आखिर अन्नदाता पर अत्याचार क्यों

आखिर अन्नदाता पर अत्याचार क्यों

अगर हमारे देश मे किसान न हो तो शायद हम लोग अनाज के एक एक दाने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर हो जाए लेकिन ये बात सत्ता के नशे में मदांत नेताओं को कैसे समझाई जाए।


कल पूरे देश मे 2 अक्टूबर पर गाँधी जयंती और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती मनाई गई। राजनेताओं ने मंचो से बड़ी-बड़ी बाते भी की, लेकिन गांधी जी के बताए मार्ग का अनुसरण करने के बजाय उसे मंचो पर अपने भाषणों में सीमित कर दिया, जिसके फलस्वरूप आज 2 अक्टूबर के दिन शांति पूर्वक अपनी समस्याओं को लेकर दिल्ली जा रहे निर्दोष किसानों पर बर्बर लाठीचार्ज किया गया।

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नेताओं ने देश के दोनों महापुरुषों की एक भी बात का यदि अनुसरण किया होता तो शायद आज किसानों के साथ ऐसा र्दुव्यवहार न किया जाता। लाल बहादुर शास्त्री ने किसानों के लिए क्या नही किया? जय जवान जय किसान का नारा देने वाले शास्त्री जी की जयंती पर किसानों को सम्मान तो नही मिला लेकिन लाठी जरूर खानी पड़ी।
गांधी जी ने हमेशा सत्य और अहिंसा के साथ अपनी लड़ाई लड़ी, जिसने अपने सिद्धांतों से अंग्रेजो को देश छोड कर जाने पर विवश कर दिया हो।

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आज उसी राष्ट्रपिता की जयंती पर देश में किसानों के साथ इतना बुरा व्यवहार हुआ।
जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। इतना ही नहीं अन्नदाताओं के देश में ही अन्नदाताओं की दुर्गति हो रही हैं और मदांत सत्ता ने किसानों की समस्याओं से मुंह मोड़ कर उद्योगपतियों के लिए कालीन बिछाकर उनकी जी हजूरी शुरू कर दी है। ऐसे में सत्ता से सवाल पूछना जरूरी हो गया है कि अन्नदाता पर अत्याचार क्यों ?

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