जानिए भारतीय महिलाओ के पैर में बिछिया पहनने की क्या है वजह
Aug 2, 2017, 09:20 IST
डेस्क-(पीयूष त्रिवेदी)जब भारत की संस्कृति की बात होती है तो उसमे समग्र रूप से कई लोक मनायाताए जुडी हुई होती है. हमारी संस्कृति दुनिया के सबसे पुरानी संस्कृति है. आज भारत वर्ष की ये पुरातन संस्कृति पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. इसके साथ ही पूरी दुनिया आज भारत की इस पुरातन संसकृत को अपनाने भी लगी है कई मायनो में. हमारे ऋषि मुनियो ने जो बात आज से हजारो साल पहले कही थी उसी बात को आज वैज्ञानिक लोगो को विज्ञानं के माध्यम से समझा रहे है और खुद भी समझ रहे है उन्ही में से एक पुरातन संस्कृति है पैरो की उंगलियों में अंगउठी पहनना. आइए जानते है आखिर क्या हिन्दू संस्कृति में पारो में अंगूठी पहनने का महत्व
विवाहित महिला पहनती है पारो में बिछिया
भारत में पैरो में बिछिया पहनने की रस्म अत्यधिक प्रचलित है. यह पैरो में बिछिया पहनने की रस्म हिन्दुओ में केवल शादी शुदा महिलाओ में ही होती है. यह ज्यादातर चांदी की बनी हुई बिछिया ही पहनी जाती है. हिन्दुओ के साथ साथ भारत में मुस्लिम महिलाए भी बिछिया पहनने का प्रचलन है.
इसलिए नहीं पहनते पैरो में सोने की बिछिया
यह देखा गया है की बिछिया ज्यादातर चांदी द्वारा निर्मित ही पहनी जाती है क्यूंकि हिन्दु मान्यताओ के हिसाब से सोना देवी लक्ष्मी की धातु मानी गयी है. लक्ष्मी धन की देवी होती है जिसके कारण बिछिया को पैरो में नहीं पहना जाता है.
हिन्दू धर्म में है हर चीज़ का वैज्ञानिक महत्व
लेकिन इतना ही हिंदु धर्म में हर संस्कार वैज्ञानिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण होता है जिसके कारण इस संस्कार को भी अगर देखा जाये तो इस संस्कार में भी काफी वैज्ञानिक तथ्य मौजूद है जिनके मुताबिक पैरो में कुछ ऐसी नसे होती है की जब आप पैरो में अंगूठी पहनते हो तो आप का प्रजनन प्रणाली स्वस्थ और अच्छे से काम करती है.साथ ही प्राचीन भारत की आयुर्वेद में इस प्रक्रिया से एक्यूप्रेशर किया जाता था.जैसे की हम जानते है की की चांदी के अच्छा सुचालक होता है जिसके कारण वो धरती से ध्रुवीय उर्जा को अपनी ओर आकर्षित करता है और शारीर तक पहुचता है जिसके करान शारीर में सारा दिन एक उर्जा बनी रहती है.