आखिर आतिशी ही CM क्यों

भारत की राजनीति एक चक्र की तरह है, जिसका पहिया घूमता रहता है... लिहाज़ा, कई बार ऐसा भी होता है कि चीज़ें रिपीट भी हो जाती हैं, चलिए इसे हम आपको एक उदाहरण देकर समझाते हैं
Who is Atishi Marlena Singh new Delhi CM : ये बात है साल 2004 की... लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सबसे बड़ा एलाइंस होने के नाते यूपीए की Top Leadership जोड़तोड़ कर केन्द्र में सरकार बनाने का सपना साकार करने जा रहा थी... सोनिया गांधी की प्रधानमंत्री के रूप में ताजपोशी होना तय थी, लेकिन सोनिया गांधी का विदेशी मूल का होना भारी पड़ गया. 
Who is Atishi Marlena Singh new Delhi CM : ये बात है साल 2004 की... लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद सबसे बड़ा एलाइंस होने के नाते यूपीए की Top Leadership जोड़तोड़ कर केन्द्र में सरकार बनाने का सपना साकार करने जा रहा थी... सोनिया गांधी की प्रधानमंत्री के रूप में ताजपोशी होना तय थी, लेकिन सोनिया गांधी का विदेशी मूल का होना भारी पड़ गया. 

लेकिन जब ये लोग वापस वहां से लौटे तो नज़ारा बिल्कुल बदल चुका

सरकार बनाने का दावा ठोंकने के लिये सोनिया गांधी के नेतृत्व में तमाम दलों के नेता राष्ट्रपति के पास पहुंचे भी, लेकिन जब ये लोग वापस वहां से लौटे तो नज़ारा बिल्कुल बदल चुका था... उस समय कांग्रेस की अध्यक्ष रहते सोनिया गांधी ने त्याग की मूर्ति बनते हुए अपनी जगह सरदार मनमोहन सिंह का नाम प्रधानमंत्री के रूप में आगे कर दिया, जबकि कांग्रेस में प्रणव मुखर्जी जैसा कद्दावर नेता मौजूद था, जिनकी अपनी अलग शख्सियत थी... प्रणव मुखर्जी को कांग्रेस का 'चाणक्य' माना जाता था, उनकी राजनैतिक सूझबूझ गजब की थी, लेकिन दस जनपथ को पीएम की कुर्सी के लिये एक ऐसा नेता चाहिए था, जो देश से ज़्यादा गांधी परिवार के लिए वफादार हो... गांधी परिवार की सोच के इस फ्रेम में मनमोहन सिंह बिल्कुल फिट बैठते थे... तो बस इसी लिये मनमोहन सिंह की प्रधानमंत्री की कुर्सी पर ताजपोशी को एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर कहा जाने लगा... 

क्या अरविंद केजरीवाल ने सोनिया गांधी वाला ही वफादारी वाला दांव चुना

अब यानी साल 2024 में ठीक 20 सालों बाद, 2004 वाली सियासत जैसा एक मोहरा रिपीट होते हुए हमनें देखा है आतिशी के रूप में... वो 'एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' नहीं, बल्कि 'एक्सीडेंटल चीफ मिनिस्टर' बनीं हैं वो भी दिल्ली की... जी हां, दिल्लीवालों को अपना नया सीएम मिल गया है... अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को अपना उत्तराधिकारी चुना है... सीएम पद की रेस में सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय, कैलाश गहलोत और राखी बिड़ला समेत कई नाम थे, जो अब पिछड़ गए... जिसके बाद अब सवाल ये उठता है कि आखिर अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को ही दिल्ली का नया सीएम क्यों बनाया है? क्या अरविंद केजरीवाल ने सोनिया गांधी वाला ही वफादारी वाला दांव चुना है? चलिए अपनी इस रिपोर्ट में हम ये जानने की कोशिश करते हैं..

