तुम बताओ

you tell
 
you tell
किसी शाम फुरसत हो तो बताओ
जज़्बातों में गहराई हो तो बताओ
आंखों की झील ने कितनों को डुबोया है 
बाकायदा गिनती चाहिए तो बताओ...

लोग कहते होंगे तुम्हें खूबसूरत किताब
उनके कहने पर तुम मत जाना
उस किताब के गुलाब का किस्सा
गर सुनना हो तबियत से तो बताओ, 

परछाई चाहे तेरी मुझसे दूर होके जाती है 
मैं खफ़ा फिर भी नहीं होता 
तुम ख़ुद मेरे अंदर हो मेरी जान
ख़ुद से कभी मिलना हो तो बताओ,

इतनी तारीफ़ से भी नज़र नहीं लगेगी तुम्हें 
तुम इतराना छोड़ मत देना
तुम्हारा वजूद इस कदर अंदर बसा है मेरे
तुम्हे आईना देखना है तो बताओ ।

                             ~नीतू माथुर

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