भगवान राम ने पृथ्वी को कैसे त्यागा | Ram Ke Jane Ke Bad Ayodhya Ka Kya Hua?

रामायण का मुख्य संदेश क्या है | Ram Ne Apna Dehtyag Kaise Kiya?

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श्री राम के बाद अयोध्या का क्या हुआ, Ramayan Ki Rochak Kahaniyan, राम के बाद लव कुश का क्या हुआ

by supriya singh 

 

अयोध्या में कितने सालों तक रहे श्री राम , राम को अयोध्या से क्यों जाना पड़ा अपने परम लोक, श्री राम के बाद किसने सम्हाली अयोध्या की कमान, श्री राम ने कैसे किया अपना देहत्याग, और श्री राम के जाने के बाद क्या हुआ अयोध्या और अयोध्यावासियों का.

रामायण का मुख्य संदेश क्या है? Ramayan Ke Kuchh Adbhut Tathya In Hindi

रामायण का बाल कांड और सुन्दर कांड तो बहुत ज्यादा लोकप्रिय हैं, और जो रामायण का अंत है. वो, लोग माँ सीता के पृथ्वी में विलीन होने से मानते हैं. लेकिन इसके बाद की कहानी क्या है वो बहुत ही कम लोग जानते हैं। जैसे की माता सीता के पृथ्वी में समाने के बाद भगवान कितने सालों तक पृथ्वी में रहे और भगवान ने क्या क्या लीलाएं की. भगवान पृथ्वी से अपने परम लोक कब गए, और भगवान के जाने के बाद उनके भाई और पुत्र का क्या हुआ. देखिये भगवान विष्णु के सातवें अवतार यानी की श्री राम, मानव रूप में अपने कार्य और अपना कार्यकाल निर्धारित करके पृथ्वी पर आये थे और इसीलिए उनका देह त्यागना भी बहुत जरूरी था. तो राम ने अपने शरीर को कब और क्यों छोड़ा.

इस प्रश्न का उत्तर मूल रामायण में हमें देखने को मिल जाता है. वाल्मिकी रामायण का जो पहला अध्याय है, वो मूल रामायण कहलाता है जिसमें श्रीराम के देह छोड़ने की बात बताई गई है. और पौराणिक कथाओं के अनुसार सीता के पृथ्वी में समा जाने के बाद भगवान श्री राम के शासन काल का उल्लेख वाल्मिकी रामायण में मिलता है. जिसमे राम राज्य 11000 वर्षों तक चला. और इस काल को रामराज्य के नाम से भी जाना जाता है. पौराणिक कथाओं की अगर हम बात करें, तो उनके अनुसार राम राज्य एक ऐसा काल था, जहां पर लोग निस्वार्थ भाव से प्रेम पूर्वक मिलजुल कर रहते थे. सारे नियमों का पालन किया जाता है. ईर्ष्या यानि की जलन की भावना का दूर दूर तक एक दूसरे से कोई नाता नहीं था . और माना भी जाता है कि ऐसा काल दोबारा आना बहुत मुश्किल है. वो केवल भगवान राम के राज में ही हो सकता था.

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श्री राम के बाद अयोध्या का क्या हुआ, Bhagwan Ram Ke Bad Ayodhya Ka Raja Kaun Banaa?

