Zomato Ki Delivery Kaise Hoti Hai : क्या जोमैटो एक अच्छा ऐप है?
Zomato App Ke Bare Me Jankari In Hindi

Zomato App Store
Zomato App Review
Is Zomato A Good App
जिस दौर में हम जी रहे हैं वो इंटरनेट का दौर है, ये बात 100 पर्सेंट सच है कि इंटरनेट की वजह से हम बहुत तेज़ी से advanced हो रहे हैं, लेकिन उससे भी बड़ा सच ये है कि हम दोगुनी स्पीड से काहिल भी हो रहे हैं... भई, आप खुद ही सोचिए, आलस के मारे हमने घर पर खाना बनाना छोड़ दिया है...
क्या ऑनलाइन फ़ूड, हैल्थ के लिए अच्छे हैं?
हम इस क़दर आलसी हो चुके हैं कि अब तो हम अपने पसंदीदा रेस्टोरेंट भी नहीं जाना चाहते, बस घर या ऑफिस में बैठे-बैठे अपने मोबाइल से कोई भी फूड डिलीवरिंग ऐप के ज़रिए अपना मन पसंदीदा फूड आइटम मंगवा लेते हैं... और इसके लिए हम सबसे ज्यादा इस्तेमाल करते हैं स्विग्गी और जोमैटो जैसे फूड डिलीवरिंग ऐप्स का... और यही काम हम सबसे ज्यादा ग़लत कर रहे हैं... जोमैटो से खाना ऑर्डर करके या तो आप अपना धर्म भ्रष्ट कर रहे हो या आप अपनी मौत को दावत दे रहे हो... इतनी बड़ी बात हम क्यों कह रहे हैं, इसकी वजह भी है जो हम इस रिपोर्ट में आपको बताते जा रहे हैं...
आपको याद होगा कि अभी चंद दिन पहले ही जोमैटो ने अपने प्लेटफार्म पर Pure Veg Fleet और Pure Veg Mode शामिल किया था... कंपनी के सीईओ दीपिंदर गोयल ने 19 मार्च को ट्वीट कर ये जानकारी दी थी कि वो अपने शुद्ध शाकाहारी कस्टमर्स के लिए प्योर वेज रेस्टोरेंट से फूड डिलीवरी का ऑप्शन शुरू करने जा रहे हैं... उन्होंने कहा था कि देश में शुद्ध शाकाहारी भोजन खाने वालों की एक बड़ी आबादी है जो इस बात को लेकर काफी सजग हैं कि उनका खाना कैसे पकाया जाता है और हैंडल किया जाता है... इसके साथ ही जोमैटो ने शाकाहारी कस्टमर्स को खाने की डिलीवरी के लिए ग्रीन फ्लीट शुरू करने की बात कही थी, जिसमें प्योर वेज खाना ले जाने वाले डिलीवरी एजेंट्स हरे रंग के कपड़े पहनकर हरे रंग के फूड बॉक्स में डिलीवरी करने जा रहे थे... हालांकि, शुद्ध शाकाहारी खाने के लिए अलग से सर्विस शुरू करने के फैसले का कई लोगों ने विरोध किया, जिसको देखते हुए ही जोमैटो को अपना फैसला बदलना पड़ा... सिर्फ वो ही फैसला, जिसमें प्योर वेज खाना ले जाने वाले डिलीवरी एजेंट्स को हरे रंग के कपड़े पहनाकर हरे रंग के फूड बॉक्स में डिलीवरी करने की बात कही गई थी...
Zomato से खाना कैसे मंगवाते हैं?
