हर इंसान कभी ना कभी किसी ना किसी चीज को लेकर या तो ज्यादा सोचता है या उसे लेकर भयभीत हो जाता है। सोचना और डरना बुरा नहीं है पर जब यही खौफ हद से ज्यादा हो जाए तो मानसिक समस्या बन जाता है। जिसे फोबिया का नाम दिया गया है।
जो डर होता है वो हमारी बॉडी के नर्वस सिस्टम में बदलाव के कारण होता है। जो सीधे हमारे माइंड में असर करता है।जो व्यक्ति डर से पीड़ित हैं उनको आजम व्यक्ति की तुलना में अधिक डर लगने लगता है और वे डरे-डरे और सहमे से रहने लगते हैं।
कभी- कभी किसी व्यक्ति के साथ कुछ ऐसी घटना हो जाती हैं तो वो उसके मन में हमेशा के लिए एक डर पैदा कर देती है। और जो फोबिया होता है तो किसी भी परिस्थिति में हो सकता है।
बच्चों की यदि हम बात करें तो जो बच्चे दिमागी परेशानी या एंग्जायटी डिसऑर्डर आदि से पीड़ित होते हैं, तो समय के साथ-साथ उनके अंदर फोबिया होने का खतरा बढ़ जाता है। और जो व्यक्ति बहुत समय से बीमार हैं, उनको भी फोबिया होने की संभावना होती है।
आपको अगर जरुरत से ज्यादा पसीना आता है, हर समय अगर चक्कर आते रहते हैं या हांथ -पैर में अधिकतर कंपन होता रहता है इसके आलावा हाई ब्लड प्रेशर रहना और जरूरत से ज्यादा गुस्सा आना भी फोबिया के लक्षण हो सकते हैं।
इसके साथ ही मोबाइल फोन की वजह से आज हर व्यक्ति शारीरिक और मानसिक समस्याओं से जूझ रहा है। और यह आदत शराब पीने या जुआ खेेलने जितनी ही की आदत से भी जयदा बुरी आदत है। बता दे की मोबाइल फोन की वजह से नजर कमजोर होना, कम सुनाई देना, नींद ना आना जैसी समस्याएं होती हैं।
आपको बता दे की फोबिया के लगभग 100 से ज्यादा प्रकार पाए गए हैं। लेकिन इनमे से सोशल फोबिया, एगोरोफोबिया, ग्लासोफोबिया, एक्रोफोबिया आदि के लक्षण लोगों में ज्यादा देखने को मिलते हैं।
जो डर और भय है वो बच्चों में काल्पनिक डर होता है जैसे कम उम्र के बच्चे तेज आवाज, बिजली की चमक, बादलों का गर्जना, अकेलापन और अंधेरे वाले स्थान से डरते है। लेकिन वो प्रत्यक्ष रूप से सामने रखी हुई चीज़ों से नहीं डरते।
माता-पिता भी अनजाने में रात्रि में जब छोटा बच्चा सोने में आनाकानी करता है, तो उसे बाबाजी, भूत-प्रेत, शेर का डर दिखाकर सुलाने की कोशिश करते हैं। जो की छोटे बच्चों के लिए बहुत ही खतरनाक है।
अगर बच्चों को अँधेरे से दर लगता है तो उन्हें अपने साथ अंधेरे में हाथ पकडक़र ले जाएं और फिर लाइट जलाकर बताएं कि यहां डरने की कोई चीज नहीं है।उन्हें साहसी बनाएं, कहानियां सुनाएँ और खुद के उदाहरण दें, उन्हें वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप, मोगली आदि की कहानियां सुनानी चाहिए