और पुराणों में ये भी वर्णित है की माता सीता के जाने के बाद जब पृथ्वी पर भगवान राम का काम जब पूरा हो गया था. तब श्री राम पहले ही हनुमान को एक अंगूठी ढूंढने  के लिए पाताल भेज चुके थे क्योंकि उन्हें पता था कि हनुमान रहेंगे तो वो अपना मानव रूप त्याग नहीं पाएंगे. देखिये जब ब्रम्हा जी को लगा की भगवान जो आयु निर्धारित करके पृथ्वी लोग पर गए हैं, वो अब पूरी हो चुकी है तो उन्होने यमराज को बुलाकर श्री राम से ये सन्देश देने को कहा। जिसके बाद राम से मिलने के लिए एक साधु का भेष बनाकर यम उनसे मिलने और उन्हें ये संदेश देने आए, की आपको अब बैकुंठ लौटना होगा. और जब यम उनसे मिलने आये तो उस समय राम ने लक्ष्मण को आदेश दिया। कि वो किसी को भी अंदर आने न दें नहीं तो उस इंसान को मृत्यु दंड दिया जाएगा. जिसके बाद लक्ष्मण उनके कक्ष के बाहर ही पहरा देने लगे. जब राम और यम अंदर वार्तालाप कर ही थे. तो उस समय ऋषि दुर्वासा वहां पहुँच गए, और राम से मिलने की बात कही. अब  दुर्वासा ऋषि तो अपने क्रोध के कारण बहुत ज्यादा प्रसिद्ध थे. और जब लक्ष्मण ने उन्हें रोका की प्रभु श्री राम इस समय बहुत व्यस्त हैं आप उनसे नहीं मिल सकते हैं अगर मेरे लिए कोई सेवा हो तो बताइये। जिसपर दुर्वासा ऋषि ने ग़ुस्से मे आकर राम और अयोध्यवासियों को श्राप देने की बात कही. ऐसे में भाई को श्राप न मिले इसके लिए लक्ष्मण ने खुद का बलिदान देने की सोची. लक्ष्मण खुद ही राम के पास चले गए. और उनको दुर्वासा ऋषि के बारे बताया की वो आपसे मिलने आये हैं. लेकिन ऐसे में राम के लिए तो बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो गई थी क्यूंकि वो पहले ही बीच में दखल देने वाले व्यक्ति को मृत्यु दंड का आदेश दे चुके थे. और राम के लिए लक्ष्मण को मारना बहुत बड़ी बात थी. जिसके बाद उन्होंने कुछ ऋषियों से उपाय पूछा, जिसपर उन्हें बताया गया की किसी को देशनिकाला करना भी मृत्यु दंड के बराबर होता है. और फिर राम ने ना चाहते हुए भी लक्ष्मण को देश निकाला दे दिया.

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श्री राम के बाद अयोध्या का क्या हुआ, Bhagwan Ram Prathvi Lok Se Kab Gaye The?

जिसके बाद अपने भाई को निराश करके लक्ष्मण खुद सरयु नदी में जाकर विलीन हो गए और शेषनाग का रूप ले लिया. और फिर अपने परम लोक चले गए. कहा जाता है कि लक्ष्मण शेषनाग का ही मानव रूप थे. जिसके बाद राम बहुत ज्यादा दुखी रहने लगे. उनको लगा की जितने भी उनके प्रिय हैं, वो सब एक एक करके उनसे दूर हो गए. उन्होंने पहले सीता को भी खो दिया और अब  लक्ष्मण को भी. जिसके बाद प्रभु श्री राम ने भी अपने परमलोक जाने का निश्चय किया और अपनी प्रजा को बुलाकर इस चीज़ की जानकारी भी दी. लेकिन बाकि लोग भी उनके साथ जाने की जिद करने लगे तब श्री राम ने सभी को अपना सही परिचय देते हुए बताया की मृत्यु लोक में उनका काम अब समाप्त हो चुका है उन्हें अब यहां से जाना पड़ेगा। जिसके बाद श्री राम भी लक्ष्मण की तरह सरयू में विलीन हो जाते हैं उसके बाद अस्टभुजा में साक्षात नारायण के रूप में सबको दर्शन देकर अंतर्ध्यान हो जाते हैं. और श्री राम के जाने के बाद जो उनके दो पुत्र थे लव और कुश. तो कालिदास के रघुवंश के अनुसार श्री राम ने अपने पुत्र लव को शरावती तो कुश को कुशावती राज्य सौंपा था. लव का जो राज्य था, वो उत्तर भारत में था. जिसे कुछ लोग अब लाहौर से जोड़ते हैं और वहीँ कुश का राज्य दक्षिण कोसल में था . कुश की राजधानी कुशावती आज के बिलासपुर जिले में थी.लेकिन श्री राम के जाने के कुछ समय बाद कुश दोबारा से अयोध्या आते हैं और देखते हैं की उनके पिता का साम्राज्य पूरी तरह से ख़त्म होने वाला है. जिसके बाद कुश अयोध्या की पुनर्स्थापना करते हैं और श्री राम माँ सीता के अयोध्या में कई मंदिर भी बनवाते हैं.

 

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