संघर्ष और सफलता में क्या संबंध है | Honda Success Story in Hindi 

संघर्ष से सफलता की कहानी | Honda Automobile Company

संघर्ष और सफलता में क्या संबंध है

Soichiro Honda Biography

संघर्ष और सफलता क्या है

Success Story In Hindi

कामयाबी वो नहीं जो आपको तोहफ़े में मिल जाए, बल्कि कामयाबी तो वो है जिसके लिए दिन रात मेहनत करनी पड़े... दुनियाभर में कामयाबी के बहुत से ऐसे किस्से आपको सुनने को मिल जाएंगे, जब चट्टान जैसी मुसीबतों का सामना करके इंसानों ने हैरान कर देने वाले कारनामे करके दिखाए हैं... इनमें कई बड़ी commercial companies भी शामिल हैं... उन्हें में से एक है होंडा... आज सड़कों पर टू व्हीलर सेगमेंट वाली गाड़ियों में जिस Activa को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है... वो होंडा का ही Product है... इसके अलावा Honda Amaze, Honda City, Honda Elevate, Honda City Hybrid जैसी फोर व्हीलर गाड़ियां भी लोगों की सबसे पहली पसंद में शुमार हैं...

 एक झाड़ू लगाने वाले ने कैसे बनाई Honda?

लेकिन होंडा जो आज कामयाबी की बुलंदी पर है इसके पीछे की मेहनत और जज्बे की कहानी बहुत कम लोगों को पता है... इसलिए चलिए आज की अपनी सक्सेस स्टोरी के इस एपीसोड में हम आपको Honda Automobile Company की कामयाबी की दास्तां सुनाते हैं... दुनिया में कई लोग ऐसे होते हैं जिनके काम से उनकी पहचान होती है, लेकिन होंडा कंपनी खड़ी करने वाले शख्स की पहचान उनके नाम और काम दोनों से होती है... जी हां, हम बात कर रहे हैं Soichiro Honda की... वो Soichiro Honda, जिनकी कामयाबी का सफर अनगिनत मुसीबतों और मुश्किलों से भरा हुआ था... Japan के South Coast में एक शहर है Shizuoka... साल 1906 में इस शहर के एक छोटे से गांव में Soichiro Honda का जन्म हुआ था... इनके पिता Giheyi Honda एक छोटे गरीब लुहार थे, Soichiro अपने पिता के साथ मिलकर खराब और बेकार साइकिल बनाया करते थे... ऐसा नहीं है कि Soichiro स्कूल नहीं जाते थे... बस मामला यह था कि उन्हें पढ़ने लिखने में जरा भी मन नहीं लगता था... क्लास के दौरान वो सबसे पीछे बैठा करते थे ताकि कोई टीचर उनसे सवाल न पूछे... घर पर भी पढ़ाई का माहौल कुछ खास नहीं था, इसलिए 16 साल की उम्र में ही उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी... पिता के काम मे बचपन से हाथ बटाते बटाते उन्होंने काफी कुछ मैकेनिकल काम सीख लिया था... बचपन से ही लुहार के काम में लगने की वजह से Soichiro को औज़ारों से खेलना बहुत ज़्यादा पसंद था...

संघर्ष और सफलता में क्या संबंध है

एक अच्छी सफलता की कहानी क्या है?

