भारत में किसान आंदोलन के प्रमुख कारण क्या हैं | Kisan Andolan News Latest In Hindi 

एमएसपी क्या है और इसके फायदे | Kisan Andolan Ke Pramukh Karan Kya Hai?

किसान पेंशन योजना क्या है

Kisan Andolan Reason In Hindi

किसानों की मांगे क्या है?

MSP Kya Hota Hai?

किसान हमारा अन्नदाता है... जब वो खेतों में अपना खून पसीना बहाता है तब जाकर हमारा पेट भर पाता है... लेकिन आज वोही किसान परेशान है... वो गुस्से में है... उसे लग रहा है कि उसके साथ ज़्यादती की जा रही है... लिहाज़ा, उसने अब विरोध का एक अनोखा रास्ता अपना लिया है... वह देश की राजधानी दिल्ली को घेरने के लिए निकल चुका है...

सरकार को कोस कर कहीं ग़लती तो नहीं कर रहे आप?

हालांकि वह बात अलग है कि प्रशासन ने इतना तगड़ा इंतजाम किया हुआ है कि किसान दिल्ली में दाखिल ही नहीं हो पा रहा है... वह पिछले 5 दिनों से दिल्ली पर अपने पांव जमाने की कोशिश में लगा हुआ है लेकिन उसकी यह कोशिश नाकाम साबित हो रही है... एक आम नागरिक होने के चलते किसानों के प्रति हमारे दिल में एक सॉफ्ट कॉर्नर होता है... यह भी बात सही है कि हमारे आपके बीच से निकले हुए नागरिक ही सरकार में बैठे हुए हैं... बावजूद इसके सरकार किसानों की मांगों को पूरा नहीं कर पा रही है... ऐसे में सवाल ये आता है कि क्या सरकार में जाते ही वो आम नागरिक इतने मशगूल हो जाते हैं कि उन्हें अपने अन्नदाता का ख़्याल ही नहीं रहता... जब भी हम किसानों को सड़क पर प्रदर्शन करते हुए देखते हैं तो हम तैश में आ जाते हैं और सरकार को कोसने लगते हैं... एक आम नागरिक होने के नाते किसानों की हां में हां मिलाना हमारे लिए बहुत आसान होता है, लेकिन सरकार हमारी तरह नहीं सोचती... अब सरकार हमारी तरह क्यों नहीं सोचती इसके पीछे एक बड़ी वजह है... सरकार सिर्फ एक वर्ग पर अपना सारा पैसा नहीं लुटा सकती, लेकिन किसान यही चाहते हैं... जी हां, किसान चाहते हैं कि जितना भी सरकारी खज़ाना है वह सिर्फ उनकी भलाई के लिए ही इस्तेमाल हो, बाकि जनता से उनका कोई सरोकार नहीं है... हो सकता है कि हमारी बातें आपको थोड़ी कड़वी लगें लेकिन हक़ीक़त को झुठलाया भी नहीं जा सकता... चलिए अपनी इस रिपोर्ट में हम आपको बताते हैं कि किसानों की मांगें ना मानने के पीछे सरकार के सामने क्या-क्या मजबूरियां हैं...

सरकार से किसानों की दर्जनों मांगे हैं... लेकिन उनमें सबसे अहम मांगें क्या हैं चलिए वह जान लेते हैं... 

