यूज़ चैनलों में देखा-सुना होगा कि फलाना शख्स की संपत्ति जब्त कर ली गई है... अक्सर सरकार की तरफ से यह कार्रवाई माफिया, गुंडे-बदमाशों और धोखाधड़ी या गबन करने वालों पर की जाती है... लेकिन क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश की है कि जब्त की हुई संपत्ति का सरकार आखिर करती क्या है... चलिए आज इसी सवाल पर ज़रा तफ्सील से चर्चा करते हैं...

जानें किसकी संपत्ति जब्त कर सकती है सरकार? संपत्तियों का कैसे इस्तेमाल करती है सरकार?

सबसे पहले यह जान लीजिए कि संपत्ति की जब्ती या कुर्की जिसे अंग्रेजी में Attachment of Property कहते हैं, इससे क्या मुराद है... संपत्ति की कुर्की एक कानूनी प्रक्रिया है जिसका ज़िक्र सीआरपीसी की धारा 82, 83, 84 और 85 में किया गया है... संपत्ति कुर्क एक न्यायिक प्रक्रिया है यानी एक judicial process है जिसकी कार्यवाही तब की जाती है जब किसी किस्म का अपराध करने वाला कोई अपराधी अदालत या पुलिस की पकड़ से फरार हो जाता है... तब अदालत के पास यह अधिकार होता है कि वो उस अपराधी की संपत्ति को अपने कब्जे में ले सकती है... उस संपत्ति को कानून तब तक अपने कब्जे में रखती है जब तक कि फरार हुआ अपराधी अपने अपराध के लिए सजा न भुगत ले और अदालत के सामने आकर आत्मसमर्पण न कर दे...

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जब्त की हुई संपत्ति को सरकार कहाँ नीलाम करती है?

इसे लेकर सीआरपीसी की धारा 82 यह कहती कि अगर कोई शख्स जिसके खिलाफ वारंट निकाला गया है वह किसी अपराध की सजा से बचने के लिए या कर्ज चुकाने से बचने के लिए फरार हो जाता है तो ऐसी स्थिति में अदालत ऐसे शख्स को कम से कम 30 दिन के अंदर एक निश्चित जगह पर खुद को पेश करने के लिए लिखित उद्घोषणा यानी Proclamation प्रकाशित करवा सकती है... इस उद्घोषणा को जब्त की गई संपत्ति के आसपास के क्षेत्र में ही चिपकाया जाता है... एक तरह से कहा जाए तो फरार व्यक्ति को एक मौका दिया जाता है... खैर, मान लीजिए कि फरार शख्स उद्घोषणा को पढ़कर या किसी और वजह के चलते हाजिर हो जाता है तो ऐसी स्थिति में अगली कानूनी प्रक्रिया क्या होती है इसका जिक्र सीआरपीसी की धारा 85 में बताया गया है... इस धारा के मुताबिक फरार हुआ शख्स अगर तय समय के अंदर हाजिर हो जाता है तो कोर्ट संपत्ति को कुर्की से मुक्त करने का आदेश दे देती है... लेकिन अगर व्यक्ति तय समय के अंदर नहीं पहुंचता है तो संपत्ति राज्य सरकार के अंतर्गत ही रहती है... वहीं अगर कुर्की की तारीख से 2 साल के अंदर व्यक्ति जिसकी संपत्ति राज्य सरकार के अंतर्गत रही है वह कोर्ट के सामने हाजिर हो जाए और वह यह साबित कर दे कि वह वारंट के डर से नहीं छिपा हुआ था बल्कि किसी और वजह से अदालत के सामने हाजिर होने की स्थिति में नहीं था तो ऐसे में कुर्की की हुई संपत्ति को किस तरह से वापस किया जाए इसके बारे में इस धारा में बताया गया है...

kurki kya hota hai

खैर, अब यह जान लीजिए कि जब्त की गई संपत्ति का सरकार आखिर करती क्या है... सरकारी एजेंसियों को यह अधिकार है कि जब्त की गई संपत्तियों और गहनों को दोष सिद्ध होने के बाद वो नीलाम कर सकती हैं... कोर्ट में केस खत्म होने और दोष सिद्ध हो जाने के बाद केंद्रीय एजेंसियां गहने, गाड़ियां, घर, फ्लैट और बंगले जैसे अचल संपत्ति को नीलाम कर सकती हैं... इतना ही नहीं, अगर इन मामलों के चलते किसी अन्य पक्ष को किसी तरह का नुकसान हुआ हो या किसी तरह से प्रभावित हुए हो, तो उसके घाटे की वसूली भी इन्हीं नीलामी में मिले पैसों से की जाती है... उसके बाद जो भी पैसे बच जाते हैं, वो सरकारी खजाने में भेज दिए जाते हैं...

 

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