क्यों बेहद खास होती है माँ कालरात्रि की पूजा शारदीय नवरात्रि में

क्यों बेहद खास होती है माँ कालरात्रि की पूजा शारदीय नवरात्रि में

नवरात्र का सातवा दिन जो माँ कालरात्रि की पूजा के रूप में जाना जाता

डेस्क-इस दिन तांत्रिक मतानुसार देवी पर मदिरा का भोग भी लगाया जाता है। नवरात्र का सातवा दिन जो माँ कालरात्रि की पूजा के रूप में जाना जाता है, सातवीं शक्ति का नाम है माँ कालरात्रि|

नवरात्र की सप्तमी में साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में अवस्थित होता है। कुण्डलिनी जागरण हेतु जो साधक साधना में लगे होते हैं आज सहस्त्रसार चक्र का भेदन करते हैं। नवरात्र सप्तमी तांत्रिक क्रिया की साधना करने वाले भक्तों के लिए अति महत्वपूर्ण होती है। सप्तमी की रात्रि ‘सिद्धियों’ की रात भी कही जाती है। इस दिन आदिशक्ति की आंखें खुलती हैं।

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मां काली शत्रु एवं दुष्ट लोगों का संहार करती हैं

  • मां कालरात्रि अपने महाविनाशक गुणों से शत्रु एवं दुष्ट लोगों का संहार करती हैं|
  • विनाशिका होने के कारण इनका नाम कालरात्रि पड़ा| मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यन्त भयानक होता है
  • लेकिन ये सदैव शुभ फल देने वाली मानी जाती हैं, माँ काल रात्रि की पूजा के साथ ही जीवन के पूर्ण कल्याण का मार्ग प्रशस्त हो जाता है
  • श्रद्धालु भक्त व साधक अनेक प्रकार से भगवती की अनुकंपा प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान व साधना करते हैं।

माँ की कृपा से बाधा सहज ही दूर हो जाती है माँ गृह जनित बाधाये सहजता से दूर करती है सांसारिक भय माँ कृपा से भक्त के समीप नहीं आते, ,व्यापार संबंधी समस्या ऋण मुक्ति एवं अचल संपत्ति के लिए मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व बताया जाता है।

परंतु मां सदैव ही शुभ फल प्रदान करती हैं। इस दिन साधकगण अपने मन को सहस्रार चक्र में स्थित करते हैं और मां की अनुकंपा से उन्हें ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियां प्राप्त होती हैं। मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना एवं साधना द्वारा अकाल मृत्यु, भूत-प्रेत बाधा, व्यापार, नौकरी, अग्निभय, शत्रुभय आदि से छुटकारा प्राप्त होता है।

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