प्रतिशोध लो अर्जुन उठो माधव तुम्हारे साथ है आगे बढ़ो रण में चलो महासमर का नाद है

 
 

महासमर का नाद

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चिरकाल तक इतिहास में

जग को सदा से याद होगा

जो काट खाए कौरवों को

एक नारी का फिर श्राप होगा

प्रारब्ध सब लौटेंगे अब

संहार के निजभेष होंगे

रक्तरंजित काल इंगित

अब द्रौपदी के केश होंगे

शकुनि यहाँ अदृश्य हैं

दुर्योधन दिखाता कर्म है

आहत हुई है भारती

युद्ध ही अब धर्म है

प्रतिशोध लो अर्जुन उठो

माधव तुम्हारे साथ है

आगे बढ़ो रण में चलो

महासमर का नाद है

महासमर का नाद है!

- जया मिश्रा ‘अनजानी’

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