खैर, एक दिन Soichiro अखबार पढ़ रहे थे... तभी उन्होंने देखा कि Shokai Company में एक मकैनिक की जरूरत है... उन्होंने जरा भी देर नहीं की और पहुंच गए शोकाई कंपनी के दफ्तर और वहां काम करने की दरख्वास्त की... कंपनी वालों ने उन्हें काम पर रख तो लिया लेकिन सफाई के काम पर... दरअसल उन्हें लगा कि Soichiro की उम्र अभी उतनी नहीं है कि उन्हें कार के काम में लगा दिया जाए... Soichiro को सफाई का काम पसंद तो नहीं आया लेकिन उन्होंने फिर भी नौकरी करने की हामी भर ली... अब आप सोच रहे होंगे कि Soichiro सफाई का काम करने के लिए राजी कैसे हो गए... दरअसल इसके पीछे उनकी अवसरवादी सोच थी... Soichiro को काम तो आता था लेकिन साइकिल रिपेयरिंग का, उन्होंने सोचा कि क्यों ना यहीं पर सफाई का काम करने के साथ ही कार रिपेयरिंग का काम भी सीख लिया जाए... वह वहां काम करने वाले कार मैकेनिकों से काम सिखाने की अपील करते थे लेकिन हर बार उन्हें टाल दिया जाता था... लिहाजा, Soichiro के पास अब एक ही रास्ता बचा था और वह सिर्फ देख-देख कर काम सीखना... यहां आप उनके जुनून को समझ सकते हैं... खैर, देखते-देखते वो कार रिपेयरिंग से जुड़े बहुत से काम सीख गए... शोकाई कंपनी के मालिक को Soichiro का जुनून पसंद आया और उन्होंने Soichiro को बेहतर काम सीखने के लिए कंपनी की दूसरी ब्रांच में शिफ्ट कर दिया...

संघर्ष और सफलता में क्या संबंध है

संघर्ष और सफलता में क्या संबंध है?

Soichiro काफी जादा मेहनती थे, इसलिए उन्होंने अपनी लगन और मेहनत से बहुत जल्दी पूरा काम सीख लिया... उन्होंने वहां कई सालों तक काम किया... इसके बाद उन्होंने शोकाई कंपनी को छोड़कर दूसरे कंपनियों के लिए सस्ते और टिकाऊ Piston Rings बनाने के लिए अपनी पूरी की पूरी Savings लगाकर Tokisiki नाम की कंपनी बनाई... यहां से उन्हें Toyota Company में Piston Rings सप्लाई करने का मौका मिला... लेकिन सही Quality न होने की वजह से Toyota ने अपना Contract तोड़ दिया... खैर, यह वह दौर था जब world war 2 शुरू हो चुका था... इस युद्ध में Soichiro की पूरी फैक्टरी जलकर तबाह हो गई... लेकिन अपने नुकसान का मातम बनाने के बजाय उन्होंने अपना हौसला बरकरा रखा... बचे हुए कंपनी के शेष Parts को उन्होंने टोयोटा को बेचकर 1946 में Honda Technical Research Institute खोल दिया... फिर एक छोटी सी जगह पर 12 लोगों के साथ नई शुुरुआत की...  आपको बता दें कि World War 2 के बाद जापान में बहुत नुकसान हुआ था और लोग पैदल या साइकिल पर चलने लगे थे... Soichiro की टीम को एक Idea आया... इन्होंने सोचा कि क्यों न एक छोटा इंजन बनाकर साइकिल से जोड़ दिया... जिससे लोगों को काफी आराम मिलेगा... उनका यह Idea लोगों को बहुत ही ज़्यादा पसंद आने लगा और बहुत ही कम समय में उनकी कंपनी मोटरसाइकिल की Industry में बड़ा नाम बन गई...

संघर्ष और सफलता में क्या संबंध है

बाद में साल 1949 में इन्होंने अपनी कंपनी का नाम बदल कर Honda Motors कर दिया... 1980 में इन्होंने कार बनाने की दुनिया में कदम रखा... देखते ही देखते बेहतरीन Quality के दम पर उनकी कारें अमेरीकी कारों को टक्कर देने लगीं और धीरे-धीरे होंडा Motors की अपने Best Quality Products के ज़रिए पूरी दुनिया में तूंती बोलने लगी... तब से लेकर आजतक Honda, Motors Industry में मे अपना एक अलग ही रुतबा बनाए हुए है... बहरहाल, एक लुहार के बेटे की एक मामूली से मकैनिक से  अरबों की कंपनी के मालिक बनने तक के सफर की कहानी आपको कैसी लगी, हमें अपनी राय हमारे कमेंट बॉक्स के जरिए बताइएगा... नमस्कार!

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