राम-रावण की राशि एक, कर्म उलट एक हुआ ईश्वर एक हुआ दैत्य

राम-रावण की राशि एक, कर्म उलट एक हुआ ईश्वर एक हुआ दैत्य

"खैर न मानो तो करते रहिए पाप न हुई दशा खराब तो कहना

"(पंकज मिश्रा)

रावण आज कोरोना के चक्कर में,पॉजीटिव का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाकर हॉस्पिटल निकल लिया, सोचा जलेगा नही, ये भूल गया कि आखिर कब तक बचेगा।

ये विजुवल हास्-परिहास पर है, लेकिन एक बात तय है कि पाप करने वाले व पाप का साथ देने वालों का अंत जरूर होगा रावण के जैसे। जिनको आने वाली पीढ़ियां आने वाले कालखण्डों में अपने विचारों की अग्नि से जलायेगी- सुलगाएँगी। आप ये सब कहेंगे कि दैहिक त्याग शाश्वत सत्य है।जवाब है हां, लेकिन इनके जाने के बाद भी लोग इनकी तुलना राक्षसों व दैत्यों के गोत्र से ही करेंगे। खैर न मानो तो करते रहिए पाप न हुई दशा खराब तो कहना। अच्छे कर्म करो,भाईचारा बनाओ,मिलकर रहो। रावण में इतनी कमी नही थी जितनी आज के समय के लोगों के मन में बैठे रावण में विद्धमान है। गलाकाट प्रतियोगिता चल रही है। लोगों की पिपासा शांत होने का नाम ही न ले रही है। इतना तक नजरंदाज करते हैं कि गलत क्या है,सही क्या है सब भूलें हैं। अहंकार इतना कि अह्म्ब्रम्हा बने हुए हैं।पापियों को न ईश्वर का डर, न ही परमात्मा को जवाब देने का भय। अभी समय है हजारों हजार पाप कर हर रोज ईश्वर को धोखा देना छोड़ दीजिये। वह अंतर्यामी है सब देखता है। यहां लोग हजारों पाप कर थोड़ा सा पुण्य उनके हिसाब से कथा, भागवत, भण्डारा शेखी वाला जिसमें गरीब कम अमीर व शान शौकत ज्यादा होगी करके कहेंगे सब पाप धुल गया। अरे पाप के पुजारियों, इंसानों व भोले -भाले जीवों को धोखा दे सकते हो,ईश्वर को नही। इस गलतफहमी में भी न रहना की ईश्वर नही है।अब ये पापियों का सुर होगा हमने कब कहा की नही हैं ईश्वर। ये तुम्हारे कर्म साबित करते हैं कि क्या सोच रखते हो,क्योंकि पाप करते वक्त ईश्वर होने का भरोसा नहीं रखते हो,क्योकि ईश्वर होने का एहसास रखोगे तो पाप ही नही करोगे। पाप करने के बाद पुण्यात्मा बन जाते हो, है न गलत कब तक ऐसे धोखेबाजी का खेल करते रहोगे रचते रहोगे। चित शांत कर मेरे इन विचारों पर चिंतन मनन करना। बाकी जैसा करेंगे देर-सवेर उसको भरेंगे।पाप को मार,अच्छे कर्म कर राम बनें रावण नही।

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