कलयुग में हनुमान जी का निवास स्थान जानिए

कलयुग में हनुमान जी का निवास स्थान जानिए

यह भी कहा जाता है कि वह Kalyug में भी विराजमान है और उनके जीवित होने के संकेत मिलते हैं।

डेस्क-भगवान राम के भक्त हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि वह चिरंजीवी हैं। वह कलयुग में भी है |

वे हर युग में पृथ्वी पर रहते हैं। वे सतयुग में भी थे रामायण काल में भी थे और महाभारत काल में भी। यह भी कहा जाता है कि वह कलियुग में भी विराजमान है और उनके जीवित होने के संकेत मिलते हैं। गोस्वामी तुलसीदासजी ने हनुमान चालीसा में उन्हें शंकर सुवन केसरी नंदन कहकर संबोधित किया है।

त्रेतायुग में जब-जब श्रीराम ने हनुमानजी को गले से लगाया, तब-तब भगवान शंकर अति प्रसन्न हुए हैं। सतयुग में भोलेनाथ पार्वती से उनके स्वरूप का वर्णन करते हैं और वे उसी युग में पार्वती से दूर रहकर ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करते हैं।

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आइये जानते है ऐसे संकेत जो दर्शाते हैं की बजरंग बलि आज भी जीवित है

श्रीमद् भागवत में वर्णन किया गया है कि हनुमानजी Kalyug में गंधमादन पर्वत पर निवास करते हैं।गंधमादन पर्वत का उल्लेख कई पौराणिक हिन्दू धर्मग्रंथों में हुआ है। महाभारत की पुरा-कथाओं में भी गंधमादन पर्वत का वर्णन प्रमुखता से आता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि यहां के विशालकाय पर्वतमाला और वन क्षेत्र में देवता रमण करते हैं। र्वतों में श्रेष्ठ इस पर्वत पर कश्यप ऋषि ने भी तपस्या की थी।

यत्र-यत्र रघुनाथ कीर्तन तत्र कृत मस्तकान्जलि।
वाष्प वारि परिपूर्ण लोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तक॥

अर्थात कलियुग में जहां-जहां भगवान श्रीराम की कथा-कीर्तन इत्यादि होते हैं, वहां हनुमानजी गुप्त रूप से विराजमान रहते हैं। सीताजी के वचनों के अनुसार- अजर-अमर गुन निधि सुत होऊ।। करहु बहुत रघुनायक छोऊ॥ ऐसा कहा जाता है कि यदि मनुष्य पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से इनका आश्रय ग्रहण कर लें तो फिर तुलसीदासजी की भांति उसे भी हनुमान और राम-दर्शन होने में देर नहीं लगती। इससे उनके हर काल में अजर-अमर होने का संकेत मिलता है।

  • हनुमानजी के जीवित होने के प्रमाण समय-समय पर प्राप्त होते रहे हैं, जो इस बात को प्रमाणित करते हैं
  • कि हनुमानजी आज भी जीवित हैं। 16वीं सदी के महान संत कवि तुलसीदासजी को हनुमानजी की कृपा से ही रामजी के दर्शन प्राप्त हुए।
  • कथा है कि हनुमानजी ने तुलसीदासजी से कहा था कि राम और लक्ष्मण चित्रकूट नियमित आते रहते हैं।
  • मैं वृक्ष पर तोता बनकर बैठा रहूंगा, जब राम और लक्ष्मण आएंगे मैं आपको संकेत दे दूंगा।


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