अरविंद केजरीवाल का सबसे भरोसेमंद और काफी करीबी माना जाता है

देखिए इस बात में कोई शक नहीं है कि आतिशी को अरविंद केजरीवाल का सबसे भरोसेमंद और काफी करीबी माना जाता है... आतिशी आम आदमी पार्टी की कोई नई नेता नहीं हैं, बल्कि वो अन्ना आंदोलन के समय से ही अरविंद केजरीवाल और संगठन के साथ जुड़ी हुई हैं... महज पांच साल के अंदर उन्होंने अपनी काबिलियत से विधायक से मंत्री तक का सफर तय किया है... आतिशी 2020 में पहली बार कालकाजी से विधायक बनी थीं... उन्हें साल 2023 में अरविंद केजरीवाल सरकार में मंत्री बद मिला और अब साल 2024 में वो दिल्ली की मुख्यमंत्री बन गई हैं... इस तरह से देखा जाए तो उनका सियासी सफर काफी चमत्कारी रहा है.

दिल्ली शराब घोटाला केस में जब अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जेल में थे

ये समझ लीजिए कि दिल्ली शराब घोटाला केस में जब अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जेल में थे, तब आतिशी ने ही मोर्चा संभाले रखा था... इस दौरान आतिशी सरकार के कामकाज से लेकर संगठन तक की जिम्मेवारी बखूबी निभाती रहीं... जब-जब आम आदमी पार्टी पर मुसीबत आई, उन्होंने सामने आकर विरोधियों का मुकाबला किया... बीते कुछ समय से केजरीवाल और सिसोदिया की गैरमौजूदगी में वो आम आदमी पार्टी का प्रमुख चेहरा बन चुकी थीं... अक्सर किसी भी मसले पर वो मीडिया के सामने आतीं और आम आदमी पार्टी का स्टैंड रखतीं.उन दोनों बड़े नेताओं की गैर-मौजूदगी में आतिशी ने संगठन और नेताओं के मनोबल को गिरने नहीं दिया.

मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद शिक्षा मंत्रालय की बागडोर को संभालना

चलिए अब आपको बताते हैं वो क्या वजहें बनीं कि अरविंद केजरीवाल ने सीएम की कुर्सी के लिए आतिशी को ही काबिल मान तो सबसे बड़ी वजह आम आदमी पार्टी सरकार के मंत्रियों में उनका इकलौती महिला मंत्री होना पार्टी में महिलाओं की प्रमुख आवाज होना. मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद शिक्षा मंत्रालय की बागडोर को संभालना और उसे अच्छे से निभाना. संगठन और नेताओं में आतिशी की अच्छी खासी पकड़ होना. आतिशी का लगभग सभी मुद्दों पर आक्रामक रुख होना. इसके साथ ही संगठन और प्रशासन का अच्छा अनुभव होना... ये तमाम वजहें हैं जो आतिशी को दिल्ली मुख्यमंत्री पद का सबसे योग्य दावेदार बनातीं हैं.

नीचे ये video देखिये 

हां एक और बात, आतिशी का केजरीवाल फैमिली से एक पर्सनल जुड़ाव भी है... जिस समय केजरीवाल जेल में थे, उनकी पत्नी सुनीता को संभालने का काम आतिशी ने ही किया था... जिस तरह से हर मंच पर वो सुनीता के साथ दिखीं, हर मौके पर उनका बचाव किया, ये बताने के लिए काफी रहा कि उन्होंने नेता से हटकर एक परिवार के सदस्य की तरह स्थिति को संभालने की कोशिश की... अब आतिशी की उस व्यवहार कुशलता ने ही उन्हें सीएम पद तक पहुंचाने का काम कर दिया है... ये तो रही आतिशी के मुख्यमंत्री बनने की बात, चलिए अब जानते हैं कि आतिशी की ज़िंदगी से जुड़ी कुछ खास बातें और ये भी जानते हैं कि वो कैसे आम आदमी पार्टी के संपर्क में आईं... 