पहली मांग सभी फसलों पर एमएसपी चाहिए

दूसरी मांग जो किसान बुज़ुर्ग हो चुके हैं उनके लिए ₹10000 प्रति माह पेंशन चाहिए

तीसरी मांग ₹700 मनरेगा के लिए 200 दिनों के लिए चाहिए 

चौथी मांग किसानों के बिजली बिल माफ होने चाहिए 

पांचवीं मांग किसानों के जो कर्ज़ हैं वो माफ होने चाहिए 

छठवीं मांग डीज़ल पर भी सब्सिडी चाहिए

किसान पेंशन योजना क्या है

एमएसपी क्या है और इसके फायदे

खैर, अब आप ये जान लीजिए कि अगर सरकार किसानों की इन 6 मांगों को मानती है तो सरकार खुद कौड़ी की तीन हो जाएगी... यह समझ लीजिए कि किसानों की इन मांगों को मानने में जितना खर्चा आएगा वो सरकार के वार्षिक बजट से भी कई गुना ज़्यादा है... वो कैसे अब ज़रा ये भी जान लीजिए...  सबसे पहले बात करते हैं एमएसपी की... सरकार पहले ही कुछ फसलों पर एमएसपी की गारंटी देती है... लेकिन किसान चाहते हैं कि सभी फसलों पर एमएसपी की गारंटी दी जाए... सरकार अगर सब पर एमएसपी की गारंटी देने लग गई तो सालाना 40 लाख करोड़ का बोझ और बढ़ जाएगा... क्योंकि सरकार को सालाना 40 लाख का अनाज खरीदने के लिए तैयार रहना होगा... जो कि मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है... सरकार का कुल बजट ही 45 लाख करोड़ है... लिहाज़ा अगर सरकार एमएसपी के लिए राज़ी हो जाती है तो सरकार के टोटल एक्सपेंडिचर बजट का 90 प्रतिशत एमएसपी पर ही खर्च हो जाएगा... यह तो रही एमएसपी की बात अब चलिए जान लेते हैं बुजुर्ग किसानों की पेंशन की मांग पर... एक मोटे तौर पर पूरे देश में अगर किसानों की कुल जनसंख्या की बात करें तो यह 15 करोड़ है, इनमें से अगर 2 करोड़ भी पेंशनधारी हुए तो ₹10000 प्रति माह पेंशन के हिसाब से कुल खर्च आएगा 2,40,000 करोड़ से भी ज़्यादा... और इसी हिसाब से मनरेगा का खर्च बैठता है 21 लाख करोड़ से भी ज़्यादा...

किसान पेंशन योजना क्या है?

अब बात करते हैं बिजली बिल के माफी की मांग पर, अगर 200 यूनिट भी ₹8 प्रति यूनिट के हिसाब से देखें तो इसमें कुल खर्च आता है 2,88,000 करोड़ का... और अगर इसी तरह किसानों की बाकी मांगों पर भी आंकलन किया जाए तो फिर किसान जो सरकार से मांग कर रहे हैं उसमें टोटल खर्च बैठता है 36 लाख करोड़ से भी ज्यादा...  बहरहाल, जो लोग भी किसानों की इन मांगों का समर्थन कर रहे हैं अब चलिए उनकी बात कर लेते हैं... चलिए मान लेते हैं कि सरकार ने किसानों की सभी मांगों को मान लिया है... आपको क्या लगता है सरकार अपनी जेब से किसानों का खर्चा उठाती रहेगी... हरगिज़ नहीं... सरकार आम जनता से ही तब मोटा टैक्स वसूलना शुरू कर देगी... सभी खाद्य सामग्रियों के रेट आसमान छूने लगेंगे... और जब ऐसा होगा तो फिर हम सरकार को कोसने लग जाएंगे...  वैसे किसान संगठन लखीमपुर कांड के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत पर भी सरकार को आधे हाथों ले रहे हैं और उसकी जमानत रद्द करवाने की मांग कर रहे हैं... हालांकि वह यह नहीं समझ रहे हैं कि आशीष मिश्रा को राहत सीधे सुप्रीम कोर्ट से मिली है तो अब इसमें सरकार क्या कर सकती है...

किसान पेंशन योजना क्या है

तो कुल मिलाकर निष्कर्ष एक ही निकलता है कि बात यहां सिर्फ समझने की है... जायज़ मांगों को तो माना जा सकता है लेकिन नाजायज़ मांगों पर आखिर कैसे अमल किया जाए...‌ बहरहाल, सरकार अपने नुमाइंदों को भेज कर किसान संगठनों को समझाने की पूरी कोशिश कर रही है, उम्मीद है कि जल्द ही किसान बनाम सरकार कि इस लड़ाई का कोई हल निकल आएगा और इस लड़ाई में सबसे ज्यादा पिस रही आम जनता को राहत मिलेगी... 

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