बुद्धिमत्ता से मिला जीवनदान — राजा रामसेन की प्रेरक कथा

(आर. सूर्य कुमारी – विभूति फीचर्स)एक समय की बात है, राजा रामसेन नाम का एक शासक अपने जीवन से ऊब चुका था। उसे लगने लगा कि मनुष्य के रूप में जीना एकरस हो गया है। उसने सोचा कि यदि उसे ऐसी शक्ति मिल जाए जिससे वह इच्छानुसार किसी भी जानवर का रूप धारण कर सके और जब चाहे मनुष्य बन सके, तो जीवन में कुछ नया अनुभव कर सकता है।इस विचार के साथ राजा ने कठिन तपस्या शुरू की। अंततः ईश्वर उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उसे इच्छानुसार रूप बदलने का वरदान दिया।
जंगल की ओर यात्रा और अनोखा अनुभव
वरदान पाकर उत्साहित राजा ने शीशे के सामने खड़े होकर खुद को विभिन्न पशुओं के रूप में देखकर आनंद लिया। फिर उसने तय किया कि वह जंगल में जाकर देखे कि वहां क्या हो रहा है। एक दिन वह घोड़े पर सवार होकर एक सुनसान जगह पहुंचा और घोड़े को बांधकर खुद को कुत्ते में परिवर्तित कर जंगल की ओर निकल पड़ा।
जंगल में उसकी भेंट एक शेर से हो गई। शेर को देखकर राजा घबरा गया और उसे बताया कि वह एक राजा है। शेर ने जवाब दिया कि इस जंगल का राजा वही है और वह किसी इंसान को शिकार बनाने की सोच रहा है। शेर को राजा के शरीर से मानव की गंध आई और उसने उसे खाने की बात कही।
बुद्धिमानी का प्रयोग
राजा ने तुरंत युक्ति लगाई और शेर से कुछ समय मांगा ताकि वह अपने ईश्वर की पूजा कर सके। शेर ने अनुमति दे दी। राजा ने विचार किया कि चाहे वह इंसान बने या शेर, शेर उसे खा ही जाएगा। लेकिन यदि वह विशाल हाथी बन जाए तो शायद शेर डर जाए।
राजा ने खुद को हाथी में परिवर्तित कर लिया। सामने विशाल हाथी को देख शेर चौंक गया। वह डरने लगा कि यह तो कोई जादुई जीव है जो अभी कुत्ता था और अब हाथी बन गया।
डर और हार
शेर उलझन में पड़ गया — इतने विशाल जानवर पर हमला कैसे करे? अगर खा भी लिया तो पचा नहीं पाएगा और खुद बीमार हो सकता है। डरकर वह पूजा का बहाना बनाकर जंगल की ओर भाग गया।
राजा ने राहत की सांस ली और सुरक्षित रूप से अपने महल लौट आया।
कहानी से सीख:
यह कथा हमें सिखाती है कि किसी भी शक्ति या कला का उपयोग बुद्धिमत्ता और परिस्थिति के अनुसार करना चाहिए। केवल शक्ति नहीं, बल्कि विवेक ही सच्चे संकट में रक्षा करता है।