why do muslim countries hate israel  : यहूदियों से क्यों नफरत करते है मुस्लिम 

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why do muslim countries hate israel  : यहूदियों से क्यों नफरत करते है मुस्लिम 
why do muslim countries hate israel  : अक्टूबर की पहली तारीख. रात को हम जब डिनर वगैरह करके सोने की तैयारी कर रहे थे, तो अचानक खबर आई कि ईरान ने इजरायल पर रॉकेट से हमला‌ कर दिया है. ईरान ने दावा किया कि उसने इजरायल पर 400 बैलिस्टिक मिसाइलें दागी हैं.इजरायल में लगातार सायरन बजते रहे.जिसके बाद वहां के लोगों ने बंकरों में शरण ले ली. हालांकि, इजरायल का कहना है कि उसने कई मिसाइलों को हवा में ही मार गिराया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मिसाइलें दागने के बाद ईरान ने इजरायल को खुली धमकी देते हुए कहा है कि युद्ध का करारा जवाब मिलेगा. उधर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अमेरिकी सेना को इजरायल की मदद करने का आदेश दिया है. तो मतलब ये है कि युद्ध का काउंट डाउन शुरू हो चुका है. कभी भी वॉर छिड़ सकती है.

लेकिन एक मिनट, ये लड़ाई तो इजरायल और हमास के बीच की थी न, तो ये ईरान इसमें डायरेक्टली क्यों कूद पड़ा? डायरेक्टली मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि हिजबुल्लाह की शक्ल में ईरान इनडायरेक्टली पहले ही इजरायल से लोहा लिए हुआ था... फिर वो डायरेक्टली क्यों इसमें इन्वॉल्व हुआ?

उसकी एक अलग वजह है, वो फिर कभी हम जानेंगे. फिलहाल आज हम बात करते हैं. हिजबुल्लाह और इज़रायल के बीच के झगड़े की. दोनों के बीच कैसी लड़ाई है, ये  लड़ाई अबकी है, कबसे चलती चली आ रही है और कब तक चलेगी. मतलब हर छोटी से छोटी डीटेल देकर हम आपको इज़रायल और हिजबुल्लाह के दर्मियां के पूरे मामले को समझाने की कोशिश करेंगे.

पूरी दुनिया कुल 95 अरब 29 करोड़ 60 लाख एकड़ जमीन पर बसी हुई है... जिस पर दुनिया भर के लगभग 8 अरब इंसान बसते हैं. इस 95 अरब 29 करोड़ 60 लाख एकड़ जमीन में से सिर्फ 35 एकड़ जमीन का एक ऐसा टुकड़ा है, जिसके लिए बरसों से जंग लड़ी जा रही है. इस जंग में हजारों जानें जा चुकी हैं. लेकिन आज भी दुनिया की कुल 95 अरब 29 करोड़ 60 लाख एकड़ जमीन में से इस 35 एकड़ जमीन के मालिकाना हक को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है. नहीं समझ आया? चलिए अपने भारतीय परिवेश का एक बहुत ही नायाब एग्जांपल देकर आपको समझाता हूं.

ये तो आप सभी जानते हैं महाभारत की लड़ाई कई वजहों से शुरू हुई थी, जिसमें एक बड़ा कारण जमीन या राज्य के बंटवारे को लेकर भी था. ऐसा माना जाता है कि महाभारत युद्ध में करीबन 1 लाख से भी ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवाई थी... कई दिनों तक चलने वाली हजारों कश्मकश के बाद जब कोई हल नहीं निकला तो पांडवों की ओर से शांतिदूत बनकर श्री कृष्ण हस्तिनापुर गए. हस्तिनापुर में श्री कृष्ण ने कौरवों से पांडवों को केवल पांच गांव देने का प्रस्ताव दिया... धृतराष्ट्र भी श्री कृष्ण की बात से सहमत हो गए और पांडवों को 5 गांव देकर युद्ध टालने की बात दुर्योधन को समझाने लगे. उन्होंने बेटे को समझाते हुए कहा कि ये हठ छोड़कर पांडवों से संधि करलो ताकि इस विनाश को टाला जा सके दुर्योधन गुस्से में आकर बोले कि मैं एक तिनके की भी ज़मीन उन पांडवों को नहीं दूंगा और अब फैसला केवल युद्ध से किया जाएगा. और जैसा दुर्योधन चाहते थे वैसा ही हुआ, युद्ध हुआ और उस युद्ध में कौरवों का क्या हश्र हुआ, ये किसी से छिपा नहीं है.

तो बस जैसा कौरवों के साथ हुआ. वैसा ही उन इस्लामिक देशों के साथ हो रहा है जो इज़रायल के साथ लड़ाई लड़ रहे हैं.अब ये इस्लामिक देश, इज़रायल से लड़ाई क्यों लिए हुए हैं, ये जान लीजिए..इजराइल की नींव पहले विश्व युद्ध के दौरान एक पन्ने के घोषणापत्र से रखी गई, तारीख थी 2 नवंबर और साल 1917. इस दिन ब्रिटेन ने फिलिस्तीनी सरजमीं पर जो कि पहले तुर्क की ज़मीन हुआ करती थी, उस ज़मीन पर पहली बार यहूदी राष्ट्र का समर्थन किया. इसके करीब डेढ़ साल बाद 3 मार्च 1919 को तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने भी यहूदी होमलैंड की मांग का समर्थन किया. जल्द ही अमेरिकी संसद ने भी बालफोर डिक्लेरेशन के समर्थन में प्रस्ताव पारित कर दिया. अब आपका सवाल होगा कि ये बालफोर डिक्लेरेशन‌ क्या था, तो मैं आपको बता दूं कि ब्रिटेन के तत्कालीन विदेश मंत्री आर्थर बालफोर ने यहूदी समुदाय के एक बड़े नेता बैरन लियोनेल वॉल्टर रॉथ्सचाइल्ड को बालफोर घोषणापत्र भेजा, 67 शब्दों के इस बालफोर डिक्लेरेशन में जो मुख्य बात लिखी थीं, उससे मतलब ये था कि.

आपको बता दें कि दुनिया में 56 इस्लामिक मुल्क हैं. लेकिन यहूदियों को अपने देश के लिए एक छोटी सी ज़मीन मिलना कई इस्लामिक देशों को पचा नहीं और वो यहूदियों से ज़मीन छीनने के लिए अमादा हो गए. और अपनी इस ज़िद में वो इज़रायल का तो बाल भी बांका नहीं कर पाए. उल्टा अपना ही नुकसान करा बैठे.

 1947 में जब यूनाइटेड नेशन्स ने फिलिस्तीन और इजरायल के बीच जमीन का बंटवारा कर के दिया था तो इजरायल को छोटी उंगली के नाखून बराबर जमीन दी थी. लेकिन अरबों ने उसे रिजेक्ट कर दिया और नवजात इजरायली स्टेट पर हमला कर दिया. तब से अरबों ने चार बार इजरायल पर हमला किया है और हर बार हारे हैं. और हर लड़ाई में अरबों ने अपनी जमीन खोई है.गोलान हाइट्स की पहाड़ियां खोई हैं, सिनाई डेजर्ट खोया है. यहां तक कि आधा येरूशलम जो अरबों का था, उसे तो पूरा ही खोया है. 

आपको बता दें कि येरूशलम ईसाई, मुसलमानों और यहूदी, तीनों धर्मों के लिए ये बहुत अहम शहर है. तीनों ही धर्म अपनी शुरुआत की कहानी को बाइबल के अब्राहम से जोड़ते हैं... ईसाई, यहूदी और मुस्लिम, सभी इस शहर से प्यार करते हैं और अपने धर्म की अलग-अलग कहानियों से जोड़ते हैं. हिब्रू में इसे यरूशलाइम कहते हैं और अरबी में अल-कुद्स. ये दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है. ये शहर अक्सर विभिन्न धर्मों के लोगों के बीच विभाजन और संघर्ष की कहानियों का केंद्र रहा है, लेकिन इसकी पवित्रता को लेकर सबकी एक ही राय है

 आप ये भी जानना चाह रहे होंगे कि आखिर मिडिल ईस्ट में ही यहूदियों को क्यों बसाया गया? न उनको ज़मीन दी जाती और न ही इतना बवाल होता. आपकी बात बिल्कुल सही है. लेकिन इसका एक दूसरा perspective है... दरअसल, इजराइल जिस जगह पर बसा है उसे प्रॉमिस लैंड कहा जाता है... यहूदियों की मान्यता है कि ये जमीन का वो हिस्सा है जो ईश्वर ने उनके पूर्वज अब्राहम और उनके वंशजों को देने का वादा किया था. संयुक्त राष्ट्र की स्पेशल कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में मिडिल ईस्ट के इस हिस्से में यहूदी देश के लिए धार्मिक और ऐतिहासिक दलीलें दी जिसे UN ने स्वीकार कर लिया

अरब देशों को ये समझ आ चुका है कि इज़रायल से पंगा लेना मतलब अपना ही नुकसान कराना है. इसलिए वो अब शांत बैठ गए हैं. लेकिन अब इज़रायल से पंगा लेने का मोर्चा संभाला हुआ है ईरान ने... अभी तक तो वैश्विक दबाव की वजह से ईरान, हिजबुल्लाह को आगे करके इज़रायल से लड़वा रहा था, लेकिन‌ अब वो खुलकर सामने‌ आ गया है और इज़रायल पर रॉकेट बरसा रहा है अब इज़रायल इसका जवाब क्या देता है और कितने खौफनाक तरीके से देता है, ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन एक मैसेज हमें खुद भी जाता है कि ज़मीन की उनकी ये लड़ाई सिर्फ इजरायल की ज़मीन से ही नहीं है. उनका दावा जमीन के हर टुकड़े पर है. आपके पैरों के नीचे की ज़मीन पर भी है. अंतर सिर्फ ये है कि यहूदी अपने पैरों के नीचे की इस ज़मीन के लिए लड़ रहे हैं, और हमारी कोई तैयारी नहीं है... आंखें खोलिए... उनकी ये लड़ाई जमीन की लड़ाई नहीं है. उनकी लड़ाई आपके अस्तित्व से है. उम्मीद करता हूं‌ कि ये बात आपके अच्छे से और जल्दी समझ में आ जाए

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