आतिशी ने सेंट स्टीफेंस कॉलेस से इतिहास की पढ़ाई की है

आतिशी की schooling दिल्ली के Springdales School से हुई थी... आतिशी ने सेंट स्टीफेंस कॉलेस से इतिहास की पढ़ाई की है..आतिशी ने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से मास्टर्स डिग्री हासिल की... बाद में आतिशी को चिवनिंग स्कॉलरशिप भी मिली... इसके बाद आतिशी ने आंध्र प्रदेश के ऋषि वैली स्कूल में बच्चों को पढ़ाया... वो ऑर्गेनेकि फार्मिंग और शिक्षा व्यवस्था से जुड़े कामों में सक्रिय रहीं... फिर आतिशी भोपाल आ गईं... यहां वो कई एनजीओ के साथ काम करने लगीं... इसी दौरान वो आम आदमी पार्टी और प्रशांत भूषण के संपर्क में आईं...

अन्ना आंदोलन के समय से ही आतिशी संगठन में सक्रिय रही हैं और अब आम आदमी पार्टी के प्रमुख चेहरों में शुमार हैं... आतिशी साल 2013 में आम आदमी पार्टी से जुड़ीं... वो साल 2015 से लेकर 2018 तक दिल्ली के तत्कालीन शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार के तौर पर काम कर रही थीं.आम आदमी पार्टी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक- मनीष सिसोदिया की सलाहकार रहते हुए उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूलों की दशा सुधारने, स्कूल मैनेजमेंट कमिटियों के गठन और निजी स्कूलों को बेहिसाब फ़ीस बढ़ोतरी करने से रोकने के लिए कड़े नियम बनाने जैसे कामों में अहम भूमिका निभाई.

आतिशी के पास फिलहाल दिल्ली सरकार में जो विभाग हैं

आतिशी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की भी सदस्य हैं... आतिशी के पास फिलहाल दिल्ली सरकार में जो विभाग हैं उनमें शिक्षा, उच्च शिक्षा, टेक्निकल ट्रेनिंग एंड एजुकेशन, पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट, ऊर्जा, राजस्व, योजना, वित्त, विजिलेंस, जल, पब्लिक रिलेशंस और कानून-न्याय जैसे डिपार्टमेंट शामिल हैं.

चलिए अब आपको बताते हैं कि एक वक्त पर कैसे आतिशी को अपने सरनेम की वजह से कंट्रोवर्सी फेस करनी पड़ी थी... दरअसल, आतिशी ने लोकसभा चुनाव में भी अपनी किस्मत आजमाई थी... 2019 के लोकसभा चुनाव में 'आम आदमी पार्टी' ने उनको पूर्वी दिल्ली सीट से उम्मीदवार बनाया था... उस वक्त वो आतिशी मार्लेना के तौर पर जानी जाती थीं... उसी चुनाव में प्रचार के दौरान आतिशी ने पार्टी के सभी रिकॉर्ड और चुनाव अभियान से जुड़े सभी कागज़ातों से अपना उपनाम यानी 'मार्लेना' हटा दिया था..

आतिशी के सरनेम की वजह से उन्हें विदेशी और ईसाई बताकर घेरना शुरू कर दिया

उस समय भारतीय जनता पार्टी ने आतिशी के सरनेम की वजह से उन्हें विदेशी और ईसाई बताकर घेरना शुरू कर दिया था..हालांकि, आतिशी ने कहा था कि वो अपना सरनेम इसलिए हटा रही हैं क्योंकि वो अपनी पहचान साबित करने में समय बर्बाद नहीं करना चाहतीं..दरअसल, आतिशी के माता-पिता को वामपंथी झुकाव वाला माना जाता है और कार्ल मार्क्स और व्लादिमीर लेनिन के नामों के अक्षरों को जोड़कर आतिशी को 'मार्लेना' सरनेम दिया गया था... आतिशी के सरनेम पर छिड़े विवाद के बीच उस समय मनीष सिसोदिया उनके बचाव में उतरे और उन्हें 'राजपूतानी' बताया था...

Share this story