खून के लिए नहीं जाएगी किसी की जान 

No one will die for blood
खून
बलरामपुर : मैं आलोक अग्रवाल, बलरामपुर, उत्तर प्रदेश में एक व्यापारी हूँ। इस समय मेरी उम्र 57 वर्ष है और अब तक मैं स्वयं 29 बार रक्तदान कर चुका हूँ। रक्तदान के क्षेत्र कार्य करने की मेरी शुरुआत अचानक से हुई जब एक 6 साल की बच्ची को दिल में छेद के ऑपरेशन के लिए मुंबई ले जाने से पहले डॉ ने 1 यूनिट खून चढ़ाने और 1 यूनिट एम्बुलेंस में साथ में ले जाने के लिए कहा। छोटे बच्चों को तत्काल लिया गया खून ही चढ़ाया जाता है तब स्थानीय ब्लड बैंक के इंचार्ज ने मुझे खून देने के लिए फ़ोन किया और सभी परिस्थितियों से अवगत कराया।
 

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 रक्तदान शिविर का आयोजन किया 

 मैंने ब्लड बैंक जाकर अपना रक्तदान किया जिससे उस बच्ची को रक्त चढ़ाने के साथ ले जाने के लिए भी उपलब्ध हो गया। उस बच्ची की भोली सूरत और मुस्कान देखकर मैं तो वैसे ही उत्साहित हो गया था कि अब बच्ची स्वस्थ हो जाएगी, साथ में उस बच्ची के परिजनों ने इतनी ढ़ेर सारी दुवाएं मुझे दे डालीं कि मुझे लगने लगा कि अब तो ईश्वर को इसे ठीक करना ही होगा। बच्ची का ऑपरेशन सही से हो गया और अब वह बच्ची बिल्कुल स्वस्थ है और अपनी पढ़ाई भी कर रही है।

बस इसके बाद उसी दिन से मैंने मन में ठान लिया कि अब मेरी पूरी कोशिश रहेगी कि किसी की भी जान रक्त के अभाव से नहीं जाने दूँगा। मैंने अपने कुछ मित्रों से इस विषय में बात करी और वो सब भी मेरे साथ इस मुहिम में जुड़ने के लिए तैयार हो गए।इसके बाद स्थानीय ब्लड बैंक के काउंसलर व टेक्नीशियन से मिलकर उनसे सभी बातों के बारे में विस्तार से समझने के बाद अपने पहले रक्तदान शिविर का आयोजन किया जिसमें भरपूर प्रचार के बाद 17 यूनिट रक्त विभिन्न लोगों द्वारा रक्तदान के माध्यम से हम लोग इकट्ठा कर पाए।

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लगभग 80 लोग जुड़े हुए हैं 

समाज में रक्तदान के प्रति जागरूकता में कमी के साथ बहुत सारी भ्रांतियों भी हैं, जिसपर हम लोगों ने विभिन्न क्षेत्रों व कॉलेजों में जाकर सबको जागरूक करने की मुहिम शुरू की। इसके परिणाम बहुत धीरे धीरे मिलने लगे।कोरोना काल में जब लोगों को अत्यधिक मात्रा में रक्त की आवश्यकता पड़ी तो स्थानीय ब्लड बैंक व अन्य संस्थाओं के सहयोग एवं जिला प्रशासन के सहयोग से 38 दिनों में अलग अलग रक्तदान शिविरों के माध्यम से जब 100 यूनिट से भी अधिक रक्त का संग्रह हम सबने मिलकर किया तो लगा कि अब हमारी मुहिम भलीभाँति चलने लगेगी। लोगों के साथ और विश्वास के साथ साथ भरोसे ने हम सबको उत्साह दिया और आज मेरी टीम में स्थानीय स्तर पर लगभग 80 लोग जुड़े हुए हैं जो शिविरों व ऑन कॉल डिमांड पर रक्तदान करने को तैयार रहते हैं।

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समय समय पर मुझे विभिन्न सम्मानों से सम्मानित भी किया गया

विभिन्न संस्थाओं के सहयोग से वर्ष पर्यंत शिविरों का आयोजन करके एवं ऑन कॉल डिमांड पर रक्तदान कराके अब तक बहुत लोगों की जान बचाई जा सकी है। इस कार्य को करने से दिल व मन को जो आत्मिक सन्तुष्टि व शांति मिलती है उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता है बल्कि सिर्फ महसूस ही किया जा सकता है। जिसको खून मिलता है, उसके परिजनों द्वारा दी गई अनगिनत दुवाएं आपको हौसले के साथ साथ दिली सुकून भी देती हैं।

रक्तदान की इस मुहिम में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं, प्रशासन, राजनेताओं एवं अन्य लोगों द्वारा इस कार्य के लिए समय समय पर मुझे विभिन्न सम्मानों से सम्मानित भी किया गया, जिनके मिलने से मुझे जिम्मेदारियों का ज्यादा अहसास हुआ और फिर जिला स्तर, प्रदेश स्तर से होते हुए राष्ट्रीय स्तर तक इस मुहिम से जुड़ गया। आज विभिन्न समूहों व संस्थाओं के सहयोग से हमारी यह मुहिम आसानी से राष्ट्रीय स्तर पर चल रही है और हम सब मिलकर जरूरतमंदों को रक्त की उपलब्धता कराने का सामूहिक प्रयास करते रहते हैं।

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