हर्षवर्धन राणे की ‘एक दीवाने की दीवानियत’ ने बॉक्स ऑफिस पर मचाई धूम, नेपोटिज्म पर बोले कुछ ऐसा…

बॉलीवुड और पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री के फैन्स के लिए हर्षवर्धन राणे की हालिया रिलीज़ ‘एक दीवाने की दीवानियत’ किसी goodnews से कम नहीं है। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धूम मचा दी है और इसके सक्सेस ने हर्षवर्धन को नए मुकाम तक पहुंचा दिया है। सोनम बाजवा स्टारर ये रोमांटिक ड्रामा अपनी 25 करोड़ की लागत से लगभग डबल कमाई कर चुकी है, जो किसी भी युवा एक्टर के लिए बहुत बड़ी successs है….फिल्म की success का जश्न मनाने के लिए हर्षवर्धन और सोनम बाजवा हाल ही में गुजरात के एक थिएटर पहुंचे, जहां उन्होंने अपनी फिल्म की स्क्रीनिंग अटेंड की और audiences से सीधे जुड़ने का मौका मिला शो के बाद हर्षवर्धन ने audience का आभार जताया और एक ऐसा बयान दिया जो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। उन्होंने कहा कि इस फिल्म की success और ‘थामा’ जैसी आउटसाइडर फिल्मों की सफलता ने बॉलीवुड में लंबे समय से छाए नेपोटिज्म के डर को पूरी तरह खत्म कर दिया है…..
हर्षवर्धन ने एबीपी न्यूज को दिए इंटरव्यू में clear किया कि उनका नेपोटिज्म पर बयान किसी को हर्ट करने के लिए नहीं था, बल्कि इसका motive youth और new artists को courage देना था। उन्होंने कहा: “मैं जज्बात में कभी कोई ऐसी बात नहीं बोलूंगा जो किसी को हर्ट करे। मैं पूरे अवेयरनेस के साथ ये कहना चाहता हूं कि जो वर्ड ‘नेपोटिज्म’ बना दिया गया है, वह बिल्कुल वैसा ही है जैसे किसी छोटे बच्चे को डराने के लिए कहा जाए कि जंगल में मत जाओ, वहां भूत है। मैं यही मैसेज देना चाहता हूं कि जंगल में कोई भूत नहीं है। जो artists आना चाहते हैं, उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। यहां पर किसी को रोकने वाला कोई भूत नहीं है। आप अपने इंस्ट्रूमेंट्स, अपनी चटाई, अपना टिफिन लेकर आएं और मेहनत करें।
यही मेरा motive है।” हर्षवर्धन ने आगे कहा कि कई बार नेपोटिज्म शब्द का गलत इस्तेमाल किया जाता है और यह सिर्फ एक बहाना बन चुका है। उनका मानना है कि यह शब्द न केवल गलत message देता है बल्कि नए artists को डराने वाला कारक भी बन गया है। हर्षवर्धन ने उदाहरण देते हुए कहा कि बॉलीवुड में कई big celebrities भी आउटसाइडर्स थीं और उन्होंने अपने टैलेंट से सफलता हासिल की। उन्होंने नाम लिए जैसे: शाहरुख खान अक्षय कुमार जॉन अब्राहम राजकुमार राव आयुष्मान खुराना नवाजुद्दीन सिद्दीकी इरफान खान उन्होंने कहा कि इन सब कलाकारों ने बाहर से आकर अपनी मेहनत से इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाई। सिर्फ बॉलीवुड नहीं, बल्कि इस साल की फ्रेश लिस्ट के नए टैलेंट जैसे राघव जुयाल, रोहित सराफ, भुवन बाम और लक्षय भी शानदार काम कर रहे हैं। हर्षवर्धन का कहना है कि ऐसे में नेपोटिज्म शब्द का कोई मायने नहीं रह जाता। “तो कहां है नेपोटिज्म का डर? ये शब्द अब सिर्फ हौव्वा बन चुका है। मेरी दरख्वास्त है कि 2026 में इसे इस्तेमाल ही न किया जाए।
लोग थक चुके हैं इस शब्द से, यह सिर्फ एक एक्सक्यूज बन चुका है।” हर्षवर्धन की फिल्म ‘एक दीवाने की दीवानियत’ की success को audience और सोशल मीडिया दोनों ने Greatly appreciated. फिल्म की 25 करोड़ की लागत के मुकाबले करीब 50 करोड़ की कमाई ने proof कर दिया कि viewwers ka real talent और hardwork की respect करते हैं, चाहे कलाकार इंडस्ट्री में नए ही क्यों न हों। सोशल मीडिया पर फैंस ने हर्षवर्धन के बयान को support दिया और लिखा कि बॉलीवुड में नेपोटिज्म का डर खत्म होना चाहिए। कई यूजर्स ने कहा कि यह वक्त है नए टैलेंट को मौका देने का और मेहनत से सफलता हासिल करने का। हर्षवर्धन राणे का कहना है कि उन्होंने नेपोटिज्म पर जो बयान दिया, उसका motive youths and new artiosts ko motivate करना है।
उन्होंने cleqar किया कि डरने की जरूरत नहीं है, मेहनत और टैलेंट ही success की real key है। “अगर आप बाहर से आ रहे हैं, तो हिम्मत रखें। किसी भी डर, भूत या नेपोटिज्म शब्द को अपने रास्ते में बाधा मत बनने दें। मेहनत और लगन से आप अपनी जगह बना सकते हैं।” ये बयान न केवल नए कलाकारों के लिए प्रेरक है बल्कि यह इंडस्ट्री में नेपोटिज्म पर बहस को भी एक नई दिशा देता है। तो दोस्तों, हर्षवर्धन राणे ने साफ कर दिया है कि नेपोटिज्म एक जंगल का भूत है, जो केवल डर पैदा करता है। इंडस्ट्री में असली टैलेंट और मेहनत की कद्र होती है। उनकी फिल्म की success और उनके clear बयान ने proof कर दिया कि बॉलीवुड में आउटसाइडर्स के लिए अब डर की कोई जगह नहीं है। If you are a new artist or dream of breaking into the industry, तो हर्षवर्धन का यह मैसेज आपके लिए पूरा इंस्पिरेशन है। मेहनत करें, अपने टैलेंट पर भरोसा करें और डर को छोड़ दें।
