एकल काव्य पाठ व निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया

Solo poetry recitation and essay writing competition was organized
 
Solo poetry recitation and essay writing competition was organized

 बलरामपुर | एम एल के पी जी कॉलेज  बलरामपुर सभागार में जिला प्रशासन के निर्देशन में भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री  श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्म दिवस समारोह के उपलक्ष्य में जनपदस्तरीय भाषण,एकल काव्य पाठ व निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता में जिले के कई प्रतिभागियों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।

      शनिवार को  जिलाधिकारी बलरामपुर पवन अग्रवाल के निर्देशन में नोडल अधिकारी सीडीओ हिमांशु गुप्त व जिला विद्यालय निरीक्षक की अगुवाई में प्रतियोगिता आयोजित की गई। प्रतियोगिता का शुभारंभ कार्यक्रम अध्यक्ष प्राचार्य प्रो0 जे पी पाण्डेय व नोडल अधिकारी उच्च शिक्षा प्राचार्य राजकीय डिग्री कॉलेज पचपेड़वा डॉ भानु प्रताप सिंह,डॉ चंदन पाण्डेय व कार्यक्रम संयोजक लेफ्टिनेंट डॉ देवेन्द्र कुमार चौहान ने किया। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो0 पाण्डेय ने कहा कि अटलजी एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेता, प्रखर राजनीतिज्ञ, नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, सशक्त वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति के धनी थे। 

भाजपा में एक उदार चेहरे के रूप में उनकी पहचान थी। डॉ भानु प्रताप सिंह ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए उनसे प्रेरणा लेने की सलाह दी। कार्यक्रम संयोजक व संचालक लेफ्टिनेंट डॉ देवेन्द्र कुमार चौहान ने प्रतिभागियों के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए प्रतियोगिता के नियम से प्रतिभागियों को परिचित कराया। डॉ आशीष कुमार लाल व डॉ ऋषि रंजन पाण्डेय ने भी अपने विचार व्यक्त किए। 

एकल काव्य पाठ प्रतियोगिता की निर्णायक प्रो0 रेखा विश्वकर्मा, डॉ राम रहीस व डॉ ऋषि रंजन पाण्डेय ने विषय वस्तु, प्रस्तुतिकरण के आधार पर साध्वी द्विवेदी को प्रथम ,अतुल मिश्र को द्वितीय व पार्थेश्वर दुबे को तृतीय स्थान के लिए चुना। वहीं भाषण प्रतियोगिता के निर्णायक डॉ आशीष कुमार लाल,डॉ बी एल गुप्ता व डॉ अवनीन्द्र दीक्षित ने शिखा पाण्डेय को प्रथम,हर्षिता श्रीवास्तव को द्वितीय व पार्थेश्वर दुबे को तृतीय स्थान के लिए चुना। इस अवसर पर डॉ आलोक शुक्ल, डॉ कृतिका तिवारी,डॉ एस के त्रिपाठी, डॉ श्रद्धा सिंह,डॉ अनिल पाण्डेय व राजर्षि मणि त्रिपाठी आदि का सराहनीय योगदान रहा।
 

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