लेकिन... जोमैटो अपने वादे पर एक महीना भी नहीं टिक पाया... अरे भाई इसके ताजा सबूत भी हम आपको देते हैं... जैसा कि आप सभी को मालूम है कि इन दिनों नवरात्र चल रहे हैं... उत्तर भारत के ज्यादातर लोग नॉनवेज खाना तो दूर, नॉनवेज का नाम भी अपनी ज़ुबान पर नहीं ला रहे हैं... लेकिन सोशल मीडिया पर एक ऐसी पोस्ट वायरल हो रही है, जो जोमैटो की लापरवाही साफ उजागर कर रही है... दरअसल हुआ कुछ यूं कि आकाश गुप्ता नाम के एक शख्स ने जोमैटो पर वेज मोमोज़ ऑडर्र किया था, लेकिन उसे कंपनी के ओर से नॉन-वेज मोमोज़ मिले... इसके बाद कस्टमर ने जोमैटो पर शाकाहारी मोमोज़ के बजाय मांसाहारी मोमोज मिलने की शिकायत की और उसे नवरात्रि के दौरान नॉन वेजीटेरियन फूड भेजने के लिए जोमैटो की सबके सामने आलोचना की... अब इस पूरे पोस्ट का स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है जिस पर लोग अपनी अपनी तरह से उस पर अपनी प्रक्रिया दे रहे हैं... और लोग सबसे ज्यादा धर्म भ्रष्ट करने का आरोप जोमैटो पर लगा रहे हैं... एक दूसरे सूरत-ए-हाल में हमारे सामने से एक ये न्यूज़ होकर गुज़री थी कि पंजाब के पटियाला में जोमैटो से आर्डर किए गए केक को खाने के बाद एक 10 साल की बच्ची की मौत हो गई...
दरअसल, पटियाला के अमन नगर इलाके में रहने वाली 10 साल की बच्ची मानवी का पिछले महीने की 24 तारीख को जन्मदिन था... इस मौके पर उसकी मां काजल ने जोमैटो पर कान्हा फर्म से केक मंगवाया... रात को परिवार के सभी लोगों ने जन्मदिन मनाया और केक खाया... केक खाने के बाद मानवी की तबीयत बिगड़ गई जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया... यहां इलाज के दौरान मानवी की मौत हो गई... मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मानवी की मौत के बाद उसके परिजनों ने केक भेजने वाले कान्हा फर्म के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई... लेकिन जब जांच की गई तो उसमें जो पता दिया गया था वो फर्जी निकला और वहां ऐसी कोई दुकान ही नहीं थी... इसके बाद मानवी के परिजनों ने 30 मार्च को फिर जोमैटो के जरिए उसी कान्हा फर्म से फिर एक केक मंगवाया और जब उसे देने डिलीवरी एजेंट पहुंचा तो उस पकड़ लिया... डिलीवरी एजेंट के साथ जब पुलिस केक भेजने वाली दुकान पर पहुंची तो पता चला कि कान्हा फर्म फर्जी था और केक न्यू इंडिया बेकरी से भेजा गया था... इस दौरान केक से मौत होने के बाद परिजनों ने बचे हुए केक को फ्रीज में संभाल कर रखा था ताकि उसकी जांच की सके... पुलिस के मुताबिक न्यू इंडिया बेकरी के मालिक ने ही कान्हा फर्म नाम से एक और बेकरी रजिस्टर्ड करा रखा था और जोमैटो पर डिलीवरी के लिए इसी नाम का इस्तेमाल करता था...
खैर, जोमैटो ने इस फर्म को भले ही अपनी लिस्ट से बाहर क्यों न कर दिया हो... लेकिन ऐसा करके वो एक छोटी बच्ची की जान दोबारा वापस नहीं ला सकते... इसमें जोमैटो की लापरवाही साफ नजर आती है... मतलब हद है, कोई भी किसी भी नाम से जोमैटो पर अपना रजिस्ट्रेशन करा ले रहा है और जोमैटो इसकी जांच पड़ताल भी नहीं कर रहा है, बस अपना प्रॉफिट परसेंटेज बनाने के लिए फूड ऑर्डर लेता जा रहा है... जिसके बाद सवाल ये आता है कि आखिर कब तक जोमैटो जैसे ऑनलाइन फूड कंपनियों की लापरवाही का शिकार मासूम लोग होते रहेंगे... क्या इनके लिए कोई मानक तय होंगे, या ये ऐसे ही अपनी मनमानी करते रहेंगे... सवाल बड़ा है और लोगों को इसके प्रति जरूर जागरूक होना चाहिए, किसी भी बड़े नुकसान से पहले..