आजमाया हुआ नुस्खा रामचरितमानस की 8 चौपाई जो दरिद्रता का करती है नाश

आजमाया हुआ नुस्खा रामचरितमानस की 8 चौपाई जो दरिद्रता का करती है नाश

Dharm Desk -आज के इस युग मे जहाँ लोगों की आमदनी कम और खर्चे ज्यादा हैं ऐसे में लोग कर्ज के बोझ तले दबतेचले जा रहे हैं और कई बार दरिद्रता तक पहुंच जा रहे हैं। कोरोना काल के बाद मध्यम वर्गीय और भी परेशान क्योंकि उनके पास या तो काम नहीं है या नौकरी छूट चुकी है ऐसे में सबसे बड़ी समस्या आ चुकी है कि किस तरीके से जीवन की गाड़ी को आगे चलाया गया रामचरितमानस (Ramcharitmanas)अपने आप में एक सिद्ध पुस्तक है जिसका 1 -1 चौपाई अनेकों मंत्र के बराबर है। शास्त्रों में बताया गया है कि अयोध्या कांड के 8 चौपाइयों का अगर कोई लगातार पाठ करता है तो आने वाले समय में कुछ ऐसे रास्ते बनते जाते हैं जिससे घर में दरिद्रता नहीं आ सकती है कुछ ना कुछ रास्ते ऐसे बनेंगे जिससे जीवन में सफलता की और व्यक्ति बढ़ता रहता है यह ऐसे चौपाई हैं जिनको आस्था है इस बारे में वह इसका पाठ करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं और यह जो मान्यता है कि रामचरितमानस का पाठ करने से घर में सुख शांति समृद्धि आती है उसमें से अगर केवल 8 चौपाइयों का पूजा के उपरांत पाठ किया जाए तो बहुत ही अच्छे लाभ प्राप्त हो सकते हैं ऐसी ऋषि मुनियों की मान्यता रही है।

दरिद्रता मिटाने के लिए मंत्र का काम करती हैं रामायण(Ramayan Ramcharitmanas Chaupaiyon) की ये 8 चौपाइयां

रामायण मानव जीवन को सत्य भक्ति के साथ जीवन जीने का मार्ग दिखाती है। लेकिन कई विद्वान लोग रामायण के पाठ के अन्य फायदे भी बताते हैं। कथा वाचक विजय कौशल महाराज के अनुसार, जीवन में सुख-समृद्धि पाने के लिए रामायण यानी श्री रामचरित मानस की 8 चौपाइयों का रोजाना पाठ करना चाहएि। इन चौपाइयों का रोजाना श्रद्धापूवर्क जाप करने जीवन में कभी दरिद्रता नहीं आती। यानी ये चौपाइयां घर परिवार में खुशहाली लाने के लिए मंत्र का काम करती हैं।

उन्हाेंने एक कथा के दौरान कहा कि इन चौपाइयों के पाठ से अमीरी कितनी आएगी ये तो नहीं बता सकते लेकिन गरीबी कभी नहीं आएगी।


अयोध्या कांड की इस चौपाई के पाठ से धन आगमन के बनने लगेंगे रास्ते


चौपाई 1-

जब तें रामु ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए।।

भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहि सुख बारी।।

चौपाई 2-

रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई। उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई।।

मनिगन पुर नर नारि सुजाती। सुचि अमोल सुंदर सब भाँती।।

चौपाई 3-

कहि न जाइ कछु नगर बिभूती। जनु एतनिअ बिरंचि करतूती।।

सब बिधि सब पुर लोग सुखारी। रामचंद मुख चंदु निहारी।।

चौपाई 4-

मुदित मातु सब सखीं सहेली। फलित बिलोकि मनोरथ बेली।।

राम रूपु गुन सीलु सुभाऊ। प्रमुदित होइ देखि सुनि राऊ।।

दोहा

सब कें उर अभिलाषु अस कहहिं मनाइ महेसु।

आप अछत जुबराज पद रामहि देउ नरेसु।।

चौपाई 5-

एक समय सब सहित समाजा। राजसभाँ रघुराजु बिराजा।।

सकल सुकृत मूरति नरनाहू। राम सुजसु सुनि अतिहि उछाहू।।

चौपाई 6-

नृप सब रहहिं कृपा अभिलाषें। लोकप करहिं प्रीति रुख राखें।।

वन तीनि काल जग माहीं। भूरिभाग दसरथ सम नाहीं।।

चौपाई 7-

मंगलमूल रामु सुत जासू। जो कछु कहिअ थोर सबु तासू।।

रायँ सुभायँ मुकुरु कर लीन्हा। बदनु बिलोकि मुकुटु सम कीन्हा।।

चौपाई 8-

श्रवन समीप भए सित केसा। मनहुँ जरठपनु अस उपदेसा।।

नृप जुबराजु राम कहुँ देहू। जीवन जनम लाहु किन लेहू।।

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