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रिश्ते
Riste
Thu, 27 Feb 2025
जाड़े की गरम धूप है,
दो कुर्सियां निकाली हैं,
साथ में गर्म चाय है।
सुनो ना मेरे साथी,
संग बैठ चाय पीते हैं,
भाग दौड़ वाली जिंदगी से,
फुर्सत के कुछ पल चुराते हैं।
आओ न......
हाथों में हाथ डाले,
जिंदगी के पत्ते पलटते हैं।
कुछ अपनी कहना,
कुछ मेरी सुनना।
क्या खोया क्या पाया
का हिसाब लगाते हैं।
संग बैठ
रिश्तो का आकलन
करते हैं।
कुछ अच्छे रिश्ते,
कुछ नाराज रिश्ते,
कुछ अच्छे दोस्त,
कुछ रूठे हुए दोस्त,
ऐसे ही रिश्तों का,
जखीरा लिए चलते हैं।
नए रिश्तों के
आगमन की तैयारी करते हैं।
देखो न.........
हवाओं में जो खुशबू है,
कह रही है ......
जिन्हें हम पसंद नहीं,
उसकी चिंता क्या करना।
जिंदगी है इसे जीना है,
काटना नहीं।
अच्छी यादों का पिटारा,
साथ लिए चलते हैं।
आओ न...
हम हमारे अकेलेपन को,
पीछे छोड़ देते हैं,
और संग मुस्कुरा लेते हैं।
चाय की चुस्कियों के संग, जिंदगी को फिर से जी लेते हैं।

#कंचन#