ट्रक ड्राइवर का बेटा बना IAS अफ़सर, संघर्ष सुन आँखों में भर आएँगे आंसू 

Truck driver's son becomes IAS officer, tears will fill your eyes after hearing the struggle
ट्रक ड्राइवर का बेटा बना IAS अफ़सर, संघर्ष सुन आँखों में भर आएँगे आंसु
IAS Pawan Kumar  : पवन कुमार प्रजापत राजस्थान के नागौर जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता एक ट्रक चालक थे और परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पवन बचपन से ही मेहनती और होनहार थे। उन्होंने स्कूल की पढ़ाई पूरी की और फिर राजकीय डेंटल कॉलेज जयपुर से डेंटिस्ट्री की डिग्री हासिल की।

What is the rank of Pawan Kumar in IAS?

डेंटिस्ट्री की डिग्री करते हुए, पवन का मन  सिविल सेवाओं की ओर बढ़ने लगा। 2013 में उन्होंने पहली बार UPSC परीक्षा दी और प्रीलिम्स पास कर लिया। और  लेकिन इसके बाद लगातार 8 सालों तक उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा। कई बार हार मानने का ख्याल आया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने लगातार मेहनत जारी रखी और अपनी उन कमजोरियों पर ध्यान देना शुरू कर दिया  और धीरे -धीरे अफ्ले से ज्यादा मेहनत करने लगे अपने पढाई पर इसके बाद पवन को सफलता  मिल ही गई और इनको 2021 में 9वीं बार प्रयास करने पर उन्हें सफलता मिली और उन्होंने 551वीं रैंक हासिल कर आईएएस बनने का अपना सपना पूरा किया।
 

ट्रक ड्राइवर का बेटा बना IAS

Vishesh Desk New Delhi आपको यह थोड़ा अजीब लगेगा कि आख़िर कैसे एक ट्रक ड्राइवर का बेटा IAS अफ़सर बन गया? दरअसल, यूपीएससी की परीक्षा देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में एक है! इस परीक्षा में धैर्य, ध्यान और निरंतरता की परख की जाती है! जो इस परीक्षा में सफल होते हैं उन्हें IAS, IPS, IRS और अन्य आधिकारिक पदों पर नियुक्त किया जाता है!  

पवन के लिए भी IAS बनना इतना आसान नहीं था! ग़रीबी और अभाव में ज़िंदगी जीने के बावजूद पवन ने इतने बड़े सपने साकार करने की ज़िद्द नहीं छोड़ी! यूपीएससी में चयन के बाद पवन ने कहा कि, “साल 2006 में गोविंद जैसवाल का चयन हुआ था, उनके पिता जी रिक्शा चलाते थे। इसलिए फिर मैंने भी ठान लिया था कि मुझे अब आईएएस बनना है।

पवन कहते हैं, "मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मुझे ऐसे माता-पिता मिले! बचपन से ही मेरे परिवार ने अभाव में रहना सीख लिया था।"
वो आगे कहते हैं, ''मेरे पिता 2003 में नागौर आने से पहले गांव में एक कच्ची झोपड़ी में मिट्टी के बर्तन बनाकर अपना गुजारा करते थे।''

पिता ने भी नहीं हारी हिम्मत 

आपको बता दें कि पवन के पिता रामेश्वरलाला कुमावत ट्रक ड्राइवर थे! महीने भर की मेहनत के बाद वो महज़ चार हजार रूपए तक ही कमा पाते थे, जिससे घर चलता था! लेकिन खराब आर्थिक स्थित के बाद भी उन्होंने अपने बेटे को आईएएस बनाने में ज़िद्द नहीं छोड़ी! अगर बात करें पवन कुमार कुमावत की पढाई लिखाई की तो उन्होंने शहर के किसी स्कूल से उच्च शिक्षा हासिल की। ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के लिए पवन जयपुर चले गए।

लालटेन जलाकर की UPSC की तैयारी 

यूपीएससी की परीक्षा पास करने के बाद पवन ने अपने सफर में आने वाली मुश्किलों के बारे में बताया! उनका कहना था कि, घर में बिजली ना होने पर लालटेन या चिमनी जलाकर पढ़ाई करना पड़ता था! पवन की सफलता में उनकी दादी का भी अहम योगदान है! वो बताते हैं कि जब से मेरी दादी ने मुझे कड़ी मेहनत करने का मूल मंत्र तब से ही मैने जीवन में सफल होने का मन बना लिया था! 

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