भावनात्मकता का प्रतीक है आरिफ और सारस का प्रेम

 
Shankar shivam singh aapki khabar
 

डॉ. शंकर सुवन सिंह

प्रेम वासनाओं से ग्रसित नहीं होता है। प्रेम भावनाओ से ग्रसित होता है। समर्पण भावनात्मकता की निशानी है। आरिफ और सारस का एक दूसरे के प्रति समर्पण राम राज्य की परिकल्पना को स्थापित करता है। संत तुलसीदास के रामराज्य की परिकल्पना में वनों में फूल सदा फलते फूलते थे। पशु पक्षी वैर को भूलकर सहज भाव से रहते थे। इंसानों के अंदर पशु पक्षियों के प्रति इंसानियत का होना प्रकृति के प्रति सम्मान को दर्शाता है। प्रकृति का सम्मान वातावरण में सामंजस्य स्थापित करता है। सारस पक्षी का रामायण की कथा से भी सम्बन्ध माना जाता है। वाल्मीकि रामायण की रचना, सारस के एक जोड़े से प्रेरित है? 
मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमाः शाश्वतीः सभाः। यत्क्रौन्चमिथुनादेकमवधी  काममोहितम् ।।
( बालकाण्ड, संर्ग 2 श्लोक 15)। इसका अर्थ है, निषाद (व्याध या शिकारी) को मानो श्राप देते हुए वाल्मीकि ने कहा, अरे! ओ शिकारी, तूने काममोहित सारस जोड़े में से एक को मार डाला, जा तुझे कभी चैन नहीं मिलेगा। इसी श्लोक के गर्भ से रामायण महाकाव्य की रचना निकली। इस घटना के उपरांत, ब्रह्माजी के कहने पर महर्षि वाल्मीकि ने रामायण महाकाव्य की रचना की। आरिफ और सारस का प्रेम एक भक्त का अपने भगवान् के प्रति समर्पण को दर्शाता है। सारस प्रेम का प्रतीक है। गोंड जनजाति के लोग सारस पक्षी को पांच देवताओं के उपासक के रूप पूजते हैं। यदि आरिफ ने सारस को देवता के रूप में पूजा और उससे प्रेम किया तो ये प्रकृति प्रेम का सबसे अच्छा उदाहरण है। यह घटना एक भक्त का अपने भगवान् के प्रति आदर भाव को दर्शाता है। हम चन्द्रमा,सूरज,पृथ्वी,नदियाँ,आदि को पूजते हैं। हिन्दू धर्म में सभी देवी देवताओं का प्रकृति से सम्बन्ध रहा है। हिन्दू धर्म प्रकृति पूजा और उसकी उपासना की अनुमति देता है। कहा गया है यथा पिंडे तथा ब्रह्माण्डे अर्थात कण कण में भगवान् व्याप्त है। भगवान् भाव के भूखे हैं। एक भक्त अपने भाव से ही भगवान् को प्रसन्न करता है। भावना का सम्बन्ध ह्रदय से है। ह्रदय में ही परमेश्वर का वास होता है। अतएव हम कह सकते हैं कि एक भक्त को भगवान् से दूर नहीं किया जा सकता। बाल्मीकि सारस से प्रभावित होकर रामायण की रचना कर सकते हैं तो आरिफ और सारस का प्रेम गलत कैसे हो सकता है। आरिफ और सारस का भावनात्मक लगाव शोध का विषय है न कि आरिफ को दण्डित करने का विषय है। आरिफ का सारस के प्रति समर्पण आरिफ को महान बनाता है। 
लेखक
डॉ. शंकर सुवन सिंह
वरिष्ठ स्तम्भकार एवं शिक्षाविद
प्रयागराज (यू.पी)

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