American Flight 914 took off in 1955 but landed after 37  years, what is its secret? अमेरिकन फ्लाइट 914 ने 1955 में उड़ान भरी लेकिन 37  साल बाद उतरा , क्या है इसका रहस्य जानिए 

American Flight 914 took off in 1955 but landed after 37  years what is its secret?
 
एयरलाइन्स 914 एक रहस्यमय विमान है जो 2 जुलाई 1955 को न्यूयॉर्क से मायामी के लिए उड़ान भरा था। इस विमान में कुल 57 यात्री और 6 क्रू मेंबर्स सवार थे। विमान ने निर्धारित समय पर मायामी नहीं पहुंच पाया और गायब हो गया। इस विमान के गायब होने के बाद कई खोज अभियान चलाए गए, लेकिन विमान का कोई सुराग नहीं मिला। 37   साल बाद, 9 मार्च 1985 को, यह विमान अचानक वेनेजुएला के काराकास एयरपोर्ट पर दिखाई दिया। विमान ने बिना किसी पूर्व सूचना के लैंडिंग की और इसके बाद यह फिर से गायब हो गया।

एक गुम हुई flight की रहस्यमय कहानी 37  साल तक क्या उस विमान को कहीं landing नहीं मिली?

विमान के लैंडिंग के समय, विमान के पायलट ने ग्राउंड स्टाफ से पूछा कि यह कौन सा साल चल रहा है। जब उन्हें बताया गया कि यह 1985 है, तो वे हैरान रह गए। उन्होंने बताया कि वे 2 जुलाई 1955 को उड़ान भर चुके हैं और अब तक किसी भी तरह के समय अंतराल का अनुभव नहीं किया है।

इस रहस्यमय घटना के कई सिद्धांत दिए गए हैं। कुछ लोगों का मानना है कि विमान एक समय दरार में फंस गया था और 37  साल बाद वापस लौट आया। अन्य लोगों का मानना है कि विमान एक अज्ञात अंतरिक्ष शक्ति द्वारा ले जाया गया था। विमान के गायब होने और फिर से दिखाई देने की घटना आज भी एक रहस्य बनी हुई है। इस घटना को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जाती हैं, लेकिन इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है।

 एयरलाइन्स 914 के रहस्य 

यह सिद्धांत मानता है कि विमान एक समय दरार में फंस गया था और 30 साल बाद वापस लौट आया। समय दरारें ऐसी काल्पनिक आकृतियाँ हैं जो समय और स्थान के बीच एक छेद का निर्माण करती हैं। यदि ऐसा हुआ होता, तो विमान के यात्री और चालक दल 30 साल के लिए समय में पीछे चले गए होंगे। यह सिद्धांत मानता है कि विमान एक अज्ञात अंतरिक्ष शक्ति द्वारा ले जाया गया था। ऐसी कई अज्ञात शक्तियाँ हैं जिनके बारे में हम नहीं जानते हैं। यदि ऐसा हुआ होता, तो विमान के यात्री और चालक दल को समय में वापस ले जाया गया होगा। यह सिद्धांत मानता है कि विमान में कोई यांत्रिक समस्या थी जिसने इसे गायब कर दिया था। यदि ऐसा हुआ होता, तो विमान का पता कभी नहीं लगाया जा सकता था।

 

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