Bali Pratha In India : दुर्गा पूजा में बलि क्यों दिया जाता है?
Kya Janvaron Ki Bali Se Bhagwan Khush Hote Hain?
Bali Pratha In India
Is Bali Pratha Legal?
Animal Sacrifice In Hinduism
Bali pratha in india : क्या किसी भगवान को खुश करने के लिए जानवरों की हत्या करना सही है, या किसी देवी को प्रसन्न करने के लिए बलि प्रथा करना कितना उचित है आज इसपर खास बात करेंगे। लेकिन उसके पहले अगर मैं आपसे पूछूं की, दुनिया में सबसे कोमल हृदय किसका है तो सबसे पहले आपका जवाब होगा, माँ... और ये सच भी है,लेकिन अगर मैं आपसे कहूं की किसी माँ को खुस करने के लिए जानवरों की बलि की जरुरत पड़ती है, तो क्या आपको यकीन होगा। पर ये सच है, बहुत सारी ऐसी जगह हैं जहां दुर्गा अस्टमी में माँ को जानवरों की बलि चढ़ाई जाती है...
क्या दुर्गा माँ को जानवरों की बलि देना सही है, या गलत?
लेकिन ऐसे में सवाल ये उठता है की जो धर्म, जीव हत्या को पाप बताता हो, उसमे मासूम जीवों की बलि क्यों दी जाती है... इस बलि प्रथा का धर्म से कोई सम्बन्ध है भी, या फिर ये किसी अन्धविश्वास का हिस्सा है... देखिये, बलि प्रथा के बारे में हम सालोँ से सुनते चले आ रहे है, इस प्रथा में मुख्यतः बकरे, मुर्गे और भैंसे की बलि का प्रचलन है.... ये एक बहुत ही पुरानी सामाजिक प्रथा है, इसलिए इसकी शुरुआत कब और कहाँ से हुई, ये बताना शायद मुश्किल होगा। लेकिन अगर हम सनातन धर्म की बात करें। तो उसमे विश्व कल्याण और प्राणियों की रक्षा की बात की गई है... और हिन्दू धर्म के किसी भी ग्रन्थ में पशु बलि को सही नहीं बताया गया है, ये पूर्णतः वर्जित है...
वहीँ भारत में कई बहुत मंदिर हैं, जहां बलि देने की परंपरा रही है. वैसे कई मंदिरों में अब इस प्रथा को बंद कर दिया गया है, लेकिन कई जगह अभी भी ये प्रथा जारी है. specially काली माता या दुर्गा माता के मंदिर में . वहीं, इन दिनों तो नवरात्र में मांस की बिक्री को लेकर बहुत बवाल भी हो रहा है और 9 दिन तक मांस की बिक्री पर बैन लगाए जाने की बात की जा रही है. ऐसे में लोगों का सवाल है कि जब एक तरफ मांस नहीं खाने या जानवर को ना काटने की बात कही जाती है तो फिर कई मंदिरों में देवी को बलि चढ़ाई जाती है.. ऐसे में सवाल ये है की बलि के पीछे का रीज़न क्या है और हिंदू देवी-देविताओं के क्यों बलि चढ़ाई जाती है.
बलि प्रथा की शुरुआत कब हुई?
तो मैं आपको बता दूँ की बलि प्रथा का प्रचलन हिन्दुओं के तांत्रिक संप्रदाय में ही देखने को मिलता है... लेकिन इसका कोई भी धार्मिक आधार नहीं है.. लेकिन शाक्त या तांत्रिक सम्प्रदाय भी शुरुआत से ऐसा नहीं था, उन्होंने अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए ऐसे कई अन्धविश्वास शुरू किये। बहुत सारी जगह पर किसी लड़के के जन्म होने पर जानवर की बलि दी जाती है तो वहीँ कुछ समाज में विवाह आदि में बलि का प्रचलन है... जो की पूरी तरह से गलत है, वेदों में कहीं भी बलि प्रथा की इजाजत नहीं दी गई है.. अगर आप मासांहारी हैं तो आप मांस खाइये, लेकिन धर्म की आड़ में नहीं।
वहीँ कुछ लोग इसे वैदिक काल से जोड़ते हैं, उनके अनुसार वैदिक काल में यज्ञ में पशुओं की बलि दी जाती थी... लेकिन ऐसा कहने वाले लोग वैदिक शब्द का गलत अर्थ निकलते हैं... क्यूंकि वेदों में सिर्फ पांच प्रकार के यज्ञों का वर्णन मिलता है जिसमे ( ब्रम्हयज्ञ, पितृयज्ञ, देवयज्ञ, वैश्वदेवयज्ञ और अतिथि यज्ञ शामिल हैं. वेदों में ऐसे सैकड़ों मंत्र और ऋचाएं हैं जिससे ये सिद्ध हो जाता है की बलि प्रथा पूरी तरह से वर्जित है और ये हिन्दू धर्म का हिस्सा नहीं है... और जो भी बलि प्रथा का समर्थन करता है वो धर्म के विरुद्ध है और वो असुर और दानवी आचरण का है... तो अब ये फैसला आपका है की आप अपने धर्म और वेदों की लिखी बातों का पालन करते हैं या कुछ अंधविश्वासों का....