माइक्रोप्लास्टिक मनुष्य के लिए हानिकारक क्यों हैं? Harmful Effects Of Microplastics On Humans
माइक्रोप्लास्टिक मानव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है? The Impacts Of Microplastic Pollution On The Environment
माइक्रोप्लास्टिक्स एक समस्या क्यों है?
Microplastic In Human Blood
How Are Microplastics Affecting Humans?
How Do I Stop Eating Microplastics?
क्या आप भी खाने में प्लास्टिक खाते हैं। प्लास्टिक का हद से ज्यादा इस्तेमाल पूरी दुनिया के लिए सर दर्द बना हुआ है और इससे फैलने वाला प्रदूषण दुनिया के लिए खतरा बना हुआ है। अगर हम महासागरों की बात करें तो कई टन प्लास्टिक इसमें तैर रहा है। जो न सिर्फ महासागर में रहने वाले जीवों को प्रभावित कर रहा है बल्कि हमारी पृथ्वी पर अपना प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। महासागरों के गहराइयों से लेकर ऊँचे-ऊँचे ग्लेसियर तक हर जगह प्लास्टिक मौजूद है। हर दिन, प्लास्टिक से भरे 2,000 ट्रकों के बराबर कचरा दुनिया के महासागरों, नदियों और झीलों में फेंक दिया जाता है। प्लास्टिक प्रदूषण एक वैश्विक समस्या है। हर साल 19-23 मिलियन टन प्लास्टिक कचरा जलीय पारिस्थितिक तंत्र में लीक हो जाता है, जिससे झीलें, नदियाँ और समुद्र प्रदूषित हो जाते हैं। प्लास्टिक के इस्तेमाल को कैसे कम किया जाए और इससे कैसे बचा जाए इसे लेकर नए नए शोध किये जा रहे हैं। इसी तरह के के कई शोध प्लास्टिक से मानव शरीर को होने वाले नुक्सान को लेकर भी किये जा रहे हैं। हाल ही में हुई एक स्टडी बताती है कि हर रोज सांस के जरिये एक व्यक्ति जितनी मिक्रोप्लास्टिक अपने शरीर में लेता हैं उसे अगर इकठ्ठा किया जाए तो एक क्रेडिट कार्ड बन जाए।
What is microplastic in hindi प्लास्टिक माइक्रोप्लास्टिक कैसे बनते हैं?
सिंथेटिक पॉलिमर से बने छोटे ठोस कण होते हैं। प्लास्टिक समय के साथ डिजॉल्व नहीं होता है बल्कि ये छोटे छोटे टुकड़ो में टूटता रहता है। प्लास्टिक के ये बहुत ही ज्यादा छोटे कण माइक्रोप्लास्टिक कहलाते हैं जोकि 5 मिलीमीटर से भी छोटे होते हैं। ये कई रूपों में हमारे आसपास मौजूद हैं मसलन कॉस्मेटिक में- हम चेहरे पर कई सारे स्किन केयर प्रोडक्ट का इस्तेमाल करते हैं। कई बार जब हम चेहरे पर इन्हे इस्तेमाल या हाथों से लगाते हैं तो छोटे-छोटे दाने की रगड़ महसूस करते हैं जोकि माइक्रोबीड्स होते हैं। ये माइक्रोबीड्स प्लास्टिक के छोटे टुकड़े होते हैं। इसके अलावा कई सिंथेटिक कपड़ों में भी प्लास्टिक के रेशे यानी माइक्रोफाइबर होता है। इसके साथ ही प्लास्टिक के कई बड़े सामान जैसे टायर, बर्तन, कई इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स आदि भी प्लास्टिक से बने होते हैं। जब ये कबाड़ में जाते हैं तो इनकी प्लास्टिक कई टुकड़ों में टूटने लगती है। जिसके बाद ये प्लास्टिक के छोटे छोटे पार्टिकल्स में टूटने लगती है इसी को माइक्रोप्लास्टिक कहते हैं। इंडस्ट्रीज से निकलने वाला कचरा भी जब डिग्रेड होता है तो उससे भी माइक्रोप्लास्टिक के कण बनते हैं।
Why are microplastics a problem? माइक्रोप्लास्टिक प्रदूषण क्या है?
जहां सूरज, हवा या अन्य कारणों से प्लास्टिक सूक्ष्म कणों में टूट जाता है, जो माइक्रोप्लास्टिक है। हम रोजमर्रा के जीवन में जिन उत्पादों का उपयोग करते हैं जैसे कि टूथपेस्ट और चेहरे की स्क्रब में उपयोग किए जाने वाले कॉस्मेटिक (माइक्रोबायड्स) में भी माइक्रोप्लास्टिक होता है। इसके अलावा पैकेज्ड फ़ूड, घर में प्लास्टिक की बोतल, डब्बे, बरतन, कई तरह के पेंट आदि से माइक्रोप्लास्टिक निकला है जो हमारे शरीर तक जाता है। महासागरों में टनों टन प्लास्टिक हर साल डाला जाता है जोकि इसके अंदर के जीवन के साथ साथ तमाम तरह का प्रदुषण फैला रहा है।
How do microplastics enter the human body माइक्रोप्लास्टिक्स मानव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करते हैं?
हाल ही में हुई कई स्टडी में मनुष्यों द्वारा खाए जाने वाले भोजन और हवा में माइक्रोप्लास्टिक का पता चला है। माइक्रोप्लास्टिक भोजन के सेवन या साँस के माध्यम से मानव के शरीर में प्रवेश कर स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। अंतर्ग्रहण या साँस के माध्यम से अंदर जाने वाले माइक्रोप्लास्टिक शरीर में जमा हो सकते हैं और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर कर सकते हैं या स्थानीय कण विषाक्तता का कारण बन सकते हैं। रिसर्च बताते हैं माइक्रोप्लास्टिक के कण मानव शरीर के फेफड़ों, हृदय, खून आदि कई अंगों में मिले हैं। यहाँ तक माइक्रोप्लास्टिक को गर्भ में पल रहे बच्चे की नाल तक में पाया गया है।
What are the three main routes of exposure to microplastics in humans? माइक्रोप्लास्टिक्स शरीर में कहां जाते हैं?
माइक्रोप्लास्टिक्स और नैनोप्लास्टिक्स (एमएनपीएल) हवा, जमीन और समुद्र के माध्यम से तेजी से फैल रहे हैं। मनुष्य विभिन्न मार्गों से एमएनपीएल के संपर्क में आते हैं: मुँह से, साँस लेने से और स्किन संपर्क के द्वारा। मनुष्यों के संपर्क में आने वाले प्लास्टिक कणों के कुल भार का अनुमान नए रिपोर्ट किए गए अध्ययनों के आधार पर लगाया गया है। विभिन्न रसायन हमारी प्लास्टिक की पानी की बोतलों, बर्तन, डब्बों और त्वचा संबंधी उत्पादों से निकलकर हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। ये यौगिक अंतःस्रावी व्यवधान, वजन बढ़ना, इंसुलिन प्रतिरोध, प्रजनन स्वास्थ्य में कमी और कैंसर जैसे गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों से जुड़े हैं।
How long do microplastics stay in your body
यह कहना कठिन है कि माइक्रोप्लास्टिक हमारे शरीर में कितने समय तक रहता है, क्योंकि यह अभी भी चल रहे शोध का क्षेत्र है। हालाँकि, कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि वे कई महीनों या वर्षों तक बने रह सकते हैं
How to avoid microplastics क्या माइक्रोप्लास्टिक्स से बचा जा सकता है?
प्लास्टिक को शरीर से निकालना संभव नहीं है लेकिन हम सावधानी बरत कर इससे कुछ हद तक बच जरूर सकते हैं।
- जैविक कपड़े खरीदें। जब आप कपड़े, चादर या कंबल की खरीदारी करें तो सिंथेटिक सामग्री जैसे पॉलिएस्टर, ऐक्रेलिक, नायलॉन, स्पैन्डेक्स, रेयान और माइक्रोफाइबर खरीदने से बचें। इसके बजाय, कपास, ऊन या लिनन आदि से बने उत्पाद खरीदें।
- सिंगल यूज़ प्लास्टिक से बचें।
- प्लास्टिक-मुक्त सौंदर्य प्रसाधन या कॉस्मेटिक खरीदें।
- शेलफिश का सेवन कम करें।
- सार्वजनिक (पब्लिक ट्रांसपोर्ट) या वैकल्पिक परिवहन का उपयोग करें।
- अपने भोजन को प्लास्टिक के बर्तन में माइक्रोवेव न करें
- प्लास्टिक की बोतल, डब्बों और बर्तनों का इस्तेमाल न करें।
- फ़िल्टर किया हुआ पानी ही पिए और फ़िल्टर लेते समय देखें कि उसमें कॉपर आदि का फ़िल्टर हो।
- प्लास्टिक में रैप खाने से बचे ताजा और घर का बना खाना खायें।