बॉलीवुड और पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार दिलजीत दोसांझ एक बार फिर सुर्खियों में हैं।

 
Diljit Dosanjh threatened! SFJ enraged by touching Amitabh Bachchan's feet | Controversy Explained"

बॉलीवुड और पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री के स्टार दिलजीत दोसांझ एक बार फिर सुर्खियों में हैं। लेकिन इस बार वजह उनकी कोई फिल्म या गाना नहीं, rather a "gesture of simple respect" — अमिताभ बच्चन के पैर छूना। दिलजीत का यह कदम Now a big controversy has arisen.क्योंकि Khalistani organization Sikhs for Justice (SFJ)’ ने उन्हें धमकी दी है।
कहा जा रहा है कि दिलजीत ने “1984 के सिख विरोधी दंगों के गुनहगार” को सम्मान दिया है।आख़िर ये मामला क्या है, SFJ का आरोप क्या है, और अमिताभ बच्चन का नाम इसमें क्यों घसीटा जा रहा है?चलिए, पूरी कहानी समझते हैं — आसान भाषा में। 


हाल ही में पंजाबी सिंगर और एक्टर दिलजीत दोसांझ टीवी शो “कौन बनेगा करोड़पति 17” के सेट पर पहुंचे थे। यहां उन्होंने बॉलीवुड के Superstar अमिताभ बच्चन से मुलाकात की।
During the meeting, Diljit performed as per Indian tradition. उनके पैर छुए और आशीर्वाद लिया। अमिताभ बच्चन ने भी प्यार से उन्हें “पंजाब दा पुत्तर” कहा। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया — और लोगों ने इसे एक “दिल को छू लेने वाला पल” बताया। लेकिन Now an international controversy has started regarding this video. Khalistani organization Sikhs for Justice (SFJ)’ ने इस घटना पर आपत्ति जताई है। इस organisation का कहना है कि अमिताभ बच्चन 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान लोगों को भड़काने वालों में शामिल थे। SFJ ने दिलजीत दोसांझ पर आरोप लगाया कि उन्होंने “सिख community के घावों पर नमक छिड़का है।” SFJ ने कहा कि, “31 अक्टूबर 1984 को अमिताभ बच्चन ने ‘खून का बदला खून’ के नारे लगाकर हिंदुस्तानी भीड़ को सिखों के खिलाफ उकसाया था। Oraganisation ने दावा किया कि उस घटना के बाद हजारों सिखों की हत्या हुई थी, और तब से अब तक किसी ने अमिताभ बच्चन से जवाब नहीं मांगा। SFJ ने अब दिलजीत दोसांझ के खिलाफ बयान जारी करते हुए कहा है कि “Any Indian celebrity or leader who honours the perpetrators of the 1984 violence, उसे सिख community जवाब देगा।” उन्होंने दिलजीत के 1 नवंबर को ऑस्ट्रेलिया में होने वाले कॉन्सर्ट को लेकर “शटडाउन कॉल” दी है।
मतलब, SFJ ने धमकी दी है कि वे इस शो को नहीं होने देंगे। organisation ke leader गुरपतवंत सिंह पन्नू ने दिलजीत को चेतावनी देते हुए कहा —“तुमने उन लोगों के पैरों को छूकर सिखों की sacrifices का Insult किया है।” अब समझिए, अमिताभ बच्चन का नाम इसमें क्यों घसीटा जा रहा है। 31 अक्टूबर 1984 को emergency प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके सिख बॉडीगार्ड्स ने की थी।
इसके बाद देशभर में सिख विरोधी दंगे भड़क गए।


हजारों सिखों की जान गई, दिल्ली और पंजाब में भारी हिंसा हुई। कुछ लोगों ने तब आरोप लगाया था कि कांग्रेस से जुड़े कुछ नेता और लोग भीड़ को भड़का रहे थे।
इसी दौरान कुछ रिपोर्टों में यह दावा किया गया कि अमिताभ बच्चन ने भी एक टीवी चैनल पर जाकर कहा था —“खून का बदला खून से लेंगे।” हालांकि, अमिताभ बच्चन ने इन आरोपों को हमेशा खारिज किया है और कहा कि उन्होंने ऐसा कोई बयान कभी नहीं दिया। आज तक उन पर कोई कानूनी आरोप या केस साबित नहीं हुआ है। इस पूरे विवाद पर अभी तक दिलजीत दोसांझ की तरफ से कोई formal response नहीं आई है। लेकिन उनके फैंस का कहना है कि यह मामला बेवजह बढ़ाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोगों का कहना है — “किसी के पैर छूना Indian culture का हिस्सा है, This should not be interpreted as political or religious.” वहीं कुछ यूजर्स ने SFJ पर निशाना साधते हुए लिखा कि “The organization which is involved in anti-India activities,वह भारतीय कलाकारों पर दबाव बनाकर अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रहा है।”  ‘Sikhs for Justice is a separatist organisation. जो “खालिस्तान” नाम के स्वतंत्र सिख राष्ट्र की मांग करता है।भारत सरकार ने इस संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर रखा है।इसका प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू लंबे समय से भारत विरोधी बयान देता रहा है।


SFJ अक्सर भारत में होने वाली घटनाओं को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करता है — और अब दिलजीत दोसांझ इस प्रचार का नया चेहरा बन गए हैं।इस विवाद के बाद सोशल मीडिया पर राय बंटी हुई है। एक तरफ कुछ लोग SFJ के आरोपों को “सस्ती पब्लिसिटी” बता रहे हैं, वहीं कुछ लोग यह कह रहे हैं कि 1984 का दर्द अभी भी सिख समुदाय में जिंदा है, इसलिए किसी भी ऐसे कदम से सावधानी बरतनी चाहिए। फिल्म जगत से भी कई लोगों ने इस विवाद पर प्रतिक्रिया दी है। कई कलाकारों ने कहा कि दिलजीत दोसांझ एक सम्मानित और सच्चे कलाकार हैं जो हमेशा भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हैं। अगर इस पूरे मामले को समझा जाए, तो यह सिर्फ एक धार्मिक विवाद नहीं है। यह उस sensitivity   की कहानी है जो इतिहास और राजनीति दोनों से जुड़ी है। एक तरफ सिख समुदाय के कुछ वर्ग हैं जिनके लिए 1984 की घटनाएं आज भी एक दर्द हैं। वहीं दूसरी तरफ ऐसे कलाकार हैं जो भारतीय संस्कृति और सम्मान के प्रतीक हैं। दिलजीत दोसांझ जैसे कलाकार इस दोराहे पर खड़े हैं —जहां एक ओर अपनी जड़ों के प्रति भावनाएं हैं, और दूसरी ओर एकता व संस्कृति के प्रतीक रिश्ते। अब सबकी निगाहें दिलजीत दोसांझ पर हैं। क्या वे SFJ को जवाब देंगे? क्या वे अपने ऑस्ट्रेलिया वाले कॉन्सर्ट को जारी रखेंगे? या फिर इस विवाद को नजरअंदाज करके शांति बनाए रखेंगे? एक बात साफ है — कला और राजनीति का टकराव फिर से चर्चा में है।
और इस बार यह टकराव एक साधारण “पैर छूने” की परंपरा से शुरू हुआ है  तो दोस्तों, क्या आपको लगता है कि दिलजीत दोसांझ का ये कदम गलत था, या यह बस भारतीय संस्कार का हिस्सा है? कमेंट में बताइए अपना विचार और जुड़े रहिए बॉलीवुड और पंजाब की हर बड़ी खबर से।

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