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Waqf Bill Live Updates: वक्फ विधेयक पर गरमागर्म चर्चा, पारित होना तय; जानिए अब तक क्या-क्या हुआ
Waqf Bill Live Updates: ( नरेन् ) लंबी प्रतीक्षा और पक्ष-विपक्ष में विमर्श के बाद वक्फ संशोधन विधेयक पारित करने के लिए लोकसभा में चर्चा शुरू हुई तो विपक्ष की ओर से विरोध तो दर्ज किया गया लेकिन पूरी चर्चा में यह दिखा कि विपक्ष हारे मन से बैठा था। पिछले छह महीने से बयानों और जेपीसी में जो आक्रामक विरोध दिख रहा था वह बुधवार को संसद में नहीं दिखा।
इसके पहले सरकार ने विपक्ष की एक-एक आपत्तियों का जवाब दिया। आशंकाएं दूर करते हुए मुस्लिमों को आश्वस्त किया कि यह बिल उनकी मस्जिद एवं दरगाह छीनने और धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप के लिए नहीं है, बल्कि संपत्तियों के नियमन और प्रबंधन के लिए लाया गया है। नया कानून अधिसूचना निकलने के दिन से ही प्रभावी होगा। ट्रिब्यूनल के फैसले से असहमत होने पर चुनौती भी दी जा सकती है।
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गृहमंत्री अमित शाह ने इसे संसद का कानून बताया और विपक्ष को आगाह करते हुए कहा कि सबको स्वीकार करना पड़ेगा। इसके पहले अल्पसंख्यक एवं संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को सदन में वक्फ संशोधन विधेयक को पेश करते हुए इसे उम्मीद (यूनीफाइड वक्फ मैनेजमेंट इंपावरमेंट, इफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट) नाम दिया। विधेयक पर चर्चा के दौरान लोकसभा में जदयू, तेदेपा एवं लोजपा (आर) समेत राजग के समस्त सहयोगी दल पूरी तरह एकजुट दिखे, जबकि पहले से कड़ा प्रतिरोध का दावा करते आ रहे विपक्षी दलों के स्वर थोड़े बदले-बदले से थे। कांग्रेस एवं समाजवादी पार्टी समेत कई दलों को विधेयक से नहीं, बल्कि संशोधन के कुछ ¨बदुओं पर आपत्ति थी। हालांकि दोनों खेमों ने अपने-अपने सदस्यों को सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया था।सरकार ने कांग्रेस के गौरव गोगोई की उस आपत्ति को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था
कि गैर सरकारी संस्थाओं से सुझाव नहीं लिए गए और विपक्ष के एक भी संशोधन प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया गया। अमित शाह ने कहा कि यूपीए सरकार ने 2013 में सिर्फ चार घंटे की चर्चा के बाद ही वक्फ विधेयक को पास कर दिया था, लेकिन इस बार संयुक्त संसदीय समिति में 113 घंटे की चर्चा एवं 92 लाख से ज्यादा सुझावों पर विचार के बाद कानून बनाया जा रहा है। वक्फ कानून में संशोधन के नाम पर धार्मिक हस्तक्षेप के आरोपों को खारिज करते हुए सरकार ने स्पष्ट किया कि वक्फ में एक भी गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होगा। सिर्फ परिषद एवं बोर्ड में गैर-मुस्लिम होंगे, जिनका काम धार्मिक हस्तक्षेप का नहीं होगा, बल्कि उन संपत्तियों के प्रबंधन का होगा कि जो दान में मिली है।
वह देखेगा कि संपत्तियों का सदुपयोग हो रहा है या नहीं। वक्फ में महिलाएं और शिया-सुन्नी की भागीदारी बढ़ेगी और पिछड़ों का प्रतिनिधित्व होगा।वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए बिल लाने को जरूरी बताते हुए रिजिजू ने कहा कि अगर ऐसा नहीं करते तो जिस इमारत (पार्लियामेंट) में हम बैठे हैं, उसपर भी वक्फ दावा कर सकता था, क्योंकि 2014 में लोकसभा चुनाव से पहले तत्कालीन सरकार ने दिल्ली की 123 संपत्तियां वक्फ को दे दी थीं। अगर केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार नहीं बनती तो कई अन्य संपत्तियों पर वक्फ का कब्जा हो सकता था।
उन्होंने मुस्लिम गरीबों एवं महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए वक्फ कानून में संशोधन जरूरी बताया और कहा कि वोट के लिए 70 वर्षों से मुस्लिमों को गुमराह किया जा रहा। रजिस्टर्ड संपत्तियों पर दखलंदाजी नहीं होगी। जो मामले कोर्ट में हैं, उनपर भी कुछ नहीं होगा। नए कानून से आदिवासी क्षेत्र में भी वक्फ किसी संपत्ति को अपना नहीं बता सकेगा। रिजिजू ने उस भ्रम को भी स्पष्ट किया, जिसमें कहा जाता है कि रेल और सेना के बाद वक्फ के पास तीसरा सबसे बड़ा लैंड बैंक है। उन्होंने कहा कि रेल और सेना की जमीन देश की है। ¨कतु वक्फ की संपत्ति प्राइवेट है।
सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए रिजिजू ने कहा कि 2006 में देश में 4.9 लाख वक्फ संपत्तियां थीं, जिनकी कुल आय 163 करोड़ थी। अभी 8.72 लाख संपत्तियां हैं, लेकिन आमदनी सिर्फ तीन करोड़ ही बढ़ी है। उचित इस्तेमाल से वक्फ की आमदनी बढ़ेगी, जिससे मुस्लिमों को फायदा होगा। अभी तक वक्फ बोर्ड किसी भी जमीन को अपना बता देता था। अब ऐसा नहीं होगा। भ्रष्ट नेताओं ने वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग किया है। इससे आम मुस्लिमों को फायदा नहीं है। नए कानून से चार वर्ष के भीतर सबको पता चल जाएगा कि इस बिल से उन्हें क्या फायदा हुआ है