जानिए नवरात्रि में कन्या पूजा क्यों करें और कन्या पूजन का महत्व
कन्याओं का देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं
डेस्क-नवरात्र में सप्तमी तिथि से कन्या पूजन शुरू हो जाता है और इस दौरान कन्याओं को घर बुलाकर उनकी आवभगत की जाती है. दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन इन कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर इनका स्वागत किया जाता है |
कि कन्याओं का देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख समृधि का वरदान देती हैं | नवरात्र पर्व के दौरान कन्या पूजन का बड़ा महत्व है. नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है. अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती हैं।
पांच साल की कन्या की पूजा करने से घर में रोग से मुक्ति होती है
ज्योतिर्विद पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया की कन्या पूजन के लिए सिर्फ 2 से 10 साल तक की कन्याओं को ही बुलाएं. क्योंकि दो साल तक की कन्याओं को पूजने से घर में दुख और दरिद्रता दूर होती है. तीन साल की कन्या को पूजने से घर में धन की वृद्धि होती है और घर खुशियां आती हैं.
- चार साल की कन्या को पूजने से परिवार का कल्याण होता है और पांच साल की कन्या की पूजा करने से घर में रोग से मुक्ति होती है
- छह साल की कन्या घर में विद्या लाती है, सात साल की कन्या को पूजने से ऐश्वर्य मिलता है
- आठ साल की कन्या को पूजने से किसी भी वाद-विवाद में वियज की प्राप्ति होती है
- नौ वर्ष की कन्या को पूजने से शत्रुओं का नाश होता है
- दस साल की कन्या की पूजा करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
किस दिन करें कन्या पूजन
वैसे तो कई लोग सप्तमी से कन्या पूजन शुरू कर देते हैं लेकिन जो लोग पूरे नौ दिन का व्रत करते हैं वह तिथि के अनुसार नवमी और दशमी को कन्या पूजन करने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करके व्रत खोलते हैं. शास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन के लिए दुर्गाष्टमी के दिन को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और शुभ माना गया है. शारदीय नवरात्रि की अष्टमी 17 अक्टूबर 2018 और नवमीं 18 अक्टूबर 2018 को मनाई जा रही है. इस वर्ष 10 अक्टूबर 2018 से हुए शुरू नवरात्रि के आखिरी दो दिनों में कन्या पूजन की परपंरा होती है |
- पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार कन्या पूजन के लिए सभी घरों में काफी दिनों पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं
- अष्टमी और नवमीं वाले दिन कन्याओं को हलवा, पूरी और चने का भोग लगाने के साथ-साथ उन्हें तोहफे और लाल चुनरी उड़ाना भी शुभ माना जाता है
- लेकिन यह काम शुभ मुहूर्त पर हो तब. क्योंकि कलश स्थापना या फिर पूजा विधि की ही तरह कन्या पूजन का एक सही समय होता हैहर बाद अष्टमी और नवमीं दोनों दिन कन्याओं के पूजन का समय अलग होता है
ऐसे करें कन्या पूजन (विधि)
- कन्या भोज और पूजन के लिए कन्याओं को एक दिन पहले ही आमंत्रित कर दिया जाता है.
- मुख्य कन्या पूजन के दिन इधर-उधर से कन्याओं को पकड़ के लाना सही नहीं होता है.
- गृह प्रवेश पर कन्याओं का पूरे परिवार के साथ पुष्प वर्षा से स्वागत करें और नव दुर्गा के सभी नौ नामों के जयकारे लगाएं.
- अब इन कन्याओं को आरामदायक और स्वच्छ जगह बिठाकर सभी के पैरों को दूध से भरे थाल या थाली में रखकर अपने हाथों से उनके पैर धोने चाहिए और पैर छूकर आशीष लेना चाहिए
- उसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुंकुम लगाना चाहिए.
- फिर मां भगवती का ध्यान करके इन देवी रूपी कन्याओं को इच्छा अनुसार भोजन कराएं.
- भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा, उपहार दें और उनके पुनः पैर छूकर आशीष लें।
मिलकर करें कन्या पूजन
घर का अगर एक ही सदस्य कन्या के पैर धोएगा, भोजन परोसेगा, कलावा और रोली लगाएगा तो देरी होना सम्भव है. इसीलिए घर में मौजूद सभी सदस्यों को मिलकर कंजकों की सेवा में लगना चाहिए. ऐसे में यह काम झटपट और खुशी के साथ पूरा होगा. कन्याओं के आने का इंतजार ना करते हुए ही आप आसन बिछाकर रखें, कलश, कलावा, तिलक, आरती की थाली, चुनरी, प्लेट, गिफ्ट्स और पैसे पहले से ही एक जगह रख लें.
विशेष ध्यान रखें
कन्याएं सुबह-सुबह हलवा-पूरी खा लेती हैं लेकिन दो या चार घरों के बाद वह उनसे ऊब भी जाती हैं. इसीलिए उन्हें हलवा पूरी के साथ-साथ जूस, दही, चॉकलेट या फिर मफिन खाने के लिए दे सकते हैं. अगर मुमकिन है तो आप उन्हें हलवा-पूरी की जगह इडली, चीला या नमकीन सेंवई भी खिला सकती हैं. यकीन मानिए कन्याएं इन चीजों को बहुत खुश होकर खाएंगी और हर साल आपके घर आने के लिए भी उत्साहित रहेंगी.
अष्टमी यानी कि 17 अक्टूबर 2018 के लिए कन्या पूजन के दो शुभ मुहूर्त हैं
सुबह 6 बजकर 28 मिनट से 9 बजकर 20 मिनट तक |
सुबह 10 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 12 मिनट तक |
वमी यानी कि 18 अक्टूबर 2018 को कन्या पूजन के दो शुभ मुहूर्त |
सुबह 6 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 54 मिनट तक |
सुबह 10 बजकर 46 मिनट से दोपहर 3 बजकर 3 मिनट तक।