क्यों करते हैं गणपति विर्सजन जानिए
गणेश चतुर्थी के दिन स्थापित किया जाता है
डेस्क-गणेश विसर्जन, गणेश उत्सव का एक अभिन्न अंग है, जिसके बिना गणेश उत्सव पूर्ण नही होता। इसके अर्न्तगत गणेश जी की प्रतिमा को गणेश चतुर्थी के दिन स्थापित किया जाता है और 10 दिन बाद अनन्त चतुर्दशी को उसी गणेश प्रतिमा के विसर्जन के साथ इस गणेश उत्सव का समापन होता है।
जो भी व्यक्ति गणेश चतुर्थी के बारे में जानता है, लगभग हर वह व्यक्ति ये भी जानता है कि गणेश चतुर्थी को स्थापित की जाने वाली गणपति प्रतिमा को ग्यारहवें दिन यानी अनन्त चतुर्दशी के दिन किसी बहती नदी, तालाब या समुद्र में विसर्जित भी किया जाता है, लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि आखिर गणपति विसर्जन किया क्यों जाता है।
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- गणपति विसर्जन के संदर्भ में अलग-अलग लोगों व राज्यों में मान्यताऐं भी अलग-अलग हैं |
- जिनमें से कुछ को हमने यहां बताने की कोशिश्ा की है। हिन्दु धर्म के अनुसार ईश्वर सगुण साकार भी है |
- निर्गुण निराकार भी और ये संसार भी दो हिस्सों में विभाजित है, जिसे देव लोक व भू लोक के नाम से जाना जाता है।
- देवलोक में सभी देवताओं का निवास है जबकि भूलोक में हम प्राणियों का।
देवलोक के सभी देवी-देवता निर्गुण निराकार हैं, जबकि हम भूलोकवासियों को समय-समय पर विभिन्न प्रकार की भौतिक वस्तुओं, सुख-सुविधाओं की जरूरत होती है, जिन्हें देवलोक के देवतागण ही हमें प्रदान करते हैं और क्योंकि देवलोक के देवतागण निर्गुण निराकार हैं, इसलिए वे हम भूलोकवासियों की भौतिक कामनाओं को तब तक पूरा नहीं कर सकते, जब तक कि हमारी कामनाऐं उन तक न पहुंचे और भगवान गणपति हमारी भौतिक कामनाओं को भूलोक से देवलोक तक पहुंचाने का काम करते हैं।
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- गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणपति की मूर्ति स्थापना की जाती है |
- निर्गुण निराकार भगवान गणेश काे देवलोक से भूलोक की इस मूर्ति में सगुण साकार रूप में स्थापित होने हेतु विभिन्न प्रकार की पूजा-अर्चना, आराधना, पाठ करते हुए आह्वान किया जाता है |
- ये माना जाता है भगवान गणपति गणेश चतुर्थी से अनन्त चतुर्दशी तक सगुण साकार रूप में इसी मूर्ति में स्थापित रहते हैं
- जिसे गणपति उत्सव के रूप में मनाया जाता है।