घर के लिए वास्तु शास्त्र भौतिक पर्यावरण और जीवन की गुणवत्ता के बीच संबंध स्थापित करने का काम करता है । यह परिवार की खुशी, वृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है। वास्तु शास्त्र में आपके घर का दिशा-निर्देश महत्वपूर्ण है।
वास्तु के अनुसार घर के लिए ली गयी भूमि वर्गाकार या आयताकार होना चाहिए। इसके चार कोने होने चाहिए और इसका मुख उत्तर, पूर्व, दक्षिण और पश्चिम दिशाओं में वर्गाकार होना चाहिए। भवन की लंबाई और चौड़ाई के बीच अनुशंसित अनुपात 1:1, 1:1.5 या अधिकतम 1:2 है।
वास्तु के अनुसार मुख्य द्वार की दिशा हमेशा उत्तर-पूर्व, उत्तर, पूर्व या पश्चिम की ओर होनी चाहिए। ये दिशाएं वास्तु के अनुसार शुभ मानी जाती हैं। वहीं मुख्य प्रवेश द्वार दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण, उत्तर-पश्चिम (उत्तर दिशा) या दक्षिण-पूर्व दिशा में रखने से बचें।
वास्तु के अनुसार बैडरूम की दिशा: मास्टर बेडरूम आदर्श रूप से घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में स्थित होना चाहिए। यह अच्छे स्वास्थ्य, दीर्घायु और समृद्धि को बढ़ाता है। उत्तर-पश्चिम दिशा भी एक अच्छा विकल्प है जो अतिथि शयनकक्ष या आपके बच्चों के शयनकक्ष के लिए सबसे उपयुक्त हो सकता है।
घर में रसोई के लिए आदर्श दिशा दक्षिण-पूर्व कोना है। हालाँकि किसी समस्या में आप उत्तर-पश्चिम दिशा में भी बना सकते है। रसोई का प्रवेश द्वार पूर्व या उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।
वास्तु के अनुसार टॉयलेट सीट के लिए सबसे अच्छी दिशा दक्षिण-पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा है। यह इस प्रकार बना हो कि उपयोग करने वाले व्यक्ति का मुख पूर्व व पश्चिम की ओर न हो।