ज्ञानवापी मस्जिद के पीछे की कहानी क्या है? Gyanvapi Masjid Par ASI Ka Faisla

ज्ञानवापी मस्जिद पर कोर्ट का फैसला क्या आया? Gyanvapi Masjid Ke Bare Mein Bataen
 

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Gyanvapi Masjid ASI Report, Who is fighting for Gyanvapi Mosque, ज्ञानवापी मस्जिद किसने बनवाया था

 

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानि की एएसआई की टीम, जो की ज्ञानवापी की जांच में लगी हुई थी. उन्होंने अपनी जांच पूरी कर ली है और उनकी रिपोर्ट अब सार्वजनिक हो चुकी है। 

ज्ञानवापी मस्जिद का फैसला कब आएगा, Gyanvapi Masjid Ke Bare Mein Bataen

जी हाँ, आपको बता दें की ज्ञानवापी मस्जिद पर इतने समय से जो विवाद चल रहा है।  और जिसकी जांच में ASI की टीम लगी हुई थी उसने अपनी सारी पूरी कर ली है और सारे साक्ष्यों के आधार पर अपना फैसला भी दे दिया था. जिसमे ASI ने अपनी रिपोर्ट में कहा, कि ज्ञानवापी में पहले हिंदू मंदिर था. ज्ञानवापी के खंभों पर हिंदू देवी देवताओं के प्रतीक चिन्ह मिले हैं. साथ ही ज्ञानवापी के खंभों पर पशु पक्षियों के चिन्ह भी अंकित हैं. बता दें की ज्ञानवापी के सर्वे के दौरान ASI ने GPR तकनीक का भी सहारा लिया. अब GPR तकनीक क्या है इसको भी थोड़ा समझेंगे। देखिये जो जीपीआर यानि की ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार तकनीकी है, वो जमीन की सतह से नीचे के स्तरों को देखने और भू-वस्तुओं की गहराई को मापने के लिए उपयोग किया जाता  है. और इसका प्रयोग भू-विज्ञान, खनिज खोज और भूगर्भीय के अध्ययन में किया जाता है. इसके साथ ही जीपीआर उपकरण जो है, वो भूमि के नीचे की गहराई की तस्वीरों को तैयार करता है. 

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Gyanvapi Masjid Par ASI Ka Faisla, Gyanvapi ASI Survey

ASI ने GPR  तकनीक का ही उपयोग ज्ञानवापी मस्जिद में किया और उसके बाद वहां हिन्दू मंदिर के सारे साक्ष्य मिलने के बाद ही अपनी रिपोर्ट में ये तय किया। की वहां हिन्दू मंदिर ही था. अगर आप ज्ञानवापी से परिचित नहीं हैं, तो ज्ञानवापी के बारे में आपको थोड़ी जानकारी दे दे. देखिये ज्ञानवापी मस्जिद जो है, उसे कभी कभी आलमगीर मस्जिद भी कहा जाता है, जो की वाराणसी मे स्थित एक विवादित मस्जिद है। यह मस्जिद, काशी विश्वनाथ मंदिर से बिलकुल सटी हुई है। जोकि 1669 मे मुग़ल आक्रमणकारी औरंगजेब ने प्राचीन विश्वेश्वर मंदिर को तोड़ कर यह ज्ञानवापी मस्जिद बना दी थी। जिसमे वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्ववेश की अदालत ने सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी. और इस रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी परिसर में मंदिर की संरचना मिली है। इस पर हिंदू पक्ष ने अपनी जीत बताते हुए कहा है कि सर्वे रिपोर्ट से साफ हो गया कि मंदिर को तोड़कर ही मस्जिद बनाई गई। और हिन्दुओं के मुताबिक अब हिंदुओं को पूजा-पाठ की अनुमति मिल जानी चाहिए। वहीं दूसरी तरफ से मुस्लिम पक्ष ने कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाने की घोषणा कर दी है। और अगर मौजूदा समय में देखें तो हिंदू पक्ष का दावा शुरुआती तौर पर मजबूत हो सकता है, लेकिन अभी मामले को वाराणसी में सिविल कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के सामने कानूनी परीक्षा से भी गुजरना पड़ेगा। इसके बाद ही तय होगा कि ज्ञानवापी परिसर पर मालिकाना हक का मुकदमा चल सकता है या नहीं।

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ज्ञानवापी मस्जिद पर कोर्ट का फैसला क्या आया? Gyanvapi Masjid Case History

जैसे की सर्वे के दौरान नमाज़ पर कोई रोक नहीं लगेगी और ज्ञानवापी मस्जिद को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा, कोर्ट ने मस्जिद के सिर्फ तीन गुंबदों के नीचे ASI को 'ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार सर्वे' करने का आदेश दिया था.  और कोर्ट ने जरूरत पड़ने पर खुदाई की अनुमति भी दी थी, इसके साथ ही ASI डायरेक्टर को निर्देश दिया गया था कि इस चीज़ की जानकारी करें कि मौजूदा ढांचा किसी हिंदू मंदिर के पहले से मौजूद ढांचे को तोड़कर बनाया गया है या नहीं. साथ ही मस्जिद परिसर में जितनी भी पुरानी कलाकृतियां मिलें तो उसकी लिस्ट बनाएं.और इन कलाकृतियों की वैज्ञानिक तरीके से जांच की करें और कार्बन डेटिंग भी करें ताकि ढांचे की उम्र का भी पता लग पाए .

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Gynanvapi Par Logon Ki Pratikriya Kya Hai ? Gyanvapi Masjid Latest News

वहीँ ज्ञानवापी को लेकर आई ASI की रिपोर्ट पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी अपना बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भारत वासियों को अपनी परम्परा पर  गौरव की अनुभूति होनी चाहिए. क्यूंकि सनातन संस्कृति सबसे प्राचीन है. और हमारा इतिहास हजारों वर्षों से भी अधिक पुराना है. इसके साथ ही ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट को लेकर हिंदू पक्ष लगातार कई दावे कर रहा है और हिन्दू पक्ष ने वह पूजा अर्चना करने की भी अर्जी दाखिल कर दी है.  जिसको लेकर मध्यकालीन और प्राचीन भारत के ज्ञाता प्रोफेसर इरफान हबीब ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा की क्या अब देश में यही सब काम रह गया है की मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाओ और मस्जिद को तोड़कर मंदिर . ऐसे ही बाबरी मस्जिद पर भी कोई तारीखी सबूत नहीं था कि सच में वहां कोई मंदिर ही था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फिर भी मंदिर पर फैसला दे दिया . 

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