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केंद्र के खिलाफ याचिका पर एक्स को राहत देने से कर्नाटक हाई कोर्ट का इनकार
बेंगलुरु : ( नरेन् ) कर्नाटक हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक्स (पूर्व ट्विटर) कार्प को उस मामले में अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया, जिसमें इसने सहयोग पोर्टल से जुड़ने के लिए केंद्र सरकार की अनिवार्य आवश्यकता के खिलाफ याचिका दायर की थी। अदालत ने कहा कि इस वक्त कंपनी को किसी भी प्रतिरोधी कार्रवाई से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है।
अदालत ने यह भी कहा कि एक्स को संरक्षण की आजादी तब दी गई थी जब इसके खिलाफ कोई कार्रवाई की जाती। जस्टिस एम नागप्रसन्ना सरकार के खिलाफ एक्स की उस याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें कंपनी को सहयोग पोर्टल से जुड़ने के निर्देश दिए गए थे। यह एक ऐसा प्लेटफार्म है जो सोशल मीडिया और इंटरनेट मध्यस्थों को कंटेंट रोकने के निर्देश देने का काम करता है। एक्स कार्प ने तर्क दिया था
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कि इस प्रणाली में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 69ए के तहत दिए गए कानूनी बचाव का रास्ता नहीं है। इसके बजाय, सरकार के कंटेंट रोकने के आदेश सूचना प्रौद्योगिकी की धारा 79(3)(बी) पर आधारित हैं, जो निर्धारित परिस्थितियों में इंटरनेट मध्यस्थों के बचाव को सीमित कर देते हैं। एक्स की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता केजी राघवन ने विरोध किया कि श्रेया ¨सघल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 69ए की वैधता को बरकरार रखा था।उन्होंने पूछा कि क्या सरकार इन बचाव उपायों को धारा 79(3)(बी) के जरिये दरकिनार कर सकती है।
उन्होंने अदालत से प्रार्थना की कि वो सरकार को एक्स कार्प के खिलाफ किसी भी प्रतिरोधी कार्रवाई से तब तक रोकें, जब तक कंपनी धारा 69(ए) के तहत कंटेंट रोकने के आदेश मान रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक्स कार्प भारतीय कानून को चुनौती नहीं दे रही है, बल्कि जिस तरह से धारा 79(3)(बी) का इस्तेमाल किया जा रहा है, उस पर सवाल उठा रही है। वहीं, केंद्र सरकार की तरफ से सालिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सालिसिटर जनरल अर¨वद कामथ ने ²ढ़तापूर्वक कहा कि सभी मध्यस्थों को भारतीय कानूनों को मानना होगा और इनमें कंटेंट माडरेशन भी शामिल है