सावन में क्यों लगाई जाती है मेहंदी

सावन में क्यों लगाई जाती है मेहंदी

सावन में मेहंदी के बिना महिलाओं का श्रृंगार भी अधूरा माना जाता है।

डेस्क-सावन में मेहंदी लगाना एक परंपरा है, ऐसी मान्यता है कि तीज के पावन अवसर पर मेहंदी लगाने से पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है।

वहीं मेहंदी के बारे में एक और मान्यता है कि जिसके हाथ की मेहंदी जितनी गहरी होती है, उसको उतना ही अपने पति और ससुराल का प्रेम मिलता है। जिस वजह से सावन महीने में महिलाएं मेहंदी लगाकर अपने हाथों को खूबसूरती बढ़ाती हैं।

मेहंदी के बिना महिलाओं का श्रृंगार भी अधूरा माना जाता है। शादी हो या कोई फेस्टिवल, महिलाएं मेहंदी लगाना बिल्कुल नहीं भूलती हैं।

सावन में मेहंदी का महत्व है

  • सावन में जब चारों ओर हरियाली का महोल बना रहता है, ऐसे में भारतीय महिलाएं भी अपने साजो-श्रृंगार में हरे रंग का खूब इस्तेमाल करती है।
  • जब महिलाओं के श्रृंगार की बात हो रही हो और उसमें मेहंदी की बात न हो तो बात अधूरी रह जाती है।
  • वैसे भी सावन में मेहंदी का अपना महत्व है।
  • मान्यता है कि जिसकी मेहंदी जितनी रंग लाती है, उसको उतना ही अपने पति और ससुराल का प्रेम मिलता है।
  • मेहंदी की सोंधी खुशबू से लड़की का घर-आंगन तो महकता ही है, लड़की की सुंदरता में भी चार चांद लग जाते है।
  • इसलिए कहा भी जाता है कि मेहंदी के बिना दुल्हन अधूरी होती है।

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हरे रंग की चूड़ियाँ

  • सावन आते ही महिलाओं की कलाइयों में चूड़ियों के रंग हरे हो जाते है तो उनका पहनावा भी हरे रंग में तब्दील होता है।
  • और ऐसे में मेहंदी न हो तो बात पूरी नहीं होती है।
  • यही वजह है कि सावन में मेहंदी के छोटे से बड़े मेहंदी के दुकानों में लड़कियों और महिलाओं से भरे रहते हैं।

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