राष्ट्रपति शासन कब और कैसे लगाया जाता है | What Is The President's Rule Of State Emergency?

राष्ट्रपति शासन की अवधि कितनी होती है | What Is The President Rule In A State?

राष्ट्रपति शासन लगने पर क्या होता है?

President Rule Article

President Rule In Hindi

Rashtrapati shasan Kya Hota Hai

देश की राजधानी दिल्ली में सियासी ड्रामा लगातार जारी है... जब से मनी लांड्रिंग के केस में यहां के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल गिरफ्तार हुए हैं तब से प्रशासनिक कामकाज पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है... आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल जेल से ही सरकार चलाएंगे... लेकिन दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर विनय कुमार सक्सेना ने कह दिया है कि किसी भी सूरत में जेल से सरकार चलाने की इजाज़त नहीं दी जाएगी... इसके बाद इतना तो साफ है कि यहां राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है...

भारत में राष्ट्रपति शासन कैसे लगता है?

अब राष्ट्रपति शासन कब लगता है, यह तो अभी साफ नहीं है... लेकिन हां राष्ट्रपति शासन होता क्या है और इसे लगाया क्यों जाता है और इसके लागू होने के बाद क्या-क्या चीजें बदल जातीं हैं, यह आपके लिए जानना बेहद जरूरी है.. राष्ट्रपति शासन का सीधा मतलब है किसी राज्य का कंट्रोल भारत के राष्ट्रपति के पास चले जाना... अब किसी राज्य का कंट्रोल राष्ट्रपति के पास किन परिस्थितियों में जाता है यह भी जान लीजिए... अब मान लीजिए कि राज्य के राज्यपाल ने जो समय तय किया हो, उस टाइम पीरियड के अंदर अगर राज्य की विधानसभा मुख्यमंत्री के तौर पर किसी नेता को न चुन पाए... तब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया जाता है... दूसरी स्थिति में राज्य की सत्ता में अगर गठबंधन की सरकार है और विधानसभा में अगर यह गठबंधन अपना बहुमत खो दे, या फिर गर्वनर द्वारा दिए गए समय के अंदर सीएम सदन में बहुमत साबित न कर सकें... तब राष्ट्रपति शासन लगा दिया जाता है... इसके अलावा बहुमत न होने की स्थिति में अविश्वास प्रस्ताव पारित हो जाने के बाद अगर प्राकृतिक आपदा, महामारी या युद्ध जैसे कारणों के चलते अगर चुनाव करवाना संभव न हो, तो राष्ट्रपति शासन लग सकता है...

भारत में राष्ट्रपति शासन कैसे लगता है?

खैर, अगर किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लग जाए तो होता क्या है, चलिए इसके बारे में भी थोड़ी बात कर लेते हैं... देश के राष्ट्रपति की ओर से राज्यपाल के हाथों में राज्य की कमान आ जाती है... राज्य के मुख्य सचिव और अन्य सलाहकारों या प्रशासकों की मदद से राज्यपाल ही राज्य का प्रशासन संभालता है... राष्ट्रपति के पास यह शक्ति भी है कि वो ऐलान करे कि राज्य की विधानसभा की शक्तियां राष्ट्रपति शासन के दौरान संसद के पास जा सकें... यानी राज्य के लिए कानूनी और नीतिगत फैसले संसद में होते हैं... राष्ट्रपति या तो विधानसभा को भंग कर सकते हैं या फिर सस्पेंड... अब अगर यह स्थिति भी बने कि संसद का सत्र न चल रहा हो तो ऐसे राज्य के लिए कोई कानून या नीति राष्ट्रपति ही लागू कर सकते हैं...

राष्ट्रपति शासन लगने पर क्या होता है?

खैर, अब ये भी जानना जरूरी है कि अगर राष्ट्रपति शासन लगता है तो आम जनता पर इसका क्या असर होता है... तो आप बस इतना जान लीजिए कि रोज़मर्रा के जीवन पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ता... लेकिन राष्ट्रपति शासन लग जाने पर राज्य में नई नीतियां और नए कानून नहीं बनते... सरल शब्दों में कहें तो  बड़े फैसले नहीं हो पाते लेकिन प्रशासन चलता रहता है... इस दौरान राज्य में कोई प्रोजेक्ट भी पास होने की संभावना भी न के बराबर ही रहती है...  शायद आपके मन में यह भी सवाल आ रहा होगा कि क्या राष्ट्रपति शासन की भी कोई टाइम लिमिट होती है? तो इसका जवाब है- हां... संविधान के आर्टिकल 356 के मुताबिक राष्ट्रपति शासन की मीयाद 6 महीने हो सकती है... लेकिन, यह समयसीमा तीन साल तक बढ़ सकती है... यहां यह भी जान लीजिए कि राष्ट्रपति शासन को हटाने के लिए संसद की मंज़ूरी नहीं चाहिए होती...

राष्ट्रपति शासन लगने पर क्या होता है?

बहरहाल, राष्ट्रपति शासन की सबसे खास और सबसे इंटरेस्टिंग बात यह है कि ना तो सत्ता पक्ष और ना विपक्ष, कोई नहीं चाहता कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगे... क्योंकि इसके लागू होने के बाद नेताओं की नेतागिरी खत्म हो जाती है और अफसरों की अफसरशाही बढ़ जाती है... जो किसी भी सूरत में सही चीज नहीं है, क्योंकि अगर नेतागिरी से एक प्रतिशत नुकसान है तो अफसर शाही से 10 फीसद नुकसान है... लिहाज़ा, लोकतंत्र के ज़रिए चुनी जाने वाली सरकार वाली जो प्रथा हमारे देश में चली आ रही है वो ही सबसे बेस्ट है...हमें उम्मीद है कि राष्ट्रपति शासन से जुड़े हुए हर सवालों के जवाब आपको मिल गए होंगे... अगर आपको स्टोरी पसंद आई तो इसे आप अपने जानने वालों के साथ भी शेयर कीजिए...

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