फिल्म 'मां' रिव्यू: काजोल की दमदार वापसी, हॉरर और इमोशन्स का अनोखा मेल

Kajol powerful performance

 
Bollywood suspense film

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साल 2025 की सबसे चर्चित फिल्मों में से एक है – ‘मां’, जिसमें काजोल ने दमदार वापसी की है। यह माइथोलॉजिकल हॉरर फिल्म अपनी रिलीज़ के साथ ही सोशल मीडिया पर छा गई है। कोई इसे मुनज्या और परी जैसी वाइब्स वाली फिल्म बता रहा है, तो कोई इसे काजोल का वन-वुमन शो कह रहा है। तो चलिए जानते हैं, क्या वाकई ये फिल्म खास है या सिर्फ एक और औसत हॉरर ड्रामा?

 कहानी की झलक (बिना स्पॉइलर)

‘मां’ एक माइथोलॉजिकल हॉरर ड्रामा है, जिसमें काजोल एक ऐसी माँ की भूमिका में हैं, जो अपने बच्चे की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है। कहानी में पौराणिक और अलौकिक (Supernatural) तत्व शामिल हैं, जो भारतीय लोककथाओं और आध्यात्मिक मान्यताओं से प्रेरित हैं।

फिल्म की शुरुआत होती है एक शांत गांव से, जहां माँ और उसका परिवार एक सामान्य जीवन जी रहे होते हैं। लेकिन धीरे-धीरे एक डरावना माहौल बनता है, जहां माँ की ममता और अदृश्य शक्तियों के बीच टकराव देखने को मिलता है। फिल्म केवल डर नहीं देती, बल्कि मातृत्व, बलिदान और अध्यात्म जैसे विषयों को भी छूती है।

सस्पेंस और हॉरर का तड़का

फिल्म का पहला हाफ थोड़ा धीमा लग सकता है, लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, सस्पेंस आपको बांधे रखता है। खासकर क्लाइमेक्स में जब काजोल का ‘काली अवतार’ सामने आता है, तो सीन रोंगटे खड़े कर देता है।
जम्प स्केयर जरूर हैं, लेकिन कुछ जगहों पर पुराने फॉर्मूले जैसे लगते हैं। फिर भी डायरेक्टर विशाल फुरिया ने माहौल को इतने प्रभावशाली ढंग से पेश किया है कि आप स्क्रीन से नजरें नहीं हटा पाते।

काजोल – फिल्म की जान

इस फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है काजोल की परफॉर्मेंस। उन्होंने एक माँ के डर, दर्द, गुस्से और ताकत को इतनी गहराई से निभाया है कि हर सीन में वो छा जाती हैं।
सोशल मीडिया पर एक यूज़र ने लिखा – "काजोल का काली अवतार फिल्म का हाईलाइट है", और हम इससे पूरी तरह सहमत हैं। अगर आप काजोल के फैन हैं, तो यह फिल्म आपके लिए किसी ट्रीट से कम नहीं।

 तकनीकी पक्ष: सिनेमैटोग्राफी और म्यूज़िक

‘मां’ की सिनेमैटोग्राफी काफी इंप्रेसिव है। गांव का सेटअप, डार्क लाइटिंग और कैमरा एंगल्स एक परफेक्ट हॉरर माहौल बनाते हैं।
हालांकि बैकग्राउंड म्यूज़िक को लेकर राय थोड़ी मिली-जुली है। कुछ दर्शकों का मानना है कि अगर म्यूज़िक और भी डरावना होता, तो फिल्म का असर और ज़्यादा होता।

 क्या ‘मां’ वाकई ‘मुनज्या’ और ‘परी’ जैसी है?

हां और नहीं — दोनों।
जहां मुनज्या में हॉरर के साथ ह्यूमर था, वहीं मां ज़्यादा गंभीर और इमोशनल है।
परी की तरह इसमें भी अलौकिक घटनाएं हैं, लेकिन मां में फोकस मातृत्व और आध्यात्मिक शक्ति पर है। इसीलिए यह फिल्म अपनी एक अलग पहचान बनाती है।

फाइनल वर्डिक्ट: देखनी चाहिए या नहीं?

बिलकुल देखनी चाहिए!
अगर आप काजोल की दमदार एक्टिंग के फैन हैं या आपको माइथोलॉजिकल हॉरर पसंद है, तो मां आपके लिए एक शानदार अनुभव हो सकता है। हां, फिल्म में कुछ कमियाँ हैं – जैसे स्लो पेस और कमजोर BGM – लेकिन काजोल की परफॉर्मेंस और सस्पेंस आपको बांधे रखता है।

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