पाकिस्तानी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की हकीकत: पर्दे के पीछे छुपा संघर्ष और अनदेखी
Behind the scenes of Pakistani dramas
पाकिस्तान की चकाचौंध भरी ड्रामा और फिल्म इंडस्ट्री दुनियाभर के दर्शकों का दिल जीत रही है। हुमसफर, जिंदगी गुलज़ार है और तेरे बिन जैसे शो ने न सिर्फ पाकिस्तान, बल्कि भारत और पूरे दक्षिण एशिया में अपार लोकप्रियता हासिल की है। लेकिन जिस दुनिया को हम टीवी पर देखते हैं, वह असली जिंदगी से काफी अलग है।
स्क्रीन पर दिखाई देने वाली मुस्कान के पीछे कलाकारों की जिंदगी में संघर्ष, निराशा और आर्थिक असुरक्षा की कहानियाँ छिपी होती हैं। लाखों की फैन फॉलोइंग, सोशल मीडिया पर ट्रेंडिंग नाम और हिट शो के बावजूद, कई कलाकारों को अपनी मेहनत की सही कीमत नहीं मिलती।
रॉयल्टी का अभाव और देरी से भुगतान: इंडस्ट्री की सबसे बड़ी समस्या
पाकिस्तानी ड्रामा इंडस्ट्री में रॉयल्टी सिस्टम लगभग गायब हो चुका है। एक दौर था जब 80 और 90 के दशक में PTV (Pakistan Television Network) कलाकारों को री-रन के लिए भुगतान देता था। लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि चाहे कोई शो कितनी ही बार टीवी पर दोहराया जाए, यूट्यूब पर वायरल हो या इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म्स पर बेचा जाए — कलाकारों को एक अतिरिक्त पैसा तक नहीं मिलता।
मशहूर एक्टर मिकाल ज़ुल्फिकार ने एक इंटरव्यू में खुलकर कहा:
“यह बेहद गलत है कि हमें सिर्फ एक बार पेमेंट किया जाता है, जबकि चैनल्स और प्रोड्यूसर्स बार-बार उसी कंटेंट से कमाई करते हैं।”
डिजिटल प्लेटफॉर्म्स से पैसा, लेकिन सिर्फ चैनल्स के लिए
यूट्यूब ने पाकिस्तानी ड्रामों को एक नया ग्लोबल प्लेटफॉर्म दिया है। खुदा और मोहब्बत जैसे ड्रामों को करोड़ों व्यूज़ मिलते हैं। लेकिन इस डिजिटल रेवेन्यू का फायदा सिर्फ चैनल्स और प्रोड्यूसर्स को होता है। कलाकारों को इसमें कोई हिस्सा नहीं मिलता।
एक नाराज़ कलाकार ने कहा:
“हम दिन-रात शूटिंग करते हैं, लेकिन जब ड्रामा हिट होता है, तो सारा पैसा चैनल्स और प्रोड्यूसर्स की जेब में चला जाता है।”
नए कलाकारों की हालत भी कुछ अलग नहीं
यह समस्या सिर्फ पुराने कलाकारों तक सीमित नहीं है। तेरे बिन में मुरतसिम का किरदार निभाकर पॉपुलर हुए वहाज अली और युमना ज़ैदी जैसे उभरते सितारे भी इसी हालात का सामना कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, वहाज अली एक एपिसोड के 2.25 लाख रुपये चार्ज करते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें पेमेंट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है।
एक अन्य एक्टर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा:
“काम तो बहुत है, लेकिन समय पर पेमेंट और सम्मान की बहुत कमी है।”
भारत में फैनबेस, लेकिन डिजिटल बैन से नुकसान
फवाद खान, माहिरा खान और हानिया आमिर जैसे पाकिस्तानी सितारे भारत में भी बेहद लोकप्रिय हैं। लेकिन हाल ही में भारत में इनके यूट्यूब और इंस्टाग्राम अकाउंट्स पर बैन लगाया गया, जिससे इनकी डिजिटल इनकम पर सीधा असर पड़ा। हालांकि ये बैन अब हट चुका है, लेकिन इसने एक बार फिर यह साबित किया कि कलाकारों का डिजिटल भविष्य भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं है।
उम्मीद की किरण: क्या बदलाव संभव है?
Actors Collective Trust (ACT) जैसी संस्थाएं इंडस्ट्री में बदलाव लाने की कोशिश कर रही हैं। ओमैर राना और उनके साथियों ने सरकार और प्रोड्यूसर्स से रॉयल्टी सिस्टम लागू करने की मांग की है। उनका तर्क है कि अगर हॉलीवुड और बॉलीवुड में ये सिस्टम काम कर सकता है, तो पाकिस्तान में क्यों नहीं?
हालांकि इस बदलाव के लिए कलाकारों की एकजुटता जरूरी है। दुर्भाग्य से कई बड़े सितारे, जो अपने फैनबेस के दम पर हिट शो देते हैं, इस मुद्दे पर चुप रहते हैं।
ग्लैमर से परे: एक भावनात्मक चोट
इन कलाकारों की जिंदगी सिर्फ चमक-दमक नहीं है। ये लोग भी आम लोगों की तरह अपने परिवार के लिए, अपने सपनों के लिए मेहनत करते हैं। जब उस मेहनत की कीमत समय पर न मिले, तो ये सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं बल्कि भावनात्मक चोट भी बन जाती है।
एक एक्टर ने दर्द बयां करते हुए कहा:
“हम अपने किरदारों में जान डालते हैं, लेकिन जब पेमेंट मांगते हैं तो ऐसा लगता है जैसे कुछ गलत कर रहे हों।”
क्या यूट्यूब है एक नया रास्ता?
कुछ कलाकारों ने यूट्यूब को आय का जरिया बना लिया है। नूर बुखारी और जुगन काजिम जैसे सितारे अपने चैनल्स के जरिए अच्छा कमा रहे हैं। एक 15 मिनट की वीडियो पाकिस्तान में 10,000 व्यूज़ पर $5–$25 और इंटरनेशनल व्यूज़ पर $40–$100 तक कमा सकती है।
लेकिन ये मौका सिर्फ कुछ ही लोगों को मिलता है। ज्यादातर एक्टर्स अभी भी चैनल्स और प्रोड्यूसर्स की दया पर निर्भर हैं।
