जानिए माता सीता क्यों बन गई चण्डी
डेस्क-भगवान् श्री राम राज सभा में विराज रहे थे उसी समय विभीषण वहां पहुंचे. वे बहुत भयभीत और हडबड़ी में लग रहे थे. सभा में प्रवेश करते ही वे कहने लगे हे राम ! मुझे बचाइये, कुम्भकर्ण का बेटा मूलकासुर आफत ढा रहा है .अब लगता है न लंका बचेगी और न मेरा राज पाट.भगवान श्री राम द्वारा ढांढस बंधाये जाने और पूरी बात बताये जाने पर विभीषण ने बताया कि कुम्भकर्ण का एक बेटा मूल नक्षत्र में पैदा हुआ था. इसलिये उस का नाम मूलकासुर रखा गया. इसे अशुभ जान कुंभकर्ण ने जंगल में फिंकवा दिया था |
जंगल में मधुमक्खियों ने मूलकासुर को पाल लिया. मूलकासुर बड़ा हुआ तो उसने कठोर तपस्या कर के ब्रह्माजी को प्रसन्न कर लिया, अब उनके दिये वर और बल के घमंड में भयानक उत्पात मचा रखा है. जब जंगल में उसे पता चला कि आपने उसके खानदान का सफाया कर लंका जीत ली और राज पाट मुझे सौंप दिया है वह भन्नाया हुआ है|
भगवन आपने जिस दिन मुझे राज पाट सौंपा उसके कुछ दिन बाद ही वह पाताल वासियों के साथ लंका पहुँच कर मुझ पर धावा बोल दिया. मैंने छः महिने तक मुकाबला किया पर ब्र्ह्मा जी के वरदान ने उसे इतना ताकत वर बना दिया है कि मुझे भागना पड़ा. अपने बेटे, मन्त्रियों तथा स्त्री के साथ किसी प्रकार सुरंग के जरिये भाग कर यहाँ पहुँचा हूँ. उसने कहा कि ‘पहले धोखेबाज भेदिया विभीषण को मारुंगा फिर पिता की हत्या करने वाले राम को भी मार डालूँगा. वह आपके पास भी आता ही होगा |