रामायण (रामचरितमानस) का पाठ कैसे करें ? और जानिए किस चौपाई के पाठ से कभी नही रहती है धन की कमी 

 
 राम चरित मानस की चौपाइयां अपने आप मे मंत्र है किसी भी समस्या के समाधान के लिए रामचरित मानस की चौपाइयो का पाठ किया जाए तो धन की कमी नही रह सकती है ।

धन प्राप्ति के लिए रामचरितमानस के दोहे 


जिमि सरिता सागर महुं जाही जद्यपि ताहि कामना नाहीं
तिमि सुख संपति बिनहिं बोलाएं धरमसील पहिं जाहिं सुभाएं 

नदियां बहती हुई सागर की ओर ही जाती हैं, चाहे उनके मन में उधर जाने की कामना हो या नहीं,उसी तरह,सुख-संपत्ति भी बिना चाहे ही धर्मशील और विचारवान लोगों के पास चली आती हैं।

रामचरित मानस रामायण पढ़ने का क्या फायदा है ?

रामचरितमानस की रामायण पढ़ने से अपने अंदर सुधार होता है स्थितियां जो वितरित रहती हैं वह धीरे-धीरे सहमत होने लगती हैं और एक आत्म बल मजबूत होता है और प्रभु श्रीराम की कृपा होती है तो बिगड़े हुए काम भी बनना शुरू कर देते हैं और रामायण में रामचरितमानस में जितने भी चौपाइयां दी गई हैं और किसी न किसी कार्य के लिए बिल्कुल सटीक बैठती हैं इसीलिए उनका संपुट लगाकर रामचरितमानस का पाठ किया जाता है जो भी कामना की जाती है उसको प्रभु श्री राम को भी करते हैं।

घर की दरिद्रता को दूर करने के लिए पढ़ें रामचरितमानस की चौपाइयां


रामचरितमानस का पाठ जिसमें घर में होता है वहां प्रभु श्रीराम की कृपा होती है और कभी भी दरिद्रता और गरीबी घर में नहीं आती है गरीबी मिटाने के उपाय रामचरितमानस का पाठ बताया गया है ।
दरिद्रता कैसे खत्म करें ?घर में कभी धन की कमी ना हो इसके लिए रामचरितमानस की चौपाइयों का पाठ जो भी अपने पूजा पाठ में शामिल करता है उसको कभी भी गरीबी नहीं आती है।

रामायण पढ़ने का सही तरीका क्या है ?


रामचरितमानस या रामायण से पहले पूजा स्थल पर भगवान श्री राम की फोटो जिसमें राम दरबार की अगर फोटो लगाई है तो  वह ज्यादा उचित रहता है। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर राम दरबार की फोटो स्थापित करनी चाहिए और उसके बाद घी का दीपक जलाकर सुगंधित धूप बत्ती जलाकर तांबे के लोटे में जल रखकर पहले आज मन करें और प्रभु श्री राम जब मन में अपने आवाहन करें और उसके बाद रामचरितमानस या रामायण का पाठ करें रामचरितमानस का पाठ होने के बाद में जब पाठ पूर्ण हो जाता है उसके बाद रामायण जी की आरती और हनुमान चालीसा का पाठ करके हनुमान चालीसा करने के बाद में हनुमान जी की आरती करने के बाद प्रसाद का वितरण करें और प्रभु श्री राम की प्रतिमा या मूर्ति के सामने अपनी कामना को कहते हुए पूजा को समाप्त करें।