पैपराजी कल्चर पर बवाल: जया बच्चन बनाम हुमा कुरैशी – कौन सही?
आज हम बात करेंगे उस टॉपिक की जो इन दिनों सोशल मीडिया पर आग लगा रहा है – पैपराजी कल्चर! एक तरफ जया बच्चन जी का गुस्सा, दूसरी तरफ हुमा कुरैशी का बैलेंस्ड और ईमानदार व्यू। भाई, ये डिबेट इतनी गर्म है कि लगता है बॉलीवुड का थर्मामीटर फट जाएगा! चलो, पहले थोड़ा बैकग्राउंड समझते हैं। हाल ही में बरखा दत्त के साथ इंटरव्यू में जया जी ने पैपराजी पर तगड़ा हमला बोला। उन्होंने कहा, "मेरा ट्रेडिशनल मीडिया से तो रिश्ता शानदार है, मैं खुद मीडिया की देन हूं, मेरे पापा पत्रकार थे। लेकिन पैपराजी से मेरा रिश्ता? जीरो!" और फिर बोलीं, "ये लोग कौन हैं? गंदे टाइट पैंट पहनकर, मोबाइल लेकर किसी की भी फोटो खींच लेते हैं। इनकी एजुकेशन क्या है, बैकग्राउंड क्या है?" वाह जया जी, इस बयान के बाद पैपराजी भड़क गए। बड़े-बड़े फोटोग्राफर्स जैसे वायरल भयानी, मनाव मंगलानी, वरिंदर चावला ने रिएक्ट किया और बच्चन फैमिली को बॉयकॉट करने की बात की। यहां तक कि अगस्त्य नंदा की फिल्म 'इक्कीस' की कवरेज पर भी सवाल उठे। प्राइवेसी का मुद्दा तो जायज है, लेकिन ये बॉयकॉट ड्रामा ने तो मजा दोगुना कर दिया!
अब एंटर हुमा कुरैशी – जो इस पूरे विवाद में कूल और बैलेंस्ड लग रही हैं। इंटरव्यू में हुमा ने कहा, "मेरा पैपराजी से हेल्दी रिलेशन है। वो इंपॉर्टेंट हैं क्योंकि हम खुद उन्हें बुलाते हैं! फिल्म प्रमोट करनी हो, प्रीमियर पर स्पॉट होना हो, या एयरपोर्ट लुक वायरल करना हो – हम कॉल करते हैं। सारा ब्लेम सिर्फ उन पर नहीं डालना चाहिए।" हुमा ने बताया कि 10-12 साल इंडस्ट्री में रहने के बाद उनका बॉन्ड इतना स्ट्रॉन्ग हो गया है कि अगर वो मूड में नहीं हैं तो बोल देती हैं, "ये फोटो पोस्ट मत करना", और पैप्स मान लेते हैं! लेकिन नेगेटिव साइड भी छुपाई नहीं – "कभी प्राइवेट सवाल, गलत एंगल से फोटो... फीमेल एक्टर होने के नाते मैंने झेला है। लिमिट क्रॉस नहीं करनी चाहिए।" और उनकी फिलॉसफी? "डोंट मिसबिहेव, एंड डोंट लेट अदर्स मिसबिहेव!" वाह हुमा, कितनी रीयल बात!
इस डिबेट में और भी सेलेब्स कूद पड़े। शत्रुघ्न सिन्हा ने पैप्स की तारीफ करते हुए कहा, "आप लोग पैंट भी अच्छी पहनते हैं, शर्ट भी अच्छी!" उर्फी जावेद ने तंज कसा, "हम वो सेलेब्स हैं जो एयरपोर्ट पर पैप्स बुलाते हैं!" आशुतोष राणा ने फिलॉसफिकल अंदाज में कहा, "हर इंसान की अपनी वैल्यू है, इमोशंस से रिएक्ट करते हैं।
दोस्तों, सच तो ये है कि पैपराजी कल्चर अब बॉलीवुड का हिस्सा बन चुका है। विजिबिलिटी चाहिए तो पैप्स मदद करते हैं, लेकिन रिस्पेक्ट और प्राइवेसी भी जरूरी। हुमा का व्यू सबसे बैलेंस्ड लगता है – दोनों साइड्स को समझो, बॉर्डर्स सेट करो, और आगे बढ़ो!आपका क्या ख्याल है? जया जी का गुस्सा जायज है या हुमा सही कह रही हैं? पैपराजी को सपोर्ट करो या बॉयकॉट? कमेंट में जरूर बताईयेगा,
