Jain Dharm Ke Bae Mein Puri Jankari : जैन धर्म की विशेषता क्या है?

Jain Dharm Ke Log Kaise Rahte Hain?

जैन धर्म को कैसे अपनाएं

Jain Dharm Ke Log Kaun Hote Hain?

Jain Dharm In Hindi

Jain Dharm Ke Log Kaise Rahte Hain?
 

अभी हाल ही में सोशल मीडिया पर गुजरात का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें देखा जा सकता था कि राजशाही के हुलिए में एक दंपत्ति सड़क के बीचों-बीच लोगों पर पैसा और सामान लुटाता चल रहा था... गुजरात के साबरकांठा के पास पड़ने वाले हिम्मतनगर कस्बे का ये वीडियो जिस किसी ने भी देखा वो हैरान हो गया, क्योंकि मौजूदा दौर में जब थोड़े बहुत पैसों के लिए ही लोगों की हत्याएं जैसे बेहद संगीन जुर्म सरअंजाम दिए जा रहे हैं, तो ऐसे वक्त में कोई कैसे अपनी दौलत बीच सड़क पर यूंही लुटा सकता है... 

गुजरात के बिजनेसमैन भावेश भंडारी ने 200 करोड़ दान करने के लिए जैन धर्म को क्यों चुना?

खैर, बाद में पता चला कि जो शख़्स दोनों हाथों से पैसा लुटा रहे हैं, वो बिजनेसमैन भावेश भाई भंडारी हैं... सबको लगा कि इतने बड़े बिजनेसमैन हैं, तो हो सकता है कि किसी मन्नत के पूरी होने पर वो अपनी खुशी से थोड़ा बहुत पैसा लुटा रहे हैं... लेकिन नहीं, वो अपनी थोड़ी बहुत दौलत नहीं, बल्कि इतने सालों की मेहनत में जमा की गई अपनी कुल 200 करोड़ की संपत्ति ही दान करने के लिए निकले थे...

jain dharm ke log kaise rahte hain

जी हां, हमने जो आपको बताया है वो पूरी तरह से सच है... गुजरात के बिजनेसमैन भावेश भाई भंडारी ने 200 करोड़ रुपये की संपत्ति को दान करने सांसारिक मोहमाया से संन्यास लेने का फैसला किया है... दंपती ने ये फैसला खुद के बेटे और बेटी के दीक्षा लेने के बाद लिया है... भावेश भंडारी ने ऐलान किया है कि उनका लक्ष्य संयमित जीवन जीने का है... उनका लक्ष्य संन्यास है न कि सांसारिक मोह... भंडारी दंपती के संन्यास लेने के पीछे उनके बेटे और बेटी को मुख्य वजह माना जा रहा है... चर्चा है कि बेटा-बेटी के दीक्षा ग्रहण करने के बाद ही भंडारी दंपती का भी सांसारिक जीवन से मोहभंग हो गया था...

जैन धर्म का मुख्य योगदान क्या है?

आपको बता दें कि बिजनेसमैन भावेश भंडारी कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में सक्रिय थे... भावेश भंडारी के परिचित बताते हैं कि भावेश और उनकी पत्नी को दुख-दर्द से कोई वास्ता नहीं रहा है... वे एक समृद्ध परिवार में पैदा और बड़े हुए हैं... ऐसे में उनके लिए सांसारिक मोह-माया को त्याग करने का ये फैसला निश्चित तौर पर काफी कठिन रहा होगा...  खैर, बताया जा रहा है कि भावेश भंडारी 22 अप्रैल को अपनी पत्नी जीनल के साथ अहमदाबाद रिवरफ्रंट पर जैन धर्म की दीक्षा लेंगे... इसके बाद फिर संयमित जीवन जिएंगे... दंपति को दीक्षा लेने के बाद सभी पारिवारिक रिश्ते तोड़ने पड़ेंगे... इतना ही नहीं वे कोई भी सुख-सुविधा की वस्तु भी अपने पास नहीं रख पाएंगे...

jain dharm ke log kaise rahte hain

इसके साथ ही उन्हें सिर्फ नंगे पैर चलने की अनुमति होगी और सिर्फ भिक्षा पर ही जीवित रहेंगे... दंपति को अपने बेटा और बेटी की तरह ही आगे की जिदंगी सादगी और संयम से बितानी पड़ेगी... इस दौरान उनके पास केवल दो सफेद वस्त्र, भिक्षा के लिए एक कटोरा रखने की अनुमति होगी... एक सफेद झाड़ू जिसका उपयोग जैन भिक्षु बैठने से पहले एक क्षेत्र से कीड़ों को दूर करने के लिए करते हैं, उसे रखने की अनुमति होगी... इतना ही नहीं उन्हें जीवन में अहिंसा का मार्ग अपनाना पड़ेगा.. कहते हैं कि भक्ति भाव एक ऐसी चीज़ है जो आपको इस मायावी दुनिया की माया जाल से मुक्ति दिलाती है... लेकिन, इस भाव के लिए आपको कड़ी तपस्या भी करनी पड़ती है, वो तपस्या भावेश भंडारी का पूरा परिवार कर रहा है...

जैन धर्म को कैसे अपनाएं?

आपको बता दें कि देश की कुल आबादी करीब 125 करोड़ में से कुल 1 करोड़ जैन हैं, लेकिन इनकी अहमियत प्राचीन काल से बरकरार रही है... 'जियो और जीने दो' जैसे नारे की वजह से इन्हें दुनिया भर में सम्मान की नजर से देखा जाता है... जैन दुनिया के सबसे पुराने स्वतंत्र धर्मों मे से है... जैन सिर्फ आगे बढ़ने और किसी से न उलझने में विश्वास रखते हैं... उनका ये फंडा बिजनेस में साफ तौर पर नजर आता है... सादा जीवन और ऊंची सोच इस कम्युनिटी का पैरामीटर बन चुकी है... जैन धर्म में दान परंपरा को सबसे ज्यादा अहमियत दी गई है... ये किसी की मदद करने में ये कभी पीछे नहीं रहते...

जैन धर्म को कैसे अपनाएं

यही वजह है कि जैन समाज बड़े-बड़े अस्पताल, कॉलेज, स्कूल, धर्मशाला आदि बनवाने के अलावा गरीब लड़कियों की शादी कराने में काफी आगे नजर आता है... कहा जाता है कि भारत में सबसे ज्यादा इनकम टैक्स भी जैन ही चुकाते हैं... ये कौम रूढ़िवादी नहीं, बल्कि प्रगतिशील हैं और स्त्री समानता की प्रबल समर्थक